Saturday, July 26, 2025
Homeराष्ट्रीयमुंबई सीरियल ब्लास्ट: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हाईकोर्ट के बरी करने...

मुंबई सीरियल ब्लास्ट: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हाईकोर्ट के बरी करने के आदेश पर लगाई रोक

नई दिल्ली/मुंबई, (वेब वार्ता)। 2006 में हुए मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल बम ब्लास्ट केस में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के 22 जुलाई के उस फैसले पर स्थगन (Stay) लगा दिया है, जिसमें 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया था।

क्या था हाईकोर्ट का फैसला?

22 जुलाई 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2006 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के मामले में 12 आरोपियों को दोषमुक्त (बरी) करार देते हुए रिहा करने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य “संदेह से परे” नहीं हैं, जिससे संदेह का लाभ आरोपियों को मिलना चाहिए।

गौरतलब है कि इस केस में कुल 13 आरोपी थे, जिनमें से एक की जेल में ही मौत हो चुकी है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

महाराष्ट्र सरकार द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 24 जुलाई को सुनवाई करते हुए कहा कि:

  • हाईकोर्ट के बरी करने के आदेश पर फिलहाल रोक लगाई जाती है।

  • यह रोक केवल कानूनी प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए लगाई गई है।

  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आदेश जेल से रिहाई पर तत्काल प्रभाव नहीं डालेगा, यानी जो आरोपी पहले ही जेल से रिहा हो चुके हैं, उन्हें दोबारा हिरासत में नहीं लिया जाएगा — जब तक अंतिम निर्णय नहीं आ जाता।

क्या था 2006 का मुंबई ब्लास्ट मामला?

11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में सिलसिलेवार 7 धमाके हुए थे, जिसमें 189 लोगों की मौत और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे। ये धमाके भीड़भाड़ वाले समय में पश्चिमी रेलवे की लोकल ट्रेनों के डिब्बों में हुए थे।

घटना के पीछे आतंकी संगठन SIMI और पाकिस्तानी आतंकी समूहों की भूमिका का आरोप लगा था। मामले की जांच महाराष्ट्र ATS और बाद में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने की थी।

मामले की संवेदनशीलता और अगला कदम

सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के बाद यह मामला फिर से कानूनी प्रक्रिया के दायरे में आ गया है। सरकार और पीड़ितों के परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है और निष्पक्ष न्याय की उम्मीद जताई है।

मुंबई सीरियल ब्लास्ट जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े गंभीर मामलों में उच्च न्यायालयों के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस तरह परखा जाना न्याय व्यवस्था की गंभीरता और संतुलन का प्रतीक है। अब यह देखना अहम होगा कि सुप्रीम कोर्ट अंतिम सुनवाई में क्या रुख अपनाता है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

वेब वार्ता समाचार एजेंसी

संपादक: सईद अहमद

पता: 111, First Floor, Pratap Bhawan, BSZ Marg, ITO, New Delhi-110096

फोन नंबर: 8587018587

ईमेल: webvarta@gmail.com

सबसे लोकप्रिय

Recent Comments