नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस बार चुनाव आयोग (ECI) पर तीखी टिप्पणी की है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर साझा किए गए वीडियो में राहुल गांधी ने दावा किया कि उन्हें “मृत लोगों के साथ चाय पीने” का अनोखा अनुभव मिला — यह संदर्भ उन बिहार निवासियों के नामों का है जिन्हें मतदाता सूची में मृतअंकित कर दिया गया था, जबकि वे जीवित हैं।
राहुल गांधी ने कहा, “जीवन में बहुत दिलचस्प अनुभव हुए हैं, लेकिन कभी मृत लोगों के साथ चाय पीने का मौका नहीं मिला। इस अनोखे अनुभव के लिए धन्यवाद, चुनाव आयोग!” यह वीडियो वायरल हो गया है और मतदाता सूची की पारदर्शिता और सटीकता पर बहस को फिर से तेज कर दिया है।
जीवन में बहुत दिलचस्प अनुभव हुए हैं,
लेकिन कभी ‘मृत लोगों’ के साथ चाय पीने का मौका नहीं मिला था।इस अनोखे अनुभव के लिए, धन्यवाद चुनाव आयोग! pic.twitter.com/Rh9izqIFsD
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) August 13, 2025
परिप्रेक्ष्य: बिहार की स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) प्रक्रिया
यह घटना बिहार में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिविज़न (SIR) प्रक्रिया से जुड़ी है। यह प्रक्रिया आगामी चुनावों से पहले मतदाता सूची को अद्यतन और साफ़ करने के लिए है। इस दौरान, राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में कई मतदाताओं को “मृत” या “प्रवासित” के रूप में चिह्नित किया गया, जबकि वे जीवित थे।
राहुल गांधी ने इन लोगों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की, उनके साथ चाय पी और बातचीत की, ताकि इस प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं को उजागर किया जा सके।
नामित लोग और उनकी प्रतिक्रिया
वीडियो में दिखाए गए लोगों में से एक, मिंटू पासवान ने बताया कि वह अपने नाम को मृत घोषित किए जाने से हैरान हैं। उन्होंने कहा, “मैं जीवित हूं, काम कर रहा हूं, और यहां रह रहा हूं। मेरा नाम कैसे हटा दिया गया?” अन्य लोगों ने भी ऐसे अनुभव साझा किए और चिंता व्यक्त की कि उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं मिलेगा।
राहुल गांधी की यह पहल प्रतीकात्मक नहीं थी, बल्कि यह इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करने का एक व्यावहारिक प्रयास था।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस ने चुनाव आयोग पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसी त्रुटियां विशेष रूप से विपक्ष समर्थक समुदायों को प्रभावित करती हैं। युवा कांग्रेस ने दिल्ली में आयोग मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन किया और बैनर पर लिखा: “Vote Chor Commission”।
कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा, “यह केवल सामान्य प्रशासनिक त्रुटि नहीं है। यह मतदाताओं को बहिष्कृत करने का प्रयास है।” उन्होंने सभी गलत तरीके से हटाए गए मतदाताओं को सूची में पुनः शामिल करने की मांग की।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया और चुनौतियां
चुनाव आयोग ने अभी तक इस मामले में विस्तृत जवाब नहीं दिया है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि SIR प्रक्रिया का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और डुप्लीकेट नाम हटाना है। आयोग का दावा है कि गलती के मामले दुर्लभ हैं और अधिकांश त्रुटियां पुराने रिकॉर्ड या गैर-जवाबदेही से उत्पन्न होती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रामीण और कम आय वाले क्षेत्रों में कई लोग सत्यापन तिथियों से अनजान हैं या समय पर चुनौती देने के साधन नहीं रखते।
लोकतंत्र और मतदाता अधिकारों पर बहस
राहुल गांधी की यह कार्रवाई भारत के लोकतंत्र में मतदाता अधिकारों और चुनावी निष्पक्षता पर बहस को फिर से जीवंत कर रही है। पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त एस. वाई. कुरैशी ने कहा था, “भारत जैसी विशाल प्रणाली में 1% त्रुटि भी लाखों लोगों को प्रभावित कर सकती है, और निकट मुकाबलों में परिणाम बदल सकती है।”
बिहार में सघन चुनावी मुकाबले को देखते हुए, प्रत्येक वोट की अहमियत और भी बढ़ जाती है।
जन प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर राहुल गांधी के इस अंदाज को लेकर मेम्स, टिप्पणियां और राजनीतिक बहस तेजी से फैली। कुछ समर्थकों ने उनकी रचनात्मकता की सराहना की, जबकि आलोचकों ने इसे theatrics बताया। X पर #DeadVoters, #VoteChori, और #RahulGandhi जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में इस गलती का असर गंभीर है। 62 वर्षीय लक्ष्मी देवी ने कहा, “वोट हमारा ही तरीका है अपनी बात कहने का। अगर यह छीन लिया गया तो क्या बचेगा?”
निष्कर्ष
राहुल गांधी की “मृत मतदाताओं के साथ चाय” की घटना एक व्यंग्य हो सकती है, लेकिन इसने मतदाता सूची की सटीकता और चुनाव आयोग की जवाबदेही पर गंभीर बहस को जन्म दिया है। चाहे यह सुधार की ओर ले जाए या राजनीति का नया अध्याय बने, फिलहाल राघोपुर के “मृत” मतदाता और उनकी चाय राष्ट्रीय चर्चा में हैं।