लंदन, (वेब वार्ता)। भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट सीरीज में इस्तेमाल हो रही ‘ड्यूक्स’ गेंद को लेकर कई शिकायतें आने के बाद कंपनी ने कहा कि वह गेंद के जल्दी खराब होने के मामले की जांच करेगी। ड्यूक्स गेंद की गुणवत्ता पर भारतीय टीम के कप्तान शुभमन गिल और इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड सहित कई अन्य क्रिकेटरों ने सवाल उठाये थे। लॉर्ड्स टेस्ट के दौरान शुभमन ने अंपायरों की दी हुई गेंद को लेकर नाराजगी जतायी थी नई गेंद को मैच के दूसरे दिन सुबह के पहले घंटे में बदलना पड़ा था। जहां जसप्रीत बुमराह ने शुरुआत में मिली गेंद से कम ओवरों में तीन विकेट लिए थे पर बदलाव के बाद वह एक भी विकेट नहीं ले पाये।
बुमराह ने भी कहा था कि गेंद अधिक नरम होने के कारण गेंदबाजी में परेशानी हुई। ब्रॉड ने कहा था कि ड्यूक्स बॉल अब वैसी नहीं रही जैसी पहले हुआ करती थी। मैच के दौरान कई बार ऐसा हुआ जब गेंद का आकार बदल गया। कुछ खिलाड़ियों ने यह भी कहा कि गेंद बहुत जल्दी नरम हो रही है। इस वजह से गेंदबाजों को स्विंग और सीम मूवमेंट हासिल करने में परेशानी ल हो रही है। ईसीबी अब इन सभी शिकायतों को ध्यान में रखते हुए ड्यूक्स बॉल बनाने वाली कंपनी के साथ मिलकर काम करेगा। वे यह पक्का करना चाहते हैं कि आगे से टेस्ट मैचों में अच्छी गुणवत्ता की गेंद का प्रयोग हो।
वहीं इंग्लैंड एवं वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ईसीबी) अब इस्तेमाल की गई ज्यादा से ज्यादा गेंदों को इस सप्ताह के अंत तक ड्यूक्स गेंद बनाने वाली कंपनी को लौटा देगा जिससे वह इनकी जांच करेगी। ड्यूक्स बनाने वाली कंपनी ‘ब्रिटिश क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड’ के प्रमोटर ने कहा, ‘‘हम इन इस्तेमाल हुई गेंदों का निरीक्षण करेंगे और फिर इसके निर्माण से जुड़े लोगों से बातचीत करेंगे। हम इस मामले में जो भी जरूरी होगा वह कदम उठायेंगे। इसकी समीक्षा में अगर हमें लगेगा कि कुछ बदलाव करने की जरूरत है, तो हम वह भी करेंगे।’’
गौरतब है कि पांच मैचों की इस सीरीज के दौरान मैदानी अंपायरों को नियमित रूप से गेंदों को बदलना पड़ा क्योंकि वे जल्दी नरम हो जा रही थीं। गेंद लगभग 30 ओवर के प्रयोग के बाद ही खराब हो जा रही थी। इस पूरी प्रक्रिया के कारण मैचों में देरी भी हुई। गौरतलब है कि टेस्ट सीरीज के लिए इस्तेमाल होने वाली गेंद का फैसला मेजबान बोर्ड करता है। इंग्लैंड में ड्यूक्स गेंद का उपयोग किया जाता है जबकि भारत में टेस्ट मैच एसजी गेंद से खेले जाते हैं। वहीं ऑस्ट्रेलिया में कूकाबूरा की गेंद रहती है। ड्यूक्स गेंद का उत्पादन 1760 से हो रहा है पर हाल में काउंटी क्रिकेट में भी उसकी शिकायतें आई हैं।