नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) समिट की मेजबानी जुलाई के महीने में भारत करेगा. इसका आयोजन फेस टू फेस नहीं बल्कि वर्चुअल माध्यम में होगा. यानी सभी देश केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़ेंगे. आखिरी ऐसा करने की क्या जरूरत थी? इस वक्त तो कोरोना महामारी का खतरा भी नहीं है. फिर भारत ने इसे वर्चुअली कराने का फैसला क्यों किया? विदेश मंत्रालय की तरफ से इस सवाल का जवाब दिया गया है.
30 मई को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया था कि 4 जुलाई को SCO समिट का आयोजन वर्चुल माध्यम से होगा. तब यह नहीं बताया गया था कि आखिर क्यों इसे वर्चुअली कराया जा रहा है. ऐसे में साप्ताहिक मीटिंग में इस संबंध में सवाल किए गए. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने बताया कि भारत की तरफ से कभी इस बात की घोषणा की ही नहीं गई थी कि यह समिट फेस टू फेस होगा.
विदेश मंत्रलाय की सफाई
अरिंदम बागची ने कहा, “जैसा कि आप जानते हैं कि कई अंतरराष्ट्रीय समिट बीते कुछ समय में वर्चुअल माध्यम से आयोजित किए गए हैं. किसी एक फैक्टर के आधार पर इसे वर्चुअली नहीं कराया जा रहा है. कई चीजों को मद्देनजर रखते हुए हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि SCO समिट का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से होगा. इसके लिए तैयारियां की जा रही हैं. हमें आशा है कि समिट के अच्छे नतीजे निकलेंगे.”
जब वर्चुअल समिट के संबंध में और सवाल किए गए तो उन्होंने कहा, “मुझे इस बात की जानकारी नहीं है कि कब यह कहा गया था कि SCO समिट का आयोजन सभी की मौजूदगी में होगा. हमने अपने सभी SCO पार्टनर को बता दिया है कि इसका आयोजन वर्चुअल माध्यम से 4 जुलाई को होगा. हम उम्मीद करते हैं कि सभी सदस्य इसमें हिस्सा लेंगे.”
क्यों वर्चुअली आयोजित हो रहा है SCO समिट?
विदेश मंत्रालय की तरफ से इस संबंध में कोई सही जानकारी तो नहीं दी गई है लेकिन सच्चाई यह है कि पाकिस्तान और चीन की वजह से भारत SCO समिट का आयोजिन वर्चुअल माध्यम से करा रहा है. दरअसल, मौजूदा वक्त में भारत और चीन के संबंध खास अच्छे नहीं हैं. पाकिस्तान के साथ भी कड़वे रिश्ते किसी से छुपे नहीं हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं चाहते कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भारत का दौरा करें.