नई दिल्ली, 25 जुलाई (वेब वार्ता)। दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित “ओबीसी नेतृत्व भागीदारी न्याय सम्मेलन” में कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने एक ऐतिहासिक और आत्मविश्लेषणात्मक वक्तव्य दिया। उन्होंने खुलकर स्वीकार किया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में जातिगत जनगणना (Caste Census) न कराना एक “बड़ी गलती” थी, जिसे अब वह सुधारने का वादा करते हैं।
“यह कांग्रेस की नहीं, मेरी व्यक्तिगत गलती थी” – राहुल गांधी
राहुल गांधी ने कहा,
“मुझे राजनीति करते हुए 21 साल हो चुके हैं। मैंने कुछ अच्छी चीज़ें कीं जैसे – मनरेगा, भूमि अधिग्रहण कानून और नियमगिरी की लड़ाई। लेकिन मैंने एक बड़ी गलती की कि ओबीसी वर्ग की गहराई से समझ नहीं बना पाया और जातिगत जनगणना उस समय करवा नहीं सका।”
राहुल गांधी ने साफ शब्दों में कहा कि यह सिर्फ कांग्रेस की नहीं, उनकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी थी और अब वे इसे दोहराएंगे नहीं। उन्होंने कहा कि अब उनका संकल्प है कि देश में जातिगत जनगणना अनिवार्य रूप से करवाई जाएगी ताकि समाज के हाशिए पर खड़े वर्गों को उनका अधिकार और सम्मान मिल सके।
जातिगत जनगणना क्यों है ज़रूरी?
राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि जातिगत जनगणना केवल आंकड़े जुटाने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और भागीदारी का आधार है। उन्होंने कहा कि जब देश की 90% आबादी — ओबीसी, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक — देश चलाने में मदद करती है, तो नीति निर्माण में भी उनकी बराबर भागीदारी होनी चाहिए।
“हलवा आप बनाते हो लेकिन खाते कोई और हैं। अब वो नहीं चलेगा।”
प्रियंका गांधी का समर्थन और राहुल गांधी की प्रतिबद्धता
राहुल गांधी ने कहा कि प्रियंका गांधी गवाही देंगी कि “अगर मैं कोई चीज़ ठान लूं तो उसे छोड़ता नहीं हूं।” उन्होंने आश्वासन दिया कि यह केवल राजनीतिक बयान नहीं बल्कि उनका संकल्प (Commitment) है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि जिस तरह कांग्रेस ने तेलंगाना में ओबीसी वर्गों को सम्मान और राजनीतिक भागीदारी दी, वैसा ही मॉडल पूरे देश में लागू किया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषण: कांग्रेस की नई रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र कांग्रेस अब “Social Justice + Caste Census” को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बना रही है। राहुल गांधी का यह बयान साफ तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के खिलाफ एक मजबूत सामाजिक-राजनीतिक अभियान की शुरुआत है।
इसके अलावा, कांग्रेस अब भाजपा को उस मोर्चे पर चुनौती देना चाहती है, जहां भाजपा खुद को मजबूत समझती थी — हिंदुत्व बनाम सामाजिक न्याय।
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