Thursday, July 31, 2025
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NISAR Launch : भारत ने रचा अंतरिक्ष इतिहास: इसरो नासा का ‘निसार’ मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च, पृथ्वी की करेगा निगरानी

श्रीहरिकोटा, (वेब वार्ता)। भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में एक और बड़ी छलांग, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के साथ मिलकर दुनिया का पहला डुअल बैंड रडार उपग्रह ‘निसार’ – NISAR (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) आज शाम 5:40 बजे श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया।

निसार को जीएसएलवी-एफ18 रॉकेट के माध्यम से सन-सिंक्रोनस ऑर्बिट (सूर्य स्थिर कक्षा) में स्थापित किया गया। इस मिशन की खास बात यह है कि यह हर मौसम, दिन और रात में पृथ्वी की निगरानी करने में सक्षम होगा।


🚀 क्या है निसार (NISAR) मिशन?

निसार दुनिया का पहला उपग्रह है जो दो अलग-अलग बैंड — L-बैंड (नासा) और S-बैंड (इसरो) — पर एक साथ काम करता है। इस उपग्रह को इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि यह पृथ्वी की सतह पर सूक्ष्म बदलावों का पता लगा सके, जैसे:

  • भूकंप के कारण ज़मीन में दरारें

  • बर्फ की चादरों की हलचल

  • वनस्पतियों में बदलाव

  • मिट्टी की नमी और जल संसाधनों में परिवर्तन


🌍 12 दिन में पूरी पृथ्वी की निगरानी

इस मिशन की तकनीकी विशेषता यह है कि यह उपग्रह हर 12 दिन में पूरी पृथ्वी को स्कैन करेगा और उच्च-रिज़ॉल्यूशन डेटा प्रदान करेगा। इससे वैज्ञानिकों को:

  • जलवायु परिवर्तन

  • ग्लेशियरों की स्थिति

  • जंगलों की कटाई-पैदावार

  • समुद्र के स्तर में परिवर्तन

  • आपदा प्रबंधन में सहायता मिलेगी।


🛰️ तकनीकी विशेषताएं

विशेषताविवरण
कक्षासूर्य तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा (Sun-Synchronous Orbit)
ऊंचाईलगभग 743-745 किमी
रॉकेटजीएसएलवी-एफ18
स्कैन आवृत्तिहर 12 दिन
रडार प्रकारडुअल-बैंड SAR (L-band और S-band)
डेटा प्रोसेसिंगISRO द्वारा, अधिकतर हिस्सा ओपन-सोर्स

🔬 कैसे काम करता है निसार?

निसार में प्रयोग की गई तकनीक को Synthetic Aperture Radar (SAR) कहा जाता है। यह प्रणाली बादलों, अंधकार और घने जंगलों के आर-पार भी पृथ्वी की तस्वीरें खींचने में सक्षम है।

इस उपग्रह में लगे दो पेलोड:

  • L-बैंड SAR – नासा द्वारा विकसित, पेड़ों के नीचे तक गहराई से निरीक्षण

  • S-बैंड SAR – इसरो द्वारा अहमदाबाद में निर्मित, भूमि और जल संसाधनों की निगरानी

इन दोनों को नासा के 12-मीटर मेष रिफ्लेक्टर एंटीना से जोड़ा गया है।


🧪 निसार के लाभ

  • हिमालय और अंटार्कटिका की सतहों का विस्तृत अवलोकन

  • बाढ़, सूखा, भूकंप जैसे आपदाओं की भविष्यवाणी और प्रतिक्रिया में मदद

  • वैश्विक जलवायु परिवर्तन का अध्ययन

  • नौवहन और जहाजों की ट्रैकिंग

  • कृषि भूमि में बदलाव की निगरानी


🤝 इसरो-नासा सहयोग की मिसाल

निसार मिशन, इसरो और नासा के 10 साल पुराने वैज्ञानिक सहयोग का परिणाम है। भारत के लिए यह मिशन “मेक इन इंडिया” की भावना को भी दर्शाता है क्योंकि इसका एक बड़ा हिस्सा भारत में निर्मित और संयोजित किया गया है।


📢 इसरो वैज्ञानिकों की प्रतिक्रियाएँ

राधाकृष्ण कवुलुरु, इसरो के पूर्व वैज्ञानिक ने कहा:

“निसार उपग्रह भारत और विश्व के लिए मील का पत्थर है। यह हमें पृथ्वी के बदलते स्वरूप की निगरानी और आपदाओं के बेहतर प्रबंधन में मदद करेगा।”


🌐 ओपन-सोर्स डेटा से वैश्विक उपयोग

निसार से प्राप्त अधिकांश डेटा को ओपन-सोर्स के रूप में जनता के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। इसका लाभ:

  • दुनियाभर के वैज्ञानिक

  • मौसम विशेषज्ञ

  • आपदा प्रबंधन एजेंसियां

  • नीति निर्धारक

ले सकेंगे।


निष्कर्ष

निसार मिशन भारत की वैश्विक वैज्ञानिक प्रतिष्ठा को और ऊंचा करता है। यह केवल एक अंतरिक्ष मिशन नहीं, बल्कि धरती की रक्षा की दिशा में उठाया गया अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। इसरो और नासा की यह साझेदारी अंतरराष्ट्रीय सहयोग और तकनीकी नवाचार का उत्कृष्ट उदाहरण बन चुकी है।

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