नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। जामिया हमदर्द ने प्रासंगिक और व्यावहारिक प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने पर केंद्रित एक नए प्रशिक्षण और विकास केंद्र का उद्घाटन किया। इस मौके पर जामिया हमदर्द ने “बिहाइंड द लेंस” नामक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन भी किया, जिसमें प्रतिभागियों को व्यावसायिक, फैशन और सोशल मीडिया फोटोग्राफी के साथ-साथ फिल्म निर्माण में अपने कौशल को बढ़ाने का अवसर प्रदान किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में इमेजिंग बिजनेस इंडिया और सार्क के बिजनेस चीफ हरदीप सिंह सरना उपस्तिथ रहे। हरदीप सिंह सरना ने इस मौके पर जामिया हमदर्द को निरंतर समर्थन देने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए समाज के कल्याण में योगदान देने में फोटोग्राफरों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर केंद्र की अध्यक्ष डॉ. रेशमा नसरीन ने अतिथियों का स्वागत एवं अभिनंदन किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि प्रशिक्षण और विकास केंद्र इस तेजी से बदलती दुनिया में आवश्यक अत्याधुनिक कौशल और प्रशिक्षण प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित करेगा। वहीं प्रो. फरहत बसीर खान ने प्रशिक्षण और विकास केंद्र बनाने में योगदान के लिए कुलपति प्रो. (डॉ.) एम अफसर आलम का आभार व्यक्त किया। इसके बाद उन्होंने फोटोग्राफी में नवीनतम विकास पर चर्चा की और दृश्य कहानी कहने के महत्व और भविष्य पर इसके संभावित प्रभाव पर जोर दिया।
वहीं पैनासोनिक के विपणन प्रबंधक सार्थक साहनी ने गर्मजोशी से स्वागत के लिए सभी को धन्यवाद देते हुए प्रो. खान को एक महान व्यक्ति बताया। उन्होंने आगे कहा कि प्रो. खान सभी के लिए गुरु और भारत में आधुनिक फोटोग्राफी और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया शिक्षा के जनक। हितेश विग ने भी बात की और प्रोफेसर खान को धन्यवाद दिया, यह स्वीकार करते हुए कि कैसे उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में जन संचार और डिजाइन अध्ययन की शुरुआत की।
अतिथि वक्ता फोटोग्राफर और निर्देशक पुष्कर हंस ने क्षेत्र में अपने अनुभव साझा किए और चर्चा की कि समय के साथ फोटोग्राफी कैसे विकसित हुई है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि फोटोग्राफी सिर्फ एक कला नहीं बल्कि चीजों को देखने का एक तरीका भी है। उद्घाटन कार्यक्रम डॉ. सैयदुन निसा द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ संपन्न हुआ, जिन्होंने कार्यशाला आयोजित करने और जन संचार अध्ययन को बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले सभी सम्मानित गणमान्य व्यक्तियों और कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त किया।
कार्यशाला के दूसरे दिन की शुरुआत प्रो. फरहत बसीर खान के व्याख्यान से हुई, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे भावनाओं को ध्यान में रखकर तस्वीरें खींची जाती हैं। श्री क्षितिज शीतल ने यह भी बताया कि सिनेमैटोग्राफी कैसे काम करती है और बेहतरीन दृश्यों के लिए लाइटिंग कैसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने हर एक छात्र को समझाया कि विभिन्न तत्व एक साथ कैसे काम करते हैं और एक सकारात्मक और लाभदायक परिणाम बनाते हैं।
कार्यशाला के तीसरे दिन छात्रों ने पुष्कर हंस के मार्गदर्शन में एक मॉक कमर्शियल शूट किया। उन्होंने दिन के पहले भाग में एक मॉडल, वृत्तचित्रों, परदे के पीछे के दृश्यों और सड़क-समान की तस्वीरें लीं, जबकि दूसरे भाग में एक फैशन संदर्भ और इनडोर प्रकाश व्यवस्था में एक फोटो शूट किया। समापन भाषण में कुलपति प्रो. (डॉ.) एम अफशार आलम ने आशा व्यक्त की कि कार्यक्रम सभी प्रतिभागियों के लिए एक समृद्ध अनुभव था और उन्होंने बहुमूल्य ज्ञान, कौशल और अंतर्दृष्टि प्राप्त की जिसे वे अपने भविष्य के प्रयासों में लागू कर सकते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सीखना एक आजीवन प्रक्रिया है और उत्कृष्टता की खोज के लिए निरंतर प्रयास और सुधार की आवश्यकता होती है।