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Thursday, October 5, 2023

Sania Mirza Father | हमने सानिया पर जीत के लिए कभी किसी तरह का दबाव नहीं बनाया : इमरान मिर्जा

दुबई, (वेब वार्ता)। इस बात पर यकीन नहीं होता कि सानिया (Sania Mirza) को पहली बार टेनिस (Tennis) रैकेट थामे हुए 30 साल हो गए हैं। निश्चित तौर पर वह अभूतपूर्व प्रतिभा की धनी थी और मुझे यह समझने में ज्यादा समय नहीं लगा। मैं जब युवावस्था में था तब मैंने क्लब स्तरीय टेनिस और राज्य रैंकिंग टूर्नामेंट में ही हिस्सा लिया था लेकिन जब मैं स्कूल में था तभी से इस खेल का बेहद करीब से अनुकरण और विश्लेषण करता था। मैं कभी बहुत अच्छा टेनिस खिलाड़ी नहीं रहा लेकिन मेरा मानना है कि इस खेल के लिए मेरे पास पारखी नजर और विश्लेषणात्मक दिमाग था।

सानिया (Sania Mirza) की किस्मत में उस खेल में नाम और शोहरत कमाना लिखा था जिसे वह प्यार करती थी। टेनिस टूर पर कई प्रसिद्ध प्रशिक्षकों ने मुझे निजी तौर पर बताया कि जिस तरह खुदा ने सानिया को टेनिस में प्रचुर प्रतिभा का तोहफा दिया था, उसी तरह उन्होंने मुझे भी उनकी टेनिस प्रतिभा और स्वभाव को विकसित करने के लिए खेल को देखने और समझने की शक्ति प्रदान की थी। खुदा ने मेरी पत्नी को भी बहुत ही विशेष कौशल दिया जिसने हमारी बेटी के इस खेल में एक पेशेवर करियर बनाने में पूरक का काम किया। मेरे परिवार की खेल पृष्ठभूमि ही थी जिसने हमें हार और जीत से सही रवैये के साथ निपटने में मदद की।

इससे सानिया (Sania Mirza) को एक टेनिस खिलाड़ी के रूप में निखारने और उनका करियर लंबा खींचने में मदद मिली। टेनिस एक ऐसा खेल है जिसमें हार और जीत दिमाग से जुड़ी होती हैं और इसमें मानसिक मजबूती बेहद महत्वपूर्ण है। सफलता में संयम की भूमिका अहम होती है और मेरा मानना है कि टेनिस कोर्ट पर सानिया को निर्भीक बनाने में माता-पिता के रूप में हमारा सबसे बड़ा योगदान रहा। जब कोई बच्चा खेल के मैदान पर हारता है तो उसे इसकी परवाह नहीं होती है कि दुनिया उसकी हार के बारे में क्या सोच रही है। लेकिन उसकी हार पर माता-पिता का रवैया कैसा होता है यह उसे मानसिक और मनोवैज्ञानिक तौर पर काफी प्रभावित करता है।

बच्चे का स्वभाव उसकी असफलताओं पर माता-पिता की प्रतिक्रिया से तय होता है। सानिया ने जब पहली बार रैकेट पकड़ा था तो मैं इसको लेकर बेहद सतर्क था और हमने उस पर जीत के लिए कभी किसी तरह का दबाव नहीं बनाया। हमारा ध्यान हमेशा इस बात पर रहा कि वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करे और जब तक वह ऐसा करती रही हम खुश रहे और जिस दिन वह हार जाती थी तब भी हमने उसका जश्न मना कर उसके प्रति अपना समर्थन दिखाया।

वर्षों से लोग दबाव में सानिया के शांत मिजाज, निडरता और मैचों के दौरान मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने की क्षमता के बारे में बात करते रहे हैं। मेरा मानना है कि यह उस आत्मविश्वास से हासिल किया जाता है जो हमने माता पिता के रूप में तब उसमें भरा था जब वह छोटी थी। हमने हमेशा उसका समर्थन किया तथा जीत और हार खेल का हिस्सा होते हैं। एक अंतरराष्ट्रीय टेनिस खिलाड़ी तैयार करने के लिए बहुत त्याग और प्रयास करने पड़ते हैं।

हमारे पूरे परिवार में टेनिस के प्रति जुनून था और हम सानिया को वह हासिल करने में मदद करने के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार थे जो हमारे देश की किसी भी लड़की ने खेल में हासिल नहीं किया था। हम इसे पैसे या शोहरत के लिए नहीं कर रहे थे। हमने जो भी प्रयास किये वह विशुद्ध रूप से उस जुनून के लिए था जो हमारे पास खेल के लिए था और भारत को एक विश्व स्तरीय महिला टेनिस खिलाड़ी देने के लिए था – जैसा हमारे देश ने पहले कभी नहीं देखा था।

जब हम तीन दशक पीछे मुड़कर देखते हैं जब सानिया ने छह वर्ष की उम्र में पहली बार रैकेट उठाया था, तो हमें गर्व और संतुष्टि का अहसास होता है कि हमने अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभाई। हमें केवल इस बात पर ही गर्व नहीं है कि हमने भारत को एक टेनिस खिलाड़ी दी जिसने दो दशक तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई सफलताएं हासिल की बल्कि हमें इसका भी गर्व है कि हमने एक रोल मॉडल तैयार की जिसने न केवल लड़कियों में बल्कि लड़कों में भी यह विश्वास भरा कि अगर आपके पास सपना है, भरोसा है तथा कड़ी मेहनत करने के साथ प्रतिबद्धता है तो फिर किसी भी क्षेत्र में कुछ भी हासिल करना असंभव नहीं है।

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