लखनऊ, (वेब वार्ता)। लखनऊ सुपरजाइंट्स और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के बीच खेले गए मैच में विराट कोहली और गौतम गंभीर की लड़ाई सुर्खियों में है। लखनऊ और आरसीबी के बीच यह मैच इकाना स्टेडियम में खेला गया था। इस मैच में आरसीबी ने पहले बल्लेबाजी करते हुए सिर्फ 126 रन का स्कोर खड़ा किया था जिसे उसने डिफेंड कर लिया। इस दौरान विराट कोहली और लखनऊ की ओर से खेलने वाले नवीन उल हक के बीच नोक झोंक देखने को मिली।
हालांकि नवीन के साथ बल्लेबाजी कर रहे सीनियर प्लेयर अमित मिश्रा ने इस नोक झोंक को शांत करा दिया लेकिन मामला गर्म होना तो अभी बाकी था। मैच में लखनऊ की टीम को हार मिली। इसके बाद खिलाड़ी एक दूसरे से हाथ मिलाने मैदान पर आए। लखनऊ के मेंटोर गौतम गंभीर भी खिलाड़ियों के साथ थे कि, तभी अचानक कोहली कुछ बोले जिस पर गंभीर ने पलट कर जवाब दे दिया।
दोनों के बीच बातचीत काफी गरमा गरमी भरा रहा। इस बीच कोहली और गंभीर के बीच धक्का मुक्की होते-होते रह गया। मैदान पर मौजूद अंपायर और दोनों टीमों के खिलाड़ियों ने इन दोनों को शांत कराया और उन्हे वापस भेजा लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि लखनऊ के मेंटोर ने जिस तरह से अपना गुस्सा दिखाया वह कितना जायज था और एक मेंटोर होने के नाते उनका कर्तव्य बनता था।
कितना सही था गंभीर का रिएक्शन
सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है उसके शुरुआत में देखा जा सकता है कि गंभीर कायल मेयर्स को कोहली से अलग लेकर गए। यहां तक सब ठीक लग रहा था लेकिन अचानक गंभीर ने पीछे पलट कर विराट कोहली पर भड़क गए। खिलाड़ियों के बीच बचाव से वह शांत तो हो गए लेकिन उनके मेंटोर की छवि को नुकसान जरूर पहुंचा।
एक मेंटोर होने के नाते गंभीर का कर्तव्य बनता था कि जब खिलाड़ियों के बीच किसी तरह का कोई आपसी विवाद हो तो उसे सुलझाने में मदद करे ना वह खुद लड़ने पहुंच जाए। मेंटोर टीम को एक सही और दिशा में ले जाने का काम करें लेकिन आरसीबी के खिलाफ गंभीर का जो रिएक्शन था वह कहीं ना कहीं एक मेंटोर के छवि को धूमिल करता है।
यही पहली बार नहीं है जब गौतम गंभीर की मैदान पर लड़ाई हुई है। गंभीर और विराट 2013 में भी आईपीएल मैच के दौरान लड़ चुके हैं। इसके अलावा पाकिस्तान के पूर्व कप्तान शाहिद अफरीदी के साथ उनकी मैच के दौरान लड़ाई हो चुकी है।