तिरंगा मैन: जयपुर की पहचान, देशभक्ति की मिसाल
जयपुर, (वेब वार्ता)। जयपुर, जिसे गुलाबी शहर के नाम से जाना जाता है, अपनी ऐतिहासिक इमारतों, जीवंत संस्कृति और मेहमाननवाजी के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन इस शहर में एक ऐसी शख्सियत भी है, जिन्होंने अपनी देशभक्ति के अनूठे अंदाज़ से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। हम बात कर रहे हैं मोहम्मद सईद कुरैशी की, जिन्हें लोग प्यार से “तिरंगा मैन” कहते हैं।
तिरंगा मैन बनने का सफर
मोहम्मद सईद कुरैशी का तिरंगा मैन बनने का सफर लगभग 25 साल पहले शुरू हुआ था। उन्होंने महसूस किया कि लोगों में तिरंगे के प्रति जागरूकता और सम्मान की कमी है। इस कमी को दूर करने के लिए उन्होंने एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने अपनी देशभक्ति को केवल अपने दिल तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे अपनी जीवनशैली और पहचान का हिस्सा बना लिया।
तिरंगे से सजी जीवनशैली
तिरंगा मैन की पहचान उनके तिरंगे से सजे पहनावे और स्कूटर से होती है। उनकी टोपी, कुर्ता, और यहां तक कि उनका स्कूटर भी तिरंगे के तीन रंगों – केसरिया, सफेद और हरा – से सजा हुआ है। जब वह अपनी तिरंगी पोशाक और तिरंगी स्कूटर पर सड़कों पर निकलते हैं, तो हर किसी की नज़र उन पर ठहर जाती है। वह केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि चलते-फिरते देशभक्ति के प्रतीक बन गए हैं।
जागरूकता फैलाने का मिशन
मोहम्मद सईद कुरैशी का मुख्य उद्देश्य लोगों में तिरंगे के प्रति जागरूकता लाना है। वह जहां भी जाते हैं, देशभक्ति के संदेश फैलाते हैं। वह लोगों को तिरंगे का सम्मान करने, राष्ट्रीय ध्वज के प्रति गर्व महसूस करने और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने के लिए प्रेरित करते हैं। उनका यह प्रयास विशेष रूप से युवाओं के बीच बहुत लोकप्रिय है। वह देशभक्ति से जुड़े हर कार्यक्रम में सबसे पहले पहुंचते हैं और अपनी उपस्थिति से माहौल को देशभक्ति से भर देते हैं।
सामाजिक कार्य और मानवता का संदेश
तिरंगा मैन की देशभक्ति केवल तिरंगा लहराने तक सीमित नहीं है। उनके दिल में दिव्यांग जनों की सेवा का भी भाव है। वह उनके लिए काम करते हैं, जो उनकी देशभक्ति का ही एक दूसरा रूप है। उनका मानना है कि असली देशभक्ति अपने देश के लोगों की सेवा करने और उन्हें सशक्त बनाने में है। उनका यह मानवतावादी दृष्टिकोण उनके व्यक्तित्व को और भी अधिक प्रभावशाली बनाता है।
एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व
मोहम्मद सईद कुरैशी “तिरंगा मैन” एक साधारण व्यक्ति हैं, जिन्होंने अपनी असाधारण देशभक्ति और समर्पण से एक मिसाल कायम की है। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि देशभक्ति केवल नारे लगाने या झंडा लहराने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे हर काम, हर सोच और हर प्रयास में झलकनी चाहिए। वह जयपुर की गलियों में घूमते हुए, एक सकारात्मक संदेश फैलाते हैं और हर दिल में देशभक्ति की नई लौ जलाते हैं। उनका यह अनूठा प्रयास और अटूट देश प्रेम उन्हें जयपुर का गौरवशाली प्रतीक बनाता है।
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