नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए स्पष्ट किया है कि दोनों देशों के बीच किसी तरह का “कट्टी-झगड़ा” नहीं है। एक विशेष साक्षात्कार में उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूसी तेल खरीदना जारी रखेगा और यह उसका संप्रभु अधिकार है।
भारत-अमेरिका संबंध: मजबूत और स्थिर
जयशंकर ने कहा, “भारत और अमेरिका के बीच मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब कटुता या झगड़ा नहीं है। दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हैं और हम व्यापार, रक्षा और रणनीतिक साझेदारी पर लगातार संवाद जारी रखे हुए हैं।” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि दोनों देश उभयपक्षीय हितों को ध्यान में रखकर काम कर रहे हैं।
रूसी तेल पर स्पष्ट रुख
पश्चिमी देशों की आलोचनाओं का जवाब देते हुए विदेश मंत्री ने कहा:
“जिन्हें समस्या है, वे न खरीदें। हम किसी को मजबूर नहीं करते। भारत अपने राष्ट्रीय हित के अनुसार ही फैसला लेता है। ऊर्जा सुरक्षा हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देशों में से एक होने के नाते भारत को सस्ती और भरोसेमंद ऊर्जा की आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी। उन्होंने याद दिलाया कि वैश्विक ऊर्जा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान भारत ने रूसी तेल की खरीद से न केवल अपने नागरिकों को लाभ पहुंचाया बल्कि महंगाई पर भी अंकुश लगाया।
स्वतंत्र विदेश नीति का संदेश
जयशंकर के इस बयान ने भारत की स्वतंत्र और संतुलित विदेश नीति को एक बार फिर रेखांकित किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत न तो किसी के दबाव में आएगा और न ही अपनी जनता के हितों से समझौता करेगा। यह रुख उस “मल्टी-अलाइनमेंट नीति” का हिस्सा है जिसके तहत भारत विभिन्न देशों के साथ संबंधों को संतुलित करता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
रूसी तेल की खरीद को लेकर भारत के रुख पर अमेरिका ने संयमित प्रतिक्रिया दी है। अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि वे भारत के साथ निरंतर संवाद में हैं और ऊर्जा सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सहयोग जारी रखना चाहते हैं।
विदेश मंत्री जयशंकर के इस बयान ने भारत की विदेश नीति की स्पष्टता और दृढ़ता को उजागर किया है। भारत अंतर्राष्ट्रीय मामलों में अपनी संप्रभुता बनाए रखते हुए दुनिया के सभी देशों के साथ समान और सम्मानजनक संबंध विकसित करने पर केंद्रित है। यह दृष्टिकोण न केवल भारत के हितों की रक्षा करता है बल्कि वैश्विक स्तर पर उसकी विश्वसनीयता भी बढ़ाता है।