Sunday, August 10, 2025
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विश्व संस्कृत दिवस 2025: प्रधानमंत्री मोदी ने दी शुभकामनाएं, जानिए इतिहास, महत्व और सरकार के प्रयास

-विश्व संस्कृत दिवस 2025: प्रधानमंत्री मोदी ने दी शुभकामनाएं

नई दिल्ली , (वेब वार्ता)। भारत की प्राचीनतम और समृद्ध भाषाओं में से एक संस्कृत न केवल भारतीय संस्कृति की आत्मा मानी जाती है, बल्कि इसे ज्ञान, विज्ञान, दर्शन और आध्यात्म का शाश्वत स्रोत भी कहा जाता है। इसी भाषा के महत्व और विरासत को सम्मान देने के लिए हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन विश्व संस्कृत दिवस मनाया जाता है।
इस वर्ष, 09 अगस्त 2025 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रियों और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने देशवासियों को इस अवसर पर शुभकामनाएं दीं और संस्कृत के संरक्षण व प्रसार के लिए संकल्प लेने का आह्वान किया।


विश्व संस्कृत दिवस का इतिहास

विश्व संस्कृत दिवस मनाने की शुरुआत 1969 में हुई थी। इसका उद्देश्य था संस्कृत भाषा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाना, इसे सीखने के लिए प्रेरित करना और इसकी प्राचीन ज्ञान परंपरा को संरक्षित करना।

  • प्रथम आयोजन: 1969, भारत सरकार द्वारा

  • तारीख: हर साल श्रावण पूर्णिमा के दिन (रक्षाबंधन के दिन)

  • उद्देश्य: संस्कृत भाषा के संरक्षण, संवर्धन और लोकप्रियता को बढ़ावा देना


प्रधानमंत्री मोदी का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर हिंदी, अंग्रेजी और संस्कृत में संदेश साझा किया। उन्होंने संस्कृत को “ज्ञान और अभिव्यक्ति का एक शाश्वत स्रोत” बताया और लिखा—

“यह दिन दुनियाभर में संस्कृत सीखने और इसे लोकप्रिय बनाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के प्रयासों की सराहना करने का सुअवसर है।”

मोदी ने बताया कि उनकी सरकार ने पिछले एक दशक में संस्कृत को लोकप्रिय बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं—

  • केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना

  • संस्कृत शिक्षण केंद्रों का विस्तार

  • संस्कृत विद्वानों को अनुदान

  • ज्ञान भारतम मिशन के तहत पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण


अन्य नेताओं के शुभकामना संदेश

धर्मेंद्र प्रधान (केंद्रीय शिक्षा मंत्री)

उन्होंने संस्कृत को “हमारी संस्कृति, सभ्यता और संस्कार का मूल आधार” बताया और इसे लोक व्यवहार का हिस्सा बनाने का संकल्प लेने की बात कही।

योगी आदित्यनाथ (मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश)

योगी ने संस्कृत को “भारत की आत्मा की अभिव्यक्ति और सनातन ज्ञान का अनंत स्रोत” बताया और दैनिक जीवन में इसके प्रयोग का संकल्प लेने का आग्रह किया।

रेखा गुप्ता (मुख्यमंत्री, दिल्ली)

रेखा गुप्ता ने कहा कि संस्कृत ने न केवल भारतीय संस्कृति को आकार दिया, बल्कि विश्वभर के ज्ञान क्षेत्रों में योगदान दिया। उन्होंने इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य धरोहर बनाए रखने का आह्वान किया।


संस्कृत का सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व

1. सांस्कृतिक विरासत का आधार

संस्कृत वेदों, उपनिषदों, महाकाव्यों और पुराणों की भाषा है। रामायण, महाभारत और भगवद्गीता जैसे ग्रंथ इसी भाषा में लिखे गए।

2. वैज्ञानिक दृष्टिकोण

संस्कृत को दुनिया की सबसे व्यवस्थित और व्याकरणिक रूप से सटीक भाषाओं में गिना जाता है। नासा समेत कई शोध संस्थानों ने इसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और AI के लिए उपयुक्त माना है।

3. आध्यात्मिक और दार्शनिक महत्व

संस्कृत में योग, ध्यान और आयुर्वेद से जुड़े हजारों श्लोक और सूत्र उपलब्ध हैं, जो आज भी प्रासंगिक हैं।


सरकार के प्रयास और योजनाएं

भारत सरकार ने संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए कई कदम उठाए हैं—

  • केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली

  • राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान

  • संस्कृत पांडुलिपि आयोग

  • ऑनलाइन संस्कृत कोर्स और डिजिटल लाइब्रेरी

  • स्कूल पाठ्यक्रम में संस्कृत को वैकल्पिक और अनिवार्य भाषा के रूप में शामिल करना


संस्कृत सीखने के आधुनिक साधन

  • मोबाइल ऐप्स (Speak Sanskrit, Samskrita Bharati)

  • ऑनलाइन कोर्स (IGNOU, Central Sanskrit University)

  • यूट्यूब चैनल और पॉडकास्ट

  • संस्कृत न्यूज चैनल (DD News Sanskrit)


निष्कर्ष

विश्व संस्कृत दिवस सिर्फ एक औपचारिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमारी जड़ों, परंपराओं और ज्ञान परंपरा को जीवित रखने का संकल्प भी है। प्रधानमंत्री मोदी और अन्य नेताओं के संदेश यह दर्शाते हैं कि संस्कृत का संरक्षण न केवल सांस्कृतिक दायित्व है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक बौद्धिक और आध्यात्मिक धरोहर भी है।

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