नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। संसद के मानसून सत्र में सोमवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के मुद्दे पर जोरदार हंगामा देखने को मिला। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि इंडिया गठबंधन (INDIA Bloc) के सांसद चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपने जा रहे थे, लेकिन उन्हें मिलने से रोक दिया गया।
राज्यसभा में अपनी बात रखते हुए खड़गे ने कहा,
“आज इंडिया गठबंधन के सांसद चुनाव आयोग के पास ज्ञापन लेकर जा रहे थे, लेकिन हमें रोक दिया गया और चुनाव आयोग से मिलने नहीं दिया गया।”
आज INDIA गठबंधन के सांसद चुनाव आयोग के पास मेमोरेंडम लेकर जा रहे थे।
लेकिन हमें रोक दिया गया, चुनाव आयोग से नहीं मिलने दिया गया।
: कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री @kharge pic.twitter.com/tuz708jQNc
— Congress (@INCIndia) August 11, 2025
खड़गे के बयान के बाद सदन में शोरगुल बढ़ गया। इस पर केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि चर्चा मणिपुर विधेयक पर हो रही है और इस मुद्दे पर आगे की कोई भी बात रिकॉर्ड में नहीं जानी चाहिए।
कांग्रेस का आरोप — विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश
कांग्रेस ने अपने आधिकारिक X (Twitter) हैंडल पर राज्यसभा की कार्यवाही का एक वीडियो साझा किया, जिसमें खड़गे के बोलते ही उनका माइक बंद कर दिया गया। पार्टी ने आरोप लगाया कि भाजपा इस तरह विपक्ष की आवाज को कुचल रही है।
कांग्रेस ने पोस्ट में लिखा:
“राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए, तभी भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा- कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा। नड्डा के आदेश पर खड़गे का माइक बंद कर दिया गया।”
विपक्ष का मार्च और हिरासत
इस मुद्दे पर इंडिया गठबंधन के सांसदों ने संसद भवन से चुनाव आयोग मुख्यालय तक मार्च निकाला। वे बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण और कथित ‘वोट चोरी’ के विरोध में अपना ज्ञापन सौंपना चाहते थे।
मार्च के दौरान दिल्ली पुलिस ने सांसदों को रोकने की कोशिश की, जिससे मौके पर हंगामा हो गया। इसके बाद पुलिस ने मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, अखिलेश यादव, और संजय राउत समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया।
राजनीतिक तनाव बरकरार
यह घटनाक्रम संसद के मानसून सत्र में पहले से ही चल रहे तनाव को और बढ़ा सकता है। विपक्ष का कहना है कि यह कदम लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है, जबकि सत्ता पक्ष का तर्क है कि सदन में केवल तय एजेंडे पर चर्चा होनी चाहिए।