kisan Protest हाइलाइट्स:
- किसानों को भेजे गए प्रस्ताव में सरकार ने एमएसपी पर लिखित गारंटी का वादा किया है
- किसान सरकार के प्रस्तावों पर आज बैठकर अपनी आगे की रणनीति तय करेंगे
- किसान साफ कर चुके हैं कि उन्हें संशोधन मंजूर नहीं हैं, तीनों कानून वापस लिए जाने चाहिए
नई दिल्ली, (वेबवार्ता)। कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली सीमा पर डटे किसानों के आंदोलन (kisan Protest) का आज यानी बुधवार को 14वां दिन है। सरकार ने आज सिंघु बॉर्डर पर किसानों को प्रस्ताव भेज दिया है। किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी (MSP) पर सरकार ने लिखित गारंटी देने का वादा किया है।
All three farm laws should be repealed. This is our demand.
If the proposal talks of only amendments then we will reject it: Kanwalpreet Singh Pannu, Kisan Sangharsh Committee, Punjab at Singhu border pic.twitter.com/3cSEDTfElK— ANI (@ANI) December 9, 2020
किसान नेता अब बैठक कर सरकार के इस मसौदे पर विचार करेंगे और अपनी रणनीति तय करेंगे। कई दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद किसानों को यह प्रस्ताव भेजा गया है। तीनों कानून वापस लेने की मांग पर अड़े किसान क्या सरकार के इस प्रस्ताव को मानेंगे, यह अब सबसे बड़ा सवाल है।
किसानों को भेजे गए प्रस्ताव के टॉप पॉइंट्स
- एमएसपी (MSP) खत्म नहीं होगा, सरकार एमएसपी को जारी रखेगी। सरकार इस पर लिखित आश्वासन देगी
- मंडी कानून APMC में बड़ा बदलाव होगा
- प्राइवेट प्लेयर्स को रजिस्ट्रेशन जरूरी
- कॉन्ट्रेक्ट फॉर्मिंग में किसान को कोर्ट जाने का हक़
- अलग फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन को मिलेगी मंजूरी
- प्राइवेट प्लेयर्स पर टैक्स लगाया जाएगा
सरकार का मसौदा हाथ में आने पर BKU राज्य अध्यक्ष (kisan Protest) ने कहा कि हम भारत सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर विचार-विमर्श करने जा रहे हैं। उसके बाद आगे की बात होगी। मंगलवार को 13 किसान नेताओं की गृहमंत्री अमित शाह के साथ चार घंटे तक चली बातचीत में किसी हल की उम्मीद की जा रही थी लेकिन अभी इस पर कोई फैसला नहीं हो सका।
Farmer leaders at Singhu Border receive a draft proposal from the Government of India#FarmLaws pic.twitter.com/zBQuOjY3F3
— ANI (@ANI) December 9, 2020
इधर, अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हनन मुल्ला ने कहा कि कल बैठक में कोई नतीजा नहीं निकला। सरकार ने 10 दिसंबर को बैठक के लिए बोला है, अगर प्रस्ताव के बाद कुछ सकारात्मक निकल कर आता है तो कल बैठक हो सकती है।
मसौदे में किसानों की शंकाओं का समाधान
20 पेज के इस प्रस्ताव में किसानों की शंकाओं का समाधान करने की कोशिश की गई है। एमएसपी पर सबसे ज्यादा विवाद हो रहा था। इसपर केंद्र ने कहा कि MSP व्यवस्था खत्म नहीं हो रही है और सरकार इसपर लिखित आश्वासन देगी। यही नहीं, किसान मौजूदा बिजली दर पर ही भुगतान जारी रख पाएंगे और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
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मंडी व्यवस्था पर भी केंद्र सरकार ने किसानों को प्रस्ताव भेजा है। कृषि भूमि की कुर्की के संबंध में कोई स्पष्ट आश्वासन नहीं दिया गया और इसपर विचार करने की बात कही गई है। किसानों (kisan Protest) की भूमि पर बड़े उद्योगपतियों के कब्जे की आशंका पर सरकार ने कहा कि इसपर प्रावधान पहले से ही स्पष्ट हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि किसान की भूमि पर बनाई जाने वाली संरचना पर खरीदार द्वारा किसी प्रकार का कर्ज नहीं लिया जा सकेगा और न ही ऐसी संरचना वह बंधक रख पाएगा।
किसानों को MSP पर लिखित गारंटी का वादा
सरकार ने किसानों की मांगों पर विचार करते हुए अपना रुख तो जाहिर कर दिया है, लेकिन किसान क्या इसे मानेंगे इसको लेकर सस्पेंस है। किसान नेता कानून वापस लेने से कम पर राजी नहीं हैं। किसान संघर्ष समिति के कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने सरकार के इस प्रस्ताव से पहले ही कह दिया था कि तीनों कानूनों को वापस लिया जाना चाहिए। हमारी यह एक मांग है। अगर सरकार संशोधन की बात करेगी, तो हम उसे खारिज कर देंगे।
सिंघु बॉर्डर पर डटे किसान नेता कंवलप्रीत सिंह पन्नू ने कहा है कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाना चाहिए। यह हमारी मांग है। प्रस्ताव में सिर्फ संशोधन की बात है तो फिर हम उसे खारिज कर देंगे।
भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष, मंजीत सिंह ने कहा कि हम प्रस्ताव को पढ़ेंगे, फिर इस पर चर्चा के बाद कोई फैसला लिया जाएगा। प्रस्ताव लगभग 20 पन्नों का है।