नई दिल्ली/लंदन, (वेब वार्ता)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर के नेतृत्व में भारत और ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर सहमति बनी है। इस निर्णय को न केवल दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों में मील का पत्थर बताया जा रहा है, बल्कि यह भारत के ‘मेक इन इंडिया’ मिशन को भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नई ऊंचाई प्रदान करने वाला कदम माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने लंदन में एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में इस समझौते को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा, “मेक इन इंडिया आधारित विकास और निर्यात को इससे विशेष गति मिलेगी। यह हमारे युवाओं, महिलाओं, किसानों और छोटे उद्यमियों के लिए अवसरों का नया द्वार खोलेगा।”
क्या है यह मुक्त व्यापार समझौता?
FTA यानी Free Trade Agreement वह समझौता होता है जिसमें दो देश आयात-निर्यात पर लगने वाले शुल्क (टैरिफ) को घटाकर व्यापार को सरल और लाभकारी बनाते हैं। भारत और ब्रिटेन के बीच हुआ यह समझौता कई वर्षों की जटिल वार्ताओं के बाद संभव हो पाया है।
इस समझौते का मूल उद्देश्य है—
आयात-निर्यात शुल्क कम करना,
उत्पादों तक लोगों की आसान पहुंच सुनिश्चित करना,
दोनो देशों के व्यवसायों के लिए समान प्रतिस्पर्धा का अवसर देना,
और व्यापार को वर्ष 2030 तक 120 अरब डॉलर से अधिक ले जाना।
भारत को क्या लाभ होगा?
FTA के तहत भारत के पारंपरिक एवं नवोदित क्षेत्रों को ब्रिटेन के बड़े बाजार में प्रवेश मिलेगा। जिन क्षेत्रों को सबसे अधिक लाभ होगा, वे हैं:
कपड़ा एवं परिधान उद्योग
चमड़ा और फुटवियर
रत्न एवं आभूषण
समुद्री उत्पाद
कृषि और खाद्य प्रसंस्करण
इंजीनियरिंग एवं ऑटो पार्ट्स
हस्तशिल्प एवं खिलौने
इसके अलावा, छोटे और मझोले उद्योग (MSMEs) को ब्रिटेन के साथ साझेदारी और विस्तार का बड़ा अवसर मिलेगा। इससे भारत के गांवों और कस्बों तक आर्थिक उन्नति की किरण पहुंचेगी।
ब्रिटेन को क्या मिलेगा?
ब्रिटिश सरकार के अनुसार, यह समझौता उनके उत्पादों के लिए भारत जैसे विशाल उपभोक्ता बाजार को खोलेगा। उदाहरणस्वरूप—
मेडिकल उपकरण,
एयरोस्पेस कलपुर्जे,
सॉफ्ट ड्रिंक, कॉस्मेटिक्स,
और ब्रिटिश व्हिस्की जैसे लोकप्रिय उत्पादों की बिक्री आसान और सस्ती होगी।
ब्रिटिश व्हिस्की पर टैरिफ 150% से घटकर 75% हो गया है, और अगले एक दशक में इसे 40% तक लाने की योजना है।
‘मेक इन इंडिया’ को मिलेगा वैश्विक मंच
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का यह करार एक “वैश्विक आत्मनिर्भरता” की दिशा में कदम है। इससे भारत के बने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा, साथ ही स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा।
उन्होंने कहा, “हम वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में अग्रसर हैं और यह समझौता उस लक्ष्य को गति देगा।”
नौकरियों और निवेश में आएगी तेजी
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने भी इस समझौते को “बदलाव से जुड़ी योजना की शुरुआत” बताया। उन्होंने कहा कि यह करार ब्रिटेन में हजारों नौकरियों का सृजन करेगा, निवेश को बढ़ावा देगा और श्रमिकों की आय में इजाफा करेगा।
ब्रिटिश उच्चायुक्त के अनुसार, इस समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार 25.2 अरब डॉलर से अधिक तक पहुंच सकता है।
क्यों है यह समझौता ऐतिहासिक?
यह भारत और ब्रिटेन के बीच अब तक का सबसे बड़ा व्यापारिक समझौता है।
भारत की बढ़ती आर्थिक शक्ति को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है।
यह समझौता पारंपरिक और आधुनिक दोनों क्षेत्रों को गति देगा।
निष्कर्ष: भारत-यूके व्यापार का नया अध्याय
भारत और ब्रिटेन के बीच यह मुक्त व्यापार समझौता सिर्फ एक आर्थिक करार नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी की मजबूत नींव है। यह प्रधानमंत्री मोदी की ‘लोकल को ग्लोबल’ बनाने की नीति का प्रभावी परिणाम है। यह समझौता भारत के उद्यमियों, कारीगरों, किसानों और युवाओं के लिए नए सपनों और अवसरों की खिड़की खोलता है, जो भारत को 21वीं सदी की आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करने की ओर एक ठोस कदम है।
रिपोर्टः वेब वार्ता ब्यूरो | संपादनः मो. अफज़ान अराफात