वेबवार्ता: उपासना स्थल कानून 1991 (Place of Worship Act) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर वाराणसी और मथुरा की अदालतों में चल रही सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने हरी झंडी दे दी है।
कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि शुरुआती तौर पर वो अदालतें इस कानून (Place of Worship Act) के विभिन्न पहलुओं पर विचार कर रही हैं। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट इस पर रोक नहीं लगाएगी। सुप्रीम कोर्ट अब 11 अक्टूबर को मामले पर अगली सुनवाई करेगी।
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि काशी और मथुरा में भी इस कानून (Place of Worship Act) पर कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। वहां की अदालतें इस कानून की व्याख्या करने के लिए पक्षकारों को सुन रही हैं। इस पर सीजेआई जस्टिस यूयू ललित ने कहा कि हम काशी और मथुरा की अदालतों में चल रही सुनवाई पर रोक नहीं लगा सकते। वहां सुनवाई जारी रखी जाए।
उपासना स्थल कानून 1991 को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर हिंदू पुजारियों के संगठन विश्व भद्र पुजारी पुरोहित महासंघ की ओर से विष्णु जैन ने कोर्ट को बताया कि हमने पहले याचिका दाखिल की थी। हमारी याचिका पर भी नोटिस जारी किया जाए। मामले की सुनवाई दो हफ्ते बाद की जा सकती है। इस पर CJI ने कहा कि दूसरी याचिकाएं भी आज सूचीबद्ध हैं। हम सब पर एक साथ सुनवाई करेंगे। इस दौरान CJI ने केंद्र सरकार से पूछा कि अपने रिस्पॉन्स दाखिल कर दिया क्या?
सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हमने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। कोर्ट में सीजेआई ने कहा कि नोटिस बहुत पहले जारी हुआ था। इस कोर्ट ने मार्च 2021 में नोटिस जारी किया था। आप जवाब दाखिल करना चाहते हैं या नहीं? केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा हमने अभी जवाब दाखिल नहीं किया है। हमें सरकार से इस के पीछे वजह जानने के लिए निर्देश लेने होंगे।
बता दें कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट यानी उपासना स्थाल कानून 1991 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को तीन जजों की बेंच के पास भेजा गया है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी कर जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए दो हफ्ते दिए हैं। अब इस मामले की सुनवाई 11 अक्टूबर को होगी।