नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। रक्षाबंधन का त्योहार भारत की संस्कृति और परंपरा में विशेष स्थान रखता है। भाई-बहन के रिश्ते में प्रेम, विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक यह पर्व हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को देशभर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इसी पावन अवसर पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री रह चुकीं साध्वी निरंजन ज्योति ने भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को राखी बांधकर इस पर्व की महत्ता को और प्रगाढ़ कर दिया।
💠 परंपरा और भावनाओं का संगम
राखी बांधने के बाद साध्वी निरंजन ज्योति ने कहा,
“रक्षाबंधन का धागा केवल एक धागा नहीं है, बल्कि यह भाई-बहन के प्यार, विश्वास और अटूट रिश्ते का प्रतीक है। इसका उल्लेख प्राचीन काल से मिलता है, जब मां लक्ष्मी ने राजा बाली के हाथ में राखी बांधकर भगवान विष्णु से उनके संरक्षण का वचन लिया था।”
साध्वी ने इस अवसर पर यह भी साझा किया कि उनका और नकवी का रिश्ता राजनीति से परे, दिल से दिल का रिश्ता है। भाजपा में आने से पहले ही वह नकवी को अपने भाई की तरह मानने लगी थीं। उन्होंने कहा,
“मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि हर भाई-बहन का रिश्ता यूं ही अटूट बना रहे। यह हमारी भारतीय संस्कृति की आत्मा है, जो परिवार को जोड़े रखती है।”
💠 निजी जीवन की झलक
अपने जीवन के संघर्षों का जिक्र करते हुए साध्वी निरंजन ज्योति ने बताया कि वह एक साधारण ग्रामीण परिवार से आती हैं, जहां बचपन में बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं थीं। भाजपा में सक्रिय रहते हुए उन्हें नकवी जैसे भाई और पार्टी के कई अग्रजों का स्नेह मिला। उन्होंने भावुक होकर कहा,
“हर बहन के लिए उसका भाई ईश्वर का सबसे बड़ा वरदान होता है। चाहे कितनी भी व्यस्तता हो, मैं अपने हाथों से नकवी को राखी बांधने की कोशिश करती हूं।”
उन्होंने एक प्रसिद्ध भजन की पंक्ति — “कई जन्मों से बुला रहे हो, कोई तो रिश्ता जरूर होगा” — का उल्लेख कर अपने और नकवी के रिश्ते की गहराई को व्यक्त किया।
💠 मुख्तार अब्बास नकवी का सम्मान और संदेश
इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी साध्वी निरंजन ज्योति को “दीदी” संबोधित करते हुए उनके आशीर्वाद और योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा,
“दीदी जहां भी हों, रक्षाबंधन के दिन अपना आशीर्वाद देती हैं। सनातन आस्था विश्व की सबसे पुरानी और महान आस्था है, जो अनेकता में एकता का संदेश देती है।”
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के संकल्प का उल्लेख करते हुए कहा कि साध्वी निरंजन ज्योति गांव, गरीब, किसान और कमजोर वर्गों के लिए लगातार जमीनी स्तर पर काम कर रही हैं।
💠 रक्षाबंधन का सांस्कृतिक महत्व
रक्षाबंधन का इतिहास केवल पौराणिक कथाओं तक सीमित नहीं है। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते में विश्वास, सम्मान और सुरक्षा का संदेश देता है। प्राचीन समय से लेकर आज तक, इस परंपरा ने समाज में भाईचारे और एकता की भावना को मजबूत किया है।
💠 निष्कर्ष
साध्वी निरंजन ज्योति और मुख्तार अब्बास नकवी के इस रक्षाबंधन मिलन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि रिश्ते केवल रक्त संबंधों से नहीं, बल्कि भावनाओं और संस्कारों से भी जुड़ते हैं। राजनीति से परे यह भावनात्मक पल भारतीय संस्कृति की उस गहरी जड़ों का प्रतीक है, जो समय के साथ और मजबूत होती जाती हैं।