नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। कांग्रेस पार्टी के रायपुर महाधिवेशन के आखिरी दिन राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं के साथ 1977 का एक किस्सा शेयर किया। राहुल ने कहा, ‘मैं 1977 में 6 साल का था। मुझे चुनाव के बारे में नहीं पता था। मैंने मां से पूछा कि क्या हुआ? मां ने कहा कि हम घर छोड़ रहे हैं। तब तक मुझे लगता था कि वह हमारा घर है… मैं इस बात पर हैरान था। पहली बार मां ने बताया कि ये हमारा घर नहीं है। सरकार का घर है। अब हमें यहां से जाना है। मैंने मां से पूछा, कहां जाना है। कहती हैं- नहीं मालूम। राहुल ने बोला आज 52 साल हो गए, मेरे पास घर नहीं है। हमारे पास जो घर है, वह इलाहाबाद में है। वह भी अब हमारा नहीं है।
संसद में मैंने पूछा कि अडानी का PM मोदी से क्या रिश्ता है?
…तो पूरी सरकार और सारे मंत्री अडानी की रक्षा करने लगे।
कहते हैं- जो अडानी पर हमला करता है, वह देशद्रोही है। मतलब अडानी सबसे बड़े देशभक्त बन गए!
सवाल उठता है: BJP-RSS अडानी की रक्षा क्यों कर रही है?
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राहुल गांधी ने कहा, ‘4 महीने कन्याकुमारी से श्रीनगर तक भारत जोड़ो यात्रा हमने की। वीडियो में आपने मेरा चेहरा देखा, लेकिन हमारे साथ लाखों लोग चले। बारिश, गर्मी और बर्फ में हम सब एकसाथ चले। बहुत कुछ सीखने को मिला। आपने देखा हो कि पंजाब में एक मैकेनिक आकर मुझसे मिला। मैंने उसके हाथ पकड़े और सालों की उसकी तपस्या, उसका दर्द और दुख मैंने पहचान लिया। लाखों किसानों के साथ जैसे ही हाथ मिलाता था, गले लगता था एक ट्रांसमिशन सा हो जाता था।
मोदी सरकार के एक मंत्री ने कहा- चीन की अर्थव्यवस्था हिंदुस्तान से बड़ी है, तो हम उनसे कैसे लड़ सकते हैं?
जब अंग्रेज हम पर राज करते थे, तो क्या उनकी अर्थव्यवस्था हमारी अर्थव्यवस्था से छोटी थी?
इसका मतलब है कि जो आपसे शक्तिशाली है, उसके सामने अपना सिर झुका दो!
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शुरुआत में बोलने की जरूरत होती थी कि क्या करते हो, कितने बच्चे हैं, क्या मुश्किलें हैं। एक-डेढ़ महीना ये चला और उसके बाद बोलने की जरूरत नहीं पड़ती थी। जैसे ही हाथ पकड़ा, गले लगे उनका दर्द एक सेकंड में समझ आ जाता था। जो मैं उनसे कहना चाहता था, बिना कुछ बोले वो समझ जाते थे।‘ राहुल गांधी ने कहा, ‘आपने बोट रेस देखी होगी। मैं बोट में बैठा था। मेरे पैर में भयंकर दर्द था। मैं उस फोटो में मुस्कुरा रहा हूं, मगर मेरे दिल के अंदर रोना आ रहा था। मैंने यात्रा शुरू की। फिट आदमी हूं। 10-12 किलोमीटर ऐसे ही दौड़ लेता हूं। घमंड था कि 20-25 किलोमीटर चलने में कौन सी बड़ी बात है।
हम सत्याग्रही हैं और RSS-BJP वाले सत्ताग्रही हैं।
ये सत्ता के लिए कुछ भी कर लेंगे। किसी से मिल जाएंगे। किसी के सामने झुक जाएंगे।
ये इनकी सच्चाई है।
