नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारत पर अमेरिकी टैरिफ के दोहरे वार के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार की विदेश नीति को कठघरे में खड़ा कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अमेरिका की मनमानी और धमकियों के आगे भारत झुकता नजर आ रहा है, जो राष्ट्रीय स्वाभिमान के खिलाफ है।
खरगे का यह बयान उस समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के उत्पादों पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह शुल्क रूस से तेल खरीद जारी रखने के चलते “जुर्माने” के तौर पर लागू किया जा रहा है।
🛢️ खरगे ने उठाए तीखे सवाल: क्या आत्मनिर्भर भारत की नीति विफल है?
मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि,
“भारत का राष्ट्रीय हित सर्वोपरि है और जो देश हमारी रणनीतिक स्वायत्तता को मनमाने ढंग से दंडित करता है, वह भारत की मजबूती को नहीं समझता। सातवें बेड़े की धमकियों से लेकर परमाणु परीक्षणों के प्रतिबंधों तक, हमने अमेरिका के साथ अपने संबंध आत्मसम्मान और गरिमा के साथ निभाए हैं।”
खरगे ने यह भी कहा कि आज की सरकार अमेरिका की धमकियों के आगे कूटनीतिक रूप से कमजोर दिख रही है।
💹 आर्थिक प्रभाव पर जताई गंभीर चिंता
कांग्रेस अध्यक्ष ने तथ्यों के साथ बताया कि:
2024 में भारत का अमेरिका को निर्यात 7.51 लाख करोड़ रुपये रहा।
50% टैरिफ लागू होने से लगभग 3.75 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ भारत पर पड़ेगा।
इसका सीधा असर एमएसएमई, किसान, छोटे व्यापारी और निर्यात आधारित उद्योगों पर पड़ेगा।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने बजट में इन संवेदनशील क्षेत्रों को सुरक्षा देने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनाई।
“ट्रंप की टैरिफ नीति पहले से ज्ञात थी, फिर भी कोई रणनीतिक तैयारी नहीं की गई।”
🧑🏫 कौन-कौन से सेक्टर प्रभावित होंगे?
खरगे के अनुसार निम्न सेक्टरों को सबसे ज्यादा नुकसान होगा:
एमएसएमई और हस्तशिल्प उद्योग
कृषि उत्पाद और जैविक सामग्री
इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक्स
रत्न एवं आभूषण
वस्त्र उद्योग
दवा और फार्मा उत्पाद
ये वे क्षेत्र हैं जो निर्यात आधारित हैं और रोजगार का बड़ा स्रोत भी।
⚖️ क्या यह केवल आर्थिक मुद्दा है या कूटनीतिक विफलता भी?
खरगे ने इस मुद्दे को महज एक आर्थिक संकट नहीं, बल्कि मोदी सरकार की विदेश नीति की गंभीर विफलता बताया। उनका मानना है कि सरकार को अमेरिका जैसे देशों के साथ संतुलन बनाकर चलना चाहिए, न कि दबाव में आकर राष्ट्रीय हितों को दांव पर लगाना चाहिए।
📅 क्या बदल सकती है स्थिति?
यह उल्लेखनीय है कि 27 अगस्त से अतिरिक्त टैरिफ लागू होने हैं, जबकि उससे दो दिन पहले यानी 25 अगस्त को अमेरिका की वार्ताकार टीम भारत आने वाली है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत इस मुद्दे को किस मजबूती के साथ उठाता है।