नई दिल्ली (वेब वार्ता)। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) के चेयरपर्सन, वाइस चेयरपर्सन और सभी सदस्यों के पद महीनों से खाली पड़े हैं, जिससे आयोग का कामकाज पूरी तरह ठप हो गया है। इस गंभीर मुद्दे पर दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने कहा कि किसी आयोग को बिना प्रमुख के नहीं छोड़ा जा सकता, यह बहुत अहम मामला है।
यह जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता मुजाहिद नफीस ने दायर की है, जो अल्पसंख्यक समुदायों के कल्याण के लिए काम करने वाली संस्था का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार की लापरवाही से आयोग निष्क्रिय हो गया है, जो अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की रक्षा करता है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
दिल्ली हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच (चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेदेला) ने 15 अक्टूबर 2025 को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा, “यह बहुत बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है। आयोग को बिना प्रमुख के नहीं छोड़ा जा सकता।” केंद्र के वकील ने समय मांगा, जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया।
याचिका में कहा गया कि नफीस ने 20 अगस्त 2025 को केंद्र को पत्र लिखा था, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। यह याचिका अंतिम उपाय है, जिसमें writ of mandamus की मांग की गई है। कोर्ट ने केंद्र को निर्देश देने की अपील की है कि चेयरपर्सन, वाइस चेयरपर्सन और पांच सदस्यों की नियुक्ति 4 सप्ताह में करें।
आयोग के सभी 7 पद और 5 सदस्यों के पद खाली
NCM अधिनियम 1992 के तहत आयोग में 7 पद होते हैं: चेयरपर्सन, वाइस चेयरपर्सन और 5 सदस्य (मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन समुदायों से एक-एक)। याचिका के अनुसार, चेयरपर्सन एस. इकबाल सिंह लालपुरा का कार्यकाल 12 अप्रैल 2025 को समाप्त होने के बाद सभी पद खाली हैं।
मौजूदा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने राज्यसभा में स्वीकार किया कि आयोग बिना सदस्यों के चल रहा है। यह स्थिति आयोग को “पूरी तरह निष्क्रिय” बना रही है।
नियुक्ति न होने से कोर्ट आदेश का उल्लंघन
याचिका में कहा गया कि यह स्थिति सुप्रीम कोर्ट के 8 मार्च 2021 के आदेश का उल्लंघन है, जिसमें सरकारी आयोगों में रिक्त पदों को समयबद्ध तरीके से भरने का निर्देश दिया गया था। आयोग का निष्क्रिय होना अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा पर असर डाल रहा है।
कोर्ट ने केंद्र को निर्देश देने की मांग पर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई की तारीख तय नहीं हुई है।