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पुरानी चोट थी। कॉलेज में चोट लगी थी फुटबॉल खेलते वक्त। मैं दौड़ रहा था दोस्त ने अड़ंगी मार दी थी। वो दर्द गायब हो गया था। जैसे ही यात्रा शुरू की, दर्द वापस आ गया। आप मेरा परिवार हो तो आपसे कह सकता हूं कि सुबह उठकर सोचता था कैसे चला जाए। उसके बाद सोचता था कि 25 किलोमीटर नहीं 3 हजार 500 किलोमीटर चलना है, कैसे चलूंगा। फिर कंटेनर से उतरता था चल देता था। लोगों से मिलता था। पहले 10-15 दिन में अहंकार और घमंड गायब हो गया। क्यों गायब हुआ। क्योंकि भारत माता ने मैसेज दिया था िक तुम निकले हो कन्याकुमारी से कश्मीर के लिए तो अपने दिल से अहंकार मिटा दो। नहीं तो मत चलो। मुझे ये बात सुननी पड़ी। मुझमें इतनी शक्ति नहीं थी कि ये बात ना सुनूं।‘
प्रधानमंत्री कहते हैं मैंने भी लाल चौक पर तिरंगा फहराया था।
PM को फर्क समझ नहीं आया…
नरेंद्र मोदी जी ने BJP के 15-20 लोगों के साथ लाल चौक पर तिरंगा फहराया।
‘भारत जोड़ो यात्रा’ ने कश्मीर के लाखों युवाओं के हाथ से तिरंगा फहराया।
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उन्होंने कहा, ‘मैंने धीरे-धीरे नोटिस किया कि मेरी आवाज चुप होती गई। जम्मू-कश्मीर पहुंचा तो बिल्कुल चुप हो गया। मेडिटेशन करता हूं जैसे वैसे ही चुप हो गया। मां बैठी हैं। मैं छोटा था, 1977 की बात है। चुनाव आया, मुझे उसके बारे में कुछ नहीं मालूम था। घर में अजीब सा माहौल था। मैंने मां से पूछा मम्मी क्या हुआ। मां कहती हैं कि हम घर छोड़ रहे हैं। तब तक मैं सोचता था कि वो घर हमारा था। मैंने मां से पूछा हम घर क्यों छोड़ रहे हैं। पहली बार मां ने मुझे बताया कि ये हमारा घर नहीं है। ये सरकार का घर है। अब हमें यहां से जाना है। मैंने पूछा कहां जाना है तो कहती हैं कि नहीं मालूम कहां जाना है। मैं हैरान था। मैंने सोचा था कि वो हमारा घर था। 52 साल हो गए मेरे पास घर नहीं है। आज तक नहीं है।‘
Watch: Shri @RahulGandhi‘s address at the Congress’ 85th Plenary Session in Nava Raipur, Chhattisgarh. #CongressSankalp2024 https://t.co/QWvuupewHy
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राहुल बोले, ‘यात्रा में मेरे साथ लोग थे। लाखों लोग थे। मैं सोचता था कि मैं क्या कर रहा हूं। मकसद क्या है। मैंने अपने दफ्तर के लोगों को बुलाया। उनसे कहा कि भीड़ है लोगों को धक्का लगेगा, चोट लगेगी। हमें एक काम करना है कि मेरे साइड में 20-25 फीट तक जो जगह है, वो हमारा घर है। ये घर हमारे साथ चलेगा। सुबह 6 बजे से शाम 7 बजे तक ये घर साथ चलेगा।
मैं सोचता था कि फिट हूं, 20-25 KM चल लूंगा।
लेकिन यात्रा शुरू होते ही घुटने का पुराना दर्द लौट आया और 10-15 दिनों में मेरा अहंकार खत्म हो गया।
भारत माता ने मुझे संदेश दिया- तुम अगर कन्याकुमारी से कश्मीर तक चलने निकले हो तो दिल से अहंकार मिटाओ, वर्ना मत चलो।
