नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया है। धनखड़ ने एक दिन पहले स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा सौंपा था, जिसे राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के तहत तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया है। इस इस्तीफे के बाद अब नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी हो रही है। इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा और उसके बाद चुनाव आयोग की ओर से इलेक्शन का शेड्यूल जारी होगा।
इस बीच धनखड़ के इस्तीफे की जानकारी मंगलवार को राज्यसभा को दी गई। गृह मंत्रालय ने संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के तहत जारी अधिसूचना में यह जानकारी दी कि उपराष्ट्रपति ने तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। राज्यसभा की बैठक जैसे ही मंगलवार दोपहर 12 बजे प्रश्नकाल के लिए शुरू हुई, सभापति की कुर्सी पर बैठे घनश्याम तिवाड़ी ने सदन को सूचित किया कि “गृह मंत्रालय, दिनांक 22 जुलाई 2025 की अधिसूचना के माध्यम से, भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफ़ा संविधान के अनुच्छेद 67 (ए) के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से स्वीकार किया गया है।” राज्यसभा की सुबह की बैठक के दौरान उपसभापति हरिवंश ने कहा, “भारत के उपराष्ट्रपति के पद में उत्पन्न हुई रिक्ति के संबंध में आगे की संवैधानिक प्रक्रिया की जानकारी यथासमय दी जाएगी।”
इस्तीफे में क्या बोले धनखड़?
जगदीप धनखड़ ने अपने इस्तीफे में लिखा था, “स्वास्थ्य देखभाल को प्राथमिकता देने और चिकित्सीय सलाह का पालन करने के लिए, मैं संविधान के अनुच्छेद 67(ए) के अनुसार, तत्काल प्रभाव से भारत के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देता हूं।” उन्होंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मंत्रिपरिषद और सांसदों के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। 74 वर्षीय धनखड़ ने अगस्त 2022 में 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी और उनका कार्यकाल 2027 तक था।
राजनीतिक गलियारों में हलचल
धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। संसद के मॉनसून सत्र के पहले दिन उनके इस अचानक फैसले ने कई सवाल खड़े किए हैं। खासतौर पर, विपक्ष ने उनके इस्तीफे के समय पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, “यह इस्तीफा जितना चौंकाने वाला है, उतना ही समझ से परे भी। मैं आज शाम तक उनके साथ था और सब कुछ सामान्य लग रहा था।” उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से धनखड़ को मनाने की अपील की।
संविधान के अनुच्छेद 68 के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद पर रिक्ति होने पर जल्द से जल्द चुनाव कराया जाना आवश्यक है। उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सदस्यों से मिलकर बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें अनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर गुप्त मतदान होता है। जब तक नया उपराष्ट्रपति चुना नहीं जाता, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह कार्यवाहक सभापति के रूप में जिम्मेदारी संभालेंगे। सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए), जिसके पास दोनों सदनों में बहुमत है, जल्द ही नए उम्मीदवार के नाम पर विचार-विमर्श शुरू कर सकता है।
विवादों में रहा कार्यकाल
धनखड़ का कार्यकाल विवादों से भी घिरा रहा। विपक्ष ने उन पर राज्यसभा के संचालन में पक्षपात का आरोप लगाया था और दिसंबर 2024 में उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था, जिसे उपसभापति ने खारिज कर दिया था। इसके अलावा, उनकी हालिया एंजियोप्लास्टी और स्वास्थ्य समस्याओं ने भी उनके इस फैसले को प्रभावित किया। धनखड़ के इस्तीफे के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है, और सभी की नजर अब इस बात पर टिकी है कि देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और यह चुनाव कब तक पूरा होगा।
संसद में आखिरी दिन
धनखड़ का आखिरी दिन राज्यसभा में काफी व्यस्त रहा। उन्होंने मॉनसून सत्र के पहले दिन की कार्यवाही की अध्यक्षता की। उन्होंने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर भी चर्चा कराई, जो विपक्ष द्वारा समर्थित था। धनखड़ ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए कहा कि यह 50 से अधिक सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित है और संवैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करता है। हालांकि, कुछ बीजेपी नेताओं के अनुसार, इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से पहले धनखड़ द्वारा सरकार के साथ परामर्श न करने से असहज स्थिति पैदा हुई थी, जिसे उनके इस्तीफे से जोड़ा जा रहा है।