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Saturday, September 23, 2023

कराहती कानून व्यवस्था ने विवादों के निपटारे की समय सीमा को किया प्रभावित… जस्टिस हिमा कोहली ने ऐसा क्यों कहा

नई दिल्ली। हाई कोर्ट की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने शनिवार को कहा कि न्याय का मूल तत्व विवादों के त्वरित निपटारे में निहित होता है लेकिन ‘कराहती कानूनी व्यवस्था’ ने विवादों के निपटारे की समय सीमा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि कानून का शासन किसी भी लोकतांत्रिक समाज की आधारशिला है और वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) के विभिन्न तरीकों ने मामलों के त्वरित समाधान के द्वार खोल दिए हैं।

न्यायमूर्ति कोहली ने यहां मानेकशॉ ऑडिटोरियम में ‘इंस्टीट्यूट ऑफ मिलिट्री लॉ’ द्वारा आयोजित एक सेमिनार ”ऑन इवोल्यूशन एंड फ्यूचर ऑफ मिलिट्री ज्यूरिसप्रूडेंस – एन इंडियन आर्मी पर्सपेक्टिव” में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने सशस्त्र बल न्यायाधिकरण (एएफटी) पीठों में रिक्तियों और शीर्ष अदालत के ऐतिहासिक फैसले सहित कई मुद्दों पर बात की। उन्होंने कहा, ‘न्याय का मूल तत्व विवादों के त्वरित निपटारे में निहित होता है लेकिन ”कराहती कानूनी व्यवस्था” ने विवादों के निपटारे की समय सीमा को गंभीर रूप से प्रभावित किया है।’

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि सैन्य न्याय व्यवस्था को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सैन्य अदालतों द्वारा आयोजित किसी भी मुकदमे के हर चरण में कानून के शासन और नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि कानून का शासन सभी नागरिकों के लिए एक गारंटी है, भले ही उनकी सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए एक आश्वासन है कि वे कानून द्वारा संरक्षित हैं और उन्हें तब न्याय मांगने का अधिकार है, जब भी संविधान और कानूनों में निहित उनके अधिकारों का उल्लंघन होता है।

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा, ‘कानून के शासन का अर्थ है कि सरकार, वैधानिक प्राधिकरणों और संगठनों को अपने कार्यों का निर्वहन इस तरह करना चाहिए जिससे सभी व्यक्ति की गरिमा बनी रहे।’ न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि हाल में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने एएफटी में 23 रिक्तियों को भरने के लिए नियुक्तियों को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा, ”उम्मीद है कि इस कदम से मामलों की लगातार बढ़ती संख्या को कम करने में मदद मिलेगी।”

उन्होंने कहा कि प्रभावी, कुशलतापूर्वक और निर्बाध रूप से कार्य करने के लिए एएफटी को पर्याप्त बुनियादी ढांचा, उन्नत तकनीक और कर्मचारी प्रदान करना अनिवार्य है। न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि महिलाओं को स्थायी कमीशन की पेशकश से एक स्पष्ट संदेश जाता है कि सशस्त्र बल महिलाओं के योगदान को महत्व देते हैं और संगठन महिलाओं को उनके पुरुष समकक्षों के समान कैरियर में उन्नति के एक जैसे अवसर प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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