नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी द्वारा मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों और निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने के बाद सियासी संग्राम तेज हो गया है। राहुल के इस मुद्दे पर INDIA ब्लॉक के सहयोगी दल खुलकर उनके समर्थन में उतर आए हैं, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस के इतिहास का हवाला देते हुए विपक्ष पर पलटवार किया है।
INDIA ब्लॉक के नेताओं ने दी राहुल को खुली समर्थन
राज्यसभा सांसद महुआ माजी ने कहा कि राहुल गांधी ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए ठोस तथ्यों के साथ मतदाता सूची में गड़बड़ियों का खुलासा किया।
“ये तथ्य पूरी तरह पारदर्शी हैं, कोई भी इन्हें जांच सकता है। चुनाव आयोग को मतदाता सूची ऑनलाइन करनी चाहिए ताकि लोग आसानी से देख सकें कि एक व्यक्ति के नाम पर कितने वोटर आईडी हैं। प्रिंटेड सूचियां आम जनता के लिए जांचना मुश्किल है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि अगर केंद्र सरकार वास्तव में आयोग को निष्पक्ष मानती है, तो इस मामले में हस्तक्षेप करने से क्यों बच रही है। अगर राहुल गांधी के दावे गलत हैं, तो सरकार को सबूतों के साथ यह साबित करना चाहिए।
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने कहा कि उनकी पार्टी ने संसद में इस मुद्दे पर सामान्य प्रस्ताव के तहत चर्चा की मांग की, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि 2024 लोकसभा चुनाव में एक विधानसभा क्षेत्र में एक लाख फर्जी वोट बनाकर जीत सुनिश्चित की गई। टैगोर ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की और गृह मंत्री अमित शाह पर आरोप लगाया कि “चुने हुए लोग” चुनाव आयोग को चला रहे हैं, जिससे उसकी निष्पक्षता खत्म हो चुकी है।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव का उदाहरण
राज्यसभा सांसद संजय यादव ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कथित धांधली का हवाला देते हुए कहा कि वीडियो साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने सवाल किया —
“अगर आयोग की मंशा साफ है, तो वह 65 लाख मतदाताओं के नाम काटने का कारण सार्वजनिक क्यों नहीं करता? हर हटाए गए मतदाता का एपिक नंबर, नाम और कारण स्पष्ट होना चाहिए, जैसे कि व्यक्ति मृत है या अन्यत्र स्थानांतरित हो गया है।”
यादव ने आरोप लगाया कि आयोग सवालों के सीधे जवाब देने के बजाय प्रक्रिया को जटिल बना रहा है, जो “गलत मंशा” का संकेत देता है।
भाजपा का पलटवार — इंदिरा गांधी के समय का हवाला
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताया और 1980 का उदाहरण देते हुए कहा कि उस समय इंदिरा गांधी के शासन में 500 से अधिक स्थानों पर बूथ कैप्चरिंग और वोट चोरी हुई थी।
दुबे ने आरोप लगाया कि विपक्ष उसी तरह का माहौल वापस लाना चाहता है, जिससे अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी और महिलाओं के वोटिंग अधिकार प्रभावित हों।
“विपक्ष के सलाहकार उन्हें गलत दिशा में ले जा रहे हैं और लोकतंत्र को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे हैं।”
निष्पक्ष चुनाव बनाम राजनीतिक टकराव
राहुल गांधी के आरोपों और भाजपा के पलटवार ने चुनावी पारदर्शिता और आयोग की भूमिका पर नई बहस छेड़ दी है। जहां विपक्ष का कहना है कि यह लोकतंत्र और मतदाता अधिकारों की रक्षा का सवाल है, वहीं भाजपा का तर्क है कि विपक्ष केवल चुनावी माहौल को बिगाड़ने और अविश्वास फैलाने की कोशिश कर रहा है।