नई दिल्ली/इस्लामाबाद, (वेब वार्ता)। दुनिया के विभिन्न देशों में बसे प्रवासी भारतीयों के लिए काम करने वाले एक संगठन ने पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर मुस्लिम वर्ल्ड लीग के सामने चिंता जताई है. संगठन ने लीग से मांग की है कि वह पाकिस्तान सरकार से इसमें हस्तक्षेप करने की मांग करे, जिससे कि अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव मोहम्मद बिन अब्दुलकरीम अल ईसा को लिखे पत्र में इंडियन वर्ल्ड फोरम (IWF) के अध्यक्ष पुनीत सिंह चंढोक ने कहा कि पाकिस्तान में ‘हिंदू और सिख लड़कियों का जबरन धर्मांतरण, अपहरण और राज्य प्रायोजित अल्पसंख्यकों की हत्या जैसे अत्याचार हो रहे हैं’ जो चिंता के विषय हैं.
‘UN चार्टर पर पालन नहीं कर रहा पाकिस्तान’
इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की जनसांख्यिकी में कमी इंगित करती है कि पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र घोषणा पत्र का अनुपालन नहीं कर रहा है. खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और सिंध प्रांत में कई युवा लड़कियों का अपहरण किया गया, या वे लापता हैं और उनका यौन शोषण और दुर्व्यवहार किया जा रहा है.’
चंडोक ने इसके साथ ही कहा, ‘उनके माता-पिता और अभिभावकों द्वारा स्थानीय अधिकारियों से कई बार की गई अपीलों और शिकायतों के बावजूद, पाकिस्तान सरकार कोई निवारक उपाय या उत्तरदायी कार्रवाई करने में विफल रही है. इसके उलट अधिकारी वहां रह रहे अल्पसंख्यकों के खिलाफ जघन्य अपराधों में शामिल सभी लोगों की सुरक्षा और बचाव में मददगार हैं.’
पाकिस्तानी नेतृत्व से बात करे मुस्लिम वर्ल्ड लीग
चंडोक ने मुस्लिम वर्ल्ड लीग से अपील करते हुए कहा, ‘आप कृपया वहां रहने वाले हिंदुओं, सिखों और अन्य धर्मों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान के नेतृत्व से संपर्क करने और हस्तक्षेप करने पर विचार करें.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पाकिस्तान सरकार को वहां अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों और संपत्तियों की पूर्ण पवित्रता सुनिश्चित करनी चाहिए.
बता दें कि मुस्लिम वर्ल्ड लीग (MWL) एक अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन है, जिसका मुख्यालय सऊदी अरब के मक्का में है. इस संगठन में सभी इस्लामिक देशों और संप्रदायों के सदस्य शामिल हैं. इसका उद्देश्य इस्लाम और उसके सहिष्णु सिद्धांतों को प्रस्तुत करना, मानवीय सहायता प्रदान करना, सभी के साथ संवाद और सहयोग के पुलों का विस्तार करना, सभी संस्कृतियों और सभ्यताओं के लिए सकारात्मक खुलेपन में संलग्न होना, केंद्रवाद और संयम के मार्ग का पालन करना और उग्रवाद, हिंसा तथा बहिष्कार का आह्वान करने वाले मुहिमों को रोकना है.