नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारत की राजधानी दिल्ली में एक ऐतिहासिक बदलाव की पटकथा लिखी जा रही है। लगभग 90 वर्षों से सत्ता और प्रशासन का प्रतीक रहे नॉर्थ ब्लॉक से अब देश के सबसे शक्तिशाली मंत्रालय — गृह मंत्रालय — की विदाई हो रही है। यह बदलाव महज एक इमारत से दूसरी इमारत में जाने का मामला नहीं, बल्कि एक संकल्प है – भारत को 21वीं सदी की ज़रूरतों के मुताबिक सजाने-संवारने का।
नॉर्थ ब्लॉक: सत्ता की शान और इतिहास का गवाह
ब्रिटिश शासन में बने नॉर्थ ब्लॉक की नींव में सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं हैं, बल्कि देश की अनगिनत कहानियाँ, संघर्ष और फैसलों की गूंज है। आज़ादी के बाद से लेकर अनुच्छेद 370 को हटाने जैसे ऐतिहासिक निर्णयों तक, इस इमारत ने सैकड़ों महत्वपूर्ण क्षणों को सहेजा है। देश की आंतरिक सुरक्षा, सीमाओं की नीति, आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई – सबकुछ यहीं से संचालित होता रहा।
कर्तव्य पथ पर ‘नया भारत’: CCS-3 बिल्डिंग की खासियत
अब जब गृह मंत्रालय अपने नए पते — ‘कॉमन सेंट्रल सेक्रेटिएट (CCS-3)’ — में प्रवेश कर चुका है, तो यह स्थान आधुनिक भारत की आत्मविश्वासी सोच का प्रतीक बन चुका है। कर्तव्य पथ पर स्थित यह इमारत सिर्फ उच्च तकनीक सुविधाओं से सुसज्जित नहीं, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल भी है। गृह मंत्रालय के लिए इसमें 347 अत्याधुनिक कक्ष तैयार किए गए हैं, जिनमें पेपरलेस कार्य प्रणाली, डिजिटल दस्तावेज़ व्यवस्था, ऊर्जा दक्षता और सुरक्षा की उन्नत व्यवस्था है।
इसके साथ ही यह भवन विदेश मंत्रालय, पेट्रोलियम मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, एमएसएमई और डीओपीटी जैसे अन्य मंत्रालयों का भी घर बन रहा है। यानी कि सेंट्रल विस्टा परियोजना का यह हिस्सा भारत के प्रशासनिक केंद्र का नया मॉडल बन चुका है।
नॉर्थ-साउथ ब्लॉक को मिलेगा नया जीवन
कई लोगों के मन में यह सवाल है कि जब ये ऐतिहासिक भवन खाली हो जाएंगे, तो क्या इनका उपयोग खत्म हो जाएगा? इसका उत्तर एक नई उम्मीद के साथ है। भारत सरकार की योजना है कि नॉर्थ और साउथ ब्लॉक को ‘युगे युगीन भारत’ नामक एक विश्वस्तरीय राष्ट्रीय संग्रहालय में बदल दिया जाएगा।
यह संग्रहालय भारतीय इतिहास, संस्कृति, सभ्यता और कलात्मक धरोहरों को सहेजेगा। लगभग 1.55 लाख वर्ग मीटर क्षेत्रफल में फैले इस संग्रहालय में 950 से अधिक कमरे होंगे। कल्पना कीजिए, जहाँ पहले देश की सुरक्षा और नीतियों पर मंथन होता था, वहाँ अब भारत की 5000 वर्षों की सांस्कृतिक विरासत आम जन के सामने होगी।
इस बदलाव की ज़रूरत क्यों थी?
आज के भारत की ज़रूरतें 20वीं सदी के ढांचे से पूरी नहीं हो सकतीं। नॉर्थ और साउथ ब्लॉक अपनी ऐतिहासिक भव्यता के बावजूद तकनीकी रूप से पुरानी हो चुकी थीं। वहाँ की जगह सीमित थी, इंफ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड कठिन था और डिजिटल प्रशासन के लिए उपयुक्त नहीं था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच के अनुसार, राजधानी का प्रशासनिक ढांचा ऐसा हो जो आने वाले 100 वर्षों की ज़रूरतें पूरी कर सके — स्मार्ट, हरित और तेज़ निर्णय लेने वाला। इसी सोच का परिणाम है सेंट्रल विस्टा परियोजना, जिसके अंतर्गत नए संसद भवन, प्रधान मंत्री कार्यालय, और अब केंद्रीय मंत्रालयों के नए भवन बन चुके हैं।
भावनात्मक विदाई, लेकिन भविष्य की ओर विश्वासपूर्ण कदम
नॉर्थ ब्लॉक से विदाई एक भावुक क्षण ज़रूर है, लेकिन यह विदाई सिर्फ भौतिक नहीं, प्रतीकात्मक भी है — अतीत को सम्मान देकर भविष्य की ओर बढ़ने का। भारत अब उस मुकाम पर है जहाँ वह विश्व मंच पर न केवल अपनी आर्थिक, बल्कि प्रशासनिक कुशलता से भी अपनी अलग छवि बना रहा है।
समापन: स्मृति और संभावना का संगम
नॉर्थ ब्लॉक का इतिहास कभी धुंधला नहीं पड़ेगा। वह हमारी राष्ट्रीय स्मृति में सदा जीवंत रहेगा। लेकिन एक राष्ट्र तब ही आगे बढ़ता है जब वह स्मृति को संग्रहालय में बदलