नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। देशभर के किसान एक बार फिर दिल्ली की ओर रुख कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की ओर से आयोजित ‘किसान महापंचायत’ में भाग लेने के लिए सोमवार सुबह से ही बड़ी संख्या में किसान जंतर-मंतर पर जुटने लगे हैं। चार साल पहले हुए ऐतिहासिक किसान आंदोलन के बाद यह पहली बार है जब दिल्ली में इतनी बड़ी संख्या में किसान एकजुट हो रहे हैं।
महापंचायत का उद्देश्य: पुरानी मांगों पर नया दबाव
इस महापंचायत का मुख्य एजेंडा है –
✔ सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी।
✔ कृषि, डेयरी, पोल्ट्री और मत्स्य पालन क्षेत्रों को अमेरिका के साथ किसी भी प्रस्तावित व्यापारिक समझौते से बाहर रखना।
✔ किसान आंदोलन (2020-21) के दौरान दर्ज पुलिस मामलों को पूरी तरह वापस लेना।
संयुक्त किसान मोर्चा ने यह स्पष्ट किया है कि यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा। संगठन ने किसानों और समर्थकों से बड़ी संख्या में भागीदारी का आग्रह किया है ताकि सरकार को यह संदेश दिया जा सके कि किसानों की समस्याएं अभी भी जस की तस बनी हुई हैं।
चार साल बाद फिर किसानों की आवाज बुलंद क्यों?
साल 2020 और 2021 के दौरान हुए ऐतिहासिक आंदोलन में किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डालकर केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों का विरोध किया था। लंबी लड़ाई के बाद केंद्र सरकार ने 2021 में ये कानून वापस ले लिए, जिसके बाद आंदोलन खत्म हुआ।
हालांकि, किसानों का कहना है कि उस समय सरकार ने जो वादे किए थे, वे अब तक पूरे नहीं किए गए।
एमएसपी पर कानूनी गारंटी का मुद्दा अभी भी अधर में है।
पुलिस मामलों की वापसी की प्रक्रिया धीमी है।
फूड प्रोसेसिंग और एग्री-ट्रेड डील्स में किसानों को नुकसान की आशंका है।
जंतर-मंतर पर सुरक्षा के सख्त इंतजाम
दिल्ली पुलिस ने इस महापंचायत को देखते हुए कड़े सुरक्षा इंतजाम किए हैं। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा:
“हमने मौके पर लगभग 1,200 पुलिसकर्मियों को तैनात किया है। हमारा लक्ष्य है कि कोई अप्रिय घटना न हो और कानून-व्यवस्था पूरी तरह बनी रहे।”
ट्रैफिक डायवर्जन की व्यवस्था भी की गई है ताकि दिल्ली आने-जाने वालों को ज्यादा दिक्कत न हो। हालांकि, स्थानीय लोगों को ट्रैफिक जाम की संभावना से अलर्ट किया गया है।
किसानों की रणनीति और राजनीतिक संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि यह महापंचायत सिर्फ किसानों की आर्थिक मांगों तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले किसानों का दबाव सरकार और राजनीतिक दलों के लिए बड़ा संदेश है।
एमएसपी कानून की मांग पूरी न होने पर किसान आंदोलन का नया अध्याय शुरू हो सकता है।
किसानों की प्रमुख मांगें एक नज़र में:
सभी फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी।
अमेरिका के साथ किसी भी व्यापारिक समझौते से कृषि क्षेत्र को बाहर रखना।
किसान आंदोलन के दौरान दर्ज सभी पुलिस मामलों को रद्द करना।
कृषि क्षेत्र में निजीकरण और कॉरपोरेटाइजेशन को रोकना।
केंद्र सरकार का रुख और किसानों की उम्मीदें
केंद्र सरकार ने अब तक एमएसपी गारंटी के मुद्दे पर स्पष्ट कानून लाने का वादा नहीं किया, जबकि बातचीत के लिए दरवाजे खुले रखने की बात कही है। किसानों का मानना है कि कानून बनने तक आंदोलन जारी रह सकता है।
इस महापंचायत का महत्व
यह सिर्फ एक दिन का कार्यक्रम नहीं है, बल्कि किसानों के अधिकारों और सरकार की नीतियों के बीच संतुलन का नया परीक्षण है। कृषि अर्थव्यवस्था भारत की रीढ़ है और किसानों की नाराजगी किसी भी राजनीतिक समीकरण को प्रभावित कर सकती है।
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— Kisan India ( देश की शान हमारा किसान ) (@kisanindianews) August 25, 2025