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Friday, September 22, 2023

आर्टिकल 370 और 35ए हटने के बाद से जम्मू-कश्मीर में कितने बाहरियों ने खरीदी जमीन, सरकार ने राज्यसभा में बता दिया

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। जम्मू-कश्मीर में अब तक बाहर के कितने लोगों ने जमीनें खरीदी हैं? संसद के बजट सत्र के समापन से एक दिन पहले राज्यसभा में यह प्रश्न उठा। सरकार ने इसके जवाब में बताया कि अब तक वैसे 185 लोगों ने जम्मू-कश्मीर में जमीनें खरीदी हैं जो इस प्रदेश के निवासी नहीं हैं। यानी, करीब चार वर्षों में जम्मू-कश्मीर के लोगों ने 185 बाहरियों को जमीनें बेची हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी संसद के उच्च सदन को दी। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह बताते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर से अलग हुए लद्दाख में एक भी बाहरी व्यक्ति ने जमीन नहीं खरीदी है। उन्होंने कहा कि 2020 में जम्मू-कश्मीर में एक, 2021 में 57 जबकि 2022 में 127 बाहरियों ने जमीनें खरीदीं। यानी 2019 में अगस्त से लेकर दिसंबर तक एक भी व्यक्ति ने जमीन नहीं खरीदी। इसी तरह, 2023 में अप्रैल महीने तक का भी कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है।

5 अगस्त, 2019 को जमीन खरीदने का रास्ता हुआ था साफ

ध्यान रहे कि जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त, 2019 को संविधान के अनुच्छेद 370 के साथ-साथ अनुच्छेद 35ए को भी हटा दिया गया था। तब जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया था और दोनों को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आर्टिकल 370 हटाने के बाद एक अधिसूचना (Notification) जारी किया था जिसमें कहा गया था कि अब भारतीय नागरिक जम्मू और कश्मीर के नगरपालिका क्षेत्र में कृषि भूमि के अलावा अन्य जमीन खरीद सकते हैं। इसमें साफ कर दिया गया कि जमीन खरीदने वाले जम्मू-कश्मीर के निवासी हों, इसकी कोई अनिवार्यता नहीं है।

जम्मू-कश्मीर में जमकर हो रहा है निवेश

मंत्री नित्यानंद राय ने कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक, कुल 1,559 भारतीय कंपनियों ने इस केंद्रशासित प्रदेश में निवेश किया है जिनमें कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां (Multinational Companies) भी शामिल हैं। हालांकि, लद्दाख प्रदेश में कोई भी भारतीय या बहुराष्ट्रीय कंपनी ने लद्दाख में अब तक निवेश नहीं किया है।

आर्टिकल 35ए था जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने में बाधा

ध्यान रहे कि आर्टिकल 35ए के तहत जम्मू-कश्मीर का स्थायी नागरिक ही वहां जमीनें खरीद सकता था। इस अनुच्छेद में जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने की शर्त यही थी कि जम्मू-कश्मीर से बाहर का कोई भारतीय नागरिक भी वहां जमीन नहीं खरीद सकता है। अनुच्छेद 35ए यह भी कहता है कि 14 मई, 1954 को जो लोग जम्मू-कश्मीर में बस गए थे, उन्हें वहां का स्थायी निवासी माना जाएगा। यह अनुच्छेद न केवल बाहरियों को जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीदने से रोकता था बल्कि वहां सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने से भी रोकता था। इतना ही नहीं, जम्मू-कश्मीर से बाहर के निवासी वहां के सरकारी कॉलेजों में दाखिला भी नहीं ले सकते थे, सरकारी मदद के हकदार नहीं हो सकते थे और ना ही सरकारी वजीफा ही हासिल कर सकते थे।

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