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मैंने सबसे कहा कि इस घर में जो भी आएगा, अमीर हो चाहे गरीब, बुजुर्ग हो, युवा हो या बच्चा, किसी भी धर्म, किसी भी राज्य का हो, हिंदुस्तान से बाहर का हो, जानवर हो, उसे ये लगना चाहिए कि मैं आज अपने घर आया हूं। जब वो यहां से जाए तो उसे लगना चाहिए कि मैं घर को छोड़कर जा रहा हूं। जिस दिन ऐसा हुआ यात्रा जादू से बदल गई। लोग राजनीति की बात नहीं करते थे। हिंदुस्तान के लोगों ने महिलाओं ने इस देश के बारे में मुझसे जो कहा, वो आपको बता नहीं सकता। युवाओं का दर्द आपको नहीं समझा सकता।‘
महिला ने हाथ पकड़ा तो मैंने वही प्यार दिया, जो बहन प्रियंका को देता हूं
राहुल गांधी ने कहा, ‘एक महिला पास आई, उसका हाथ मैंने पकड़ा और पता चल गया कि कुछ ना कुछ बात है। जो मेरा प्यार मेरी बहन के लिए है, वही प्यार मैं उसे देने लगा। मुझे अजीब सा लगा कि ये कैसे हो रहा है। मुझसे उसने कहा-राहुल भैया आपसे मिलने आई हूं। मेरा पति मुझे मार रहा है, पीट रहा है। मुझे ये सुनने को मिला। मेरा परिवार सालों पहले जम्मू-कश्मीर से आया था। मैंने सोचा कि कन्याकुमारी से मैं कश्मीर तक अपना घर ले जा रहा हूं और यहां लग रहा है कि वापस अपने घर जा रहा हूं।‘
मोदीजी ने 15-20 लोगों के साथ लालचौक में तिरंगा फहराया, हमने लाखों लोगों के साथ
राहुल ने कहा, “नरेंद्र मोदी जी बीजेपी के 15-20 लोगों के साथ लाल चौक में झंडा फहराया, भारत जोड़ो यात्रा ने लाखों लोगों के साथ झंडा फहराया, प्रधानमंत्री को समझ नहीं आया। एक कश्मीरी आया और कहा कि मैं आपके साथ तिरंगा लेकर चल रहा हूं। आपने हमारे दिल में जो भरोसा दिया है। उसकी वजह से साथ चल रहा हूं। हमारे साथ भारत यात्रा में लाखों लोग जुड़े ये काम राहुल गांधी ने नहीं किया, हमारे कार्यकर्ता ने किया।‘
गांधी जी कहते थे कि सत्य का रास्ता मत छोड़ो, ये सत्ता का रास्ता नहीं छोड़ते हैं
एक नेता ने इंटरव्यू में कहा कि चीन की इकॉनमी हमसे बड़ी है तो हम उनसे कैसे लड़ सकते हैं। क्या जब अंग्रेजों से लड़ रहे थे, तो हमारी इकॉनमी उनसे बड़ी थी। क्या शक्तिमान से लड़ना ही नहीं हैं। ऐसे व्यवहार को कायरता कहा जाता है। ये सावरकर की सोच है कि जो आपसे तगड़ है तो उसके सामने सिर झुका हो।
एक मंत्री बोल रहा है कि चीन की इकॉनमी हमसे बड़ी है तो लड़ नहीं सकते हैं। इसे देशभक्ति कहते हैं क्या। ये कौन सी देशभक्ति है। जो कमजोर है, उसे मारो और जो मजबूत है उसके सामने झुक जाए। महात्मा गांधी सत्याग्रह की बात कहते थे। सत्य के रास्ते को कभी मत छोड़ो। ये लोग सत्ता के लिए कुछ भी करेंगे। किसी से भी मिल जाएंगे। ये इनकी सच्चाई है।
भाजपा और संघ अडाणी की रक्षा क्यों कर रहे हैं
मैंने संसद में एक उद्योगपति के खिलाफ मोर्चा खोला। मैंने एक फोटो दिखाई,जिसमें मोदीजी अडाणी के साथ प्लेन में बैठे हैं। मैंने पूछा रिश्ता क्या है। पूरी सरकार, सभी मंत्री अडाणीजी की रक्षा करने लग गए। अडाणी पर हमला करने वाला देश द्रोही और अडाणी देशभक्त बन गए। भाजपा और संघ उस व्यक्ति की रक्षा कर रहे हैं। सवाल है कि रक्षा क्यों कर रहे हैं। ये जो शेल कंपनियां हैं, हजारों करोड़ रुपया हिंदुस्तान भेज रही हैं, ये किसकी हैं। इसमें किसका पैसा है। जांच क्यों नहीं हो रही है। जेपीसी क्यों नहीं बन रही है।