नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से बुधवार को भारतीय रक्षा संपदा सेवा (आईडीईएस), मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज (एमईएस) और केंद्रीय जल अभियांत्रिकी सेवा (सीडब्ल्यूईएस) के परिवीक्षाधीन अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने तीनों सेवाओं के अधिकारियों को संबोधित किया और राष्ट्र निर्माण में उनकी भूमिका को रेखांकित किया।
राष्ट्रपति ने आईडीईएस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि आज के तकनीकी युग में डिजिटल समाधानों का समावेश आवश्यक हो गया है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ड्रोन आधारित भूमि सर्वेक्षण, सैटेलाइट इमेजरी और ब्लॉकचेन तकनीक अब भविष्य की नहीं, बल्कि वर्तमान की वास्तविकताएं बन गयी हैं। राष्ट्रपति ने उनसे आग्रह किया कि वे हरित बुनियादी ढांचा विकास को अपनाएं, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करें, जल संरक्षण सुनिश्चित करें और अपव्यय को कम करें।
मिलिट्री इंजीनियर सर्विसेज के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सैन्य निर्माण के क्षेत्र में युवा एमईएस अधिकारी केवल निर्माणकर्ता नहीं, बल्कि उत्तरदायी निर्माता भी हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र के निर्माण कार्यों में सतत विकास को सुनिश्चित करना समय की मांग है। राष्ट्रपति ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ के तहत स्वदेशी तकनीकों और सामग्री को प्रोत्साहित करने के लिए एमईएस की सराहना की।
केंद्रीय जल अभियांत्रिकी सेवा के अधिकारियों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि जल संसाधनों का सतत विकास और प्रबंधन जल सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में। उन्होंने कहा कि स्वच्छ जल की उपलब्धता और जल संरक्षण न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाएंगे, बल्कि कृषि उत्पादकता भी बढ़ाएंगे और प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित उपयोग सुनिश्चित करेंगे।
उन्होंने सीडब्ल्यूईएस अधिकारियों से कहा कि वे जल संकटों से निपटने के लिए सुदृढ़ जल संरचनाओं और अभियांत्रिकी समाधानों के माध्यम से राष्ट्र को अधिक सशक्त और संवेदनशील बनाएं। राष्ट्रपति ने तीनों सेवाओं के अधिकारियों को राष्ट्र सेवा के उनके संकल्प के लिए शुभकामनाएं दीं और उन्हें अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता से निभाने की प्रेरणा दी।