नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। उच्चतम न्यायालय ने वीर सावरकर पर विवादास्पद बयान देने के मामले में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी को दी गई राहत जारी रखते हुए निचली अदालत के समन पर शुक्रवार को अंतरिम रोक की अवधि अगली सुनवाई तक बढ़ा दी।
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने कांग्रेस नेता गांधी की विशेष अनुमति याचिका पर यह आदेश पारित करते हुए कहा कि वह इससे मामले में चार सप्ताह बाद अगली सुनवाई करेगी।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने निचली अदालत के समन पर रोक लगाने से इनकार करने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को विशेष अनुमति याचिका के जरिए चुनौती दी है। अपनी याचिका में उन्होंने सावरकर पर उनकी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी को लेकर शुरू किए गए आपराधिक मानहानि मामले को रद्द करने के साथ-साथ निचली अदालत और उच्च न्यायालय के आदेशों सवाल किया है।
श्री गांधी ने अधिवक्ता प्रसन्ना एस के माध्यम से दायर अपनी याचिका में दलील दी है कि शिकायत और निचली अदालत (मजिस्ट्रेट) का आदेश धारा 153 ए और 505 भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत किसी भी अपराध का खुलासा नहीं करता है।
याचिका में यह भी कहा गया है कि मजिस्ट्रेट का संज्ञान आदेश स्पष्ट रूप से त्रुटिपूर्ण है। यह शीर्ष न्यायालय द्वारा स्थापित कानून के विपरीत है।
याचिका में दलील दी गई है कि उनकी (राहुल गांधी) टिप्पणियाँ एक राजनीतिक भाषण का हिस्सा थीं। इसका उद्देश्य किसी भी तरह से शत्रुता या घृणा फैलाना नहीं था।
याचिका में यह भी कहा गया है कि उनके खिलाफ अदालती कार्यवाही वास्तव में उनकी स्वतंत्रता को बाधित करने का एक प्रयास है।
दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश सरकार ने श्री गांधी पर लगाए गए आरोपों के संबंध जारी अदालती समन का समर्थन किया है। राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत के समक्ष एक हलफनामा के जरिए अपना जवाब दाखिल किया है।