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भारतीय टीम को महिला अंडर-19 विश्व चैंपियन बनाने वाले खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर नजर

कुआलालंपुर, (वेब वार्ता)। भारत की युवा खिलाड़ियों ने महिला अंडर-19 टी20 विश्व कप में दमदार प्रदर्शन करते हुए लगातार दूसरी बार खिताबी जीत दर्ज की।

टूर्नामेंट में अपने प्रदर्शन से छाप छोड़ने वाली भारत की प्रमुख खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर एक नजर:

गोंगडी त्रिशा: भारतीय टीम की सफलता में सबसे बड़ा योगदान सलामी बल्लेबाज त्रिशा का रहा। हैदराबाद की इस हरफनमौला खिलाड़ी ने 77.25 की औसत से 309 रन बनाकर टूर्नामेंट के एक सत्र में सबसे ज्यादा रन बनाने का रिकॉर्ड कायम किया। उन्होंने इस दौरान एक शतक भी जड़ा।

त्रिशा ने बल्ले के साथ गेंद भी कमाल किया। उन्होंने अपनी लेग स्पिन से फाइनल में छह रन पर तीन विकेट के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए टूर्नामेंट में सात विकेट चटकाये। उनके प्रदर्शन ने डब्ल्यूपीएल टीमों को उन्हें नहीं चुनने के फैसले पर निराश किया होगा।

जी कमालिनी: तमिलनाडु के बाएं हाथ की इस सलामी बल्लेबाज ने सात पारियों में 47.66 की औसत से 143 रन बनाये। वह इस विश्व कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ियों की सूची में तीसरे स्थान पर रही।

उनके लिए टूर्नामेंट की शुरुआत अच्छी नहीं रही, लेकिन स्कॉटलैंड के खिलाफ सुपर सिक्स मुकाबले में कमालिनी ने 51 रनों की पारी खेली और सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ नाबाद 56 रन बनाये।

अंडर-19 एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ भारत के लिए 29 गेंदों में 44 रन की पारी खेलने के तुरंत बाद उन्हें डब्ल्यूपीएल नीलामी में शुरुआती सत्र की विजेता मुंबई इंडियंस ने 1.6 करोड़ रुपये में खरीदा था।

कमालिनी को शुरुआत में स्केटिंग करना पसंद था लेकिन वह अपने भाई के नक्शेकदम पर चलते हुए क्रिकेट खेलने लगी। उनके माता पिता ने अपने बच्चों के क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए मदुरै छोड़कर चेन्नई में रहने लगे।

वैष्णवी शर्मा: ग्वालियर की खब्बू गेंदबाज वैष्णवी ने 17 विकेट झटक कर महिला अंडर-19 विश्व कप के एक सत्र में सबसे ज्यादा विकेट चटकाने का रिकॉर्ड कायम किया।

उन्होंने शुरुआती मैच में मलेशिया के खिलाफ हैट्रिक के साथ पांच रन देकर पांच विकेट चटकाये। इस गेंदबाज ने श्रीलंका के खिलाफ तीन रन देकर एक, बांग्लादेश के खिलाफ 15 रन देकर तीन, स्कॉटलैंड के खिलाफ पांच रन देकर तीन, इंग्लैंड के खिलाफ 23 रन देकर तीन और फाइनल में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 23 रन देकर दो विकेट लिये।

आयुषी शुक्ला: क्रिकेट में कहावत है कि गेंदबाज जोड़ी बनाकर शिकार करते हैं और आयुषी ने मलेशिया के खिलाफ वैष्णवी साथ इसी तरह का कारनामा किया। उन्होंने स्कॉटलैंड के खिलाफ आठ रन देकर चार विकेट लिये। आयुषी ने सात मैचों में कुल 14 विकेट लिए।

सानिका चालके: मुंबई की सानिका रविवार को विजयी रन बनाने वाली खिलाड़ी थीं। उन्होंने मोनालिसा लेगोडी की गेंद पर चौका लगाकर भारत को खिताबी जीत दिलाई। टीम की उपकप्तान सानिका ने मध्य क्रम में महत्वपूर्ण पारियों के साथ भारतीय सलामी बल्लेबाजों का अच्छे से समर्थन किया।

पारुणिका सिसोदिया: इस विश्व कप में भारतीयों ने गेंदबाजी में जो दबदबा कायम किया उसमें वैष्णवी और आयुषी के साथ पारुणिका ने भी अहम भूमिका निभाई। इस वामहस्त स्पिनर ने टूर्नामेंट में 10 विकेट चटकाये। डब्ल्यूपीएल में गुजरात जायंट्स की टीम से जुड़ने वाली इस गेंदबाज ने सेमीफाइनल में छह रन देकर दो और फाइनल में 21 रन देकर तीन विकेट चटकाये। वह टूर्नामेंट में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाजों की सूची में चौथे स्थान पर रही।

वीजे जोशीता: केरल की जोशीता शुरुआती ओवरों में प्रतिद्वंद्वी टीमों के बल्लेबाजों को रन बनाने का मौका नहीं दिया। उन्होंने छह मैचों में छह विकेट चटकाये।

शबनम शकील: विशाखापत्तनम की 17 वर्षीय शबनम दक्षिण अफ्रीका में खेले गये पिछले विश्व कप विजेता अभियान की सदस्य थी। उन्होंने नई गेंद से शानदार गेंदबाजी करते हुए सात मैचों में चार विकेट लिए।

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वेब वार्ता समाचार एजेंसी

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