नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारतीय राजनीति की महान विभूति और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज की छठी पुण्यतिथि पर आज पूरा देश उन्हें श्रद्धापूर्वक याद कर रहा है। देश की पूर्व विदेश मंत्री, प्रखर वक्ता और जनसेवा की प्रतीक रहीं सुषमा स्वराज को भाजपा नेताओं, कार्यकर्ताओं और आम जनता ने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
👉 भाजपा नेताओं ने किया स्मरण
देश के कई प्रमुख नेताओं ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर सुषमा जी के जीवन और उनके अतुलनीय योगदान को याद करते हुए पोस्ट किए।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने उन्हें ‘भाजपा की वरिष्ठ नेता एवं पद्म विभूषण से सम्मानित जननेता’ बताते हुए कहा कि सुषमा जी का जीवन हमेशा राष्ट्रहित को समर्पित रहा। उन्होंने लिखा –
“उनकी कार्यशैली, सौम्यता और भाषण की ओजस्विता आज भी हमारे दिलों में गूंजती है। वे भारतीय राजनीति की गरिमा थीं।”
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सुषमा स्वराज को उनकी ओजस्वी वाणी, गहन ज्ञान और मधुर स्वभाव के लिए याद किया। उन्होंने कहा कि,
“सुषमा जी ने भारतीय राजनीति में उच्चतम मानदंड स्थापित किए, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा हैं। उनकी निष्ठा और राष्ट्रभक्ति का भाव अतुलनीय था।”
गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा कि,
“सुषमा जी ओजस्वी वक्ता, कुशल प्रशासक और प्रभावशाली नेता थीं। विदेश मंत्री के रूप में उनका कार्यकाल भारतीयों के लिए सुरक्षा और गरिमा का प्रतीक बन गया था। उनकी स्मृतियां हमारे साथ हैं।”
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें ‘सौम्यता और सादगी की मिसाल’ बताया और कहा कि,
“सुषमा स्वराज ने संगठन को मजबूत करने में जो भूमिका निभाई, वह अद्वितीय थी। उनका योगदान राष्ट्र निर्माण में हमेशा अमिट रहेगा।”
शिवराज सिंह चौहान ने सुषमा जी को ‘श्रद्धेय दीदी’ कहते हुए लिखा,
“उनके जाने को छह साल हो गए, पर आज भी उनकी उपस्थिति महसूस होती है। उनकी मातृत्व स्नेहिल भावना और निर्णायक नेतृत्व प्रेरणास्रोत हैं। हम उनके दिखाए मार्ग पर चलकर उनके सपनों का भारत बनाएंगे।”
👉 सुषमा स्वराज : एक प्रेरणास्पद जीवन यात्रा
सुषमा स्वराज न केवल राजनीति में बल्कि सामाजिक कार्यों, महिला सशक्तिकरण और विदेश नीति में भी अनुकरणीय नेतृत्व की प्रतीक रहीं। वे पहली महिला विदेश मंत्री बनीं जिन्होंने विदेशों में बसे भारतीयों की सहायता के लिए सोशल मीडिया का भी अत्यधिक उपयोग किया। उनका संवाद कौशल, मानवीय संवेदनाएं और संकट की घड़ी में तत्परता उन्हें एक अलग पहचान देती थीं।
उनका निधन 6 अगस्त 2019 को दिल्ली में हुआ था, लेकिन उनका जीवन आज भी लाखों लोगों के लिए एक प्रेरणा बना हुआ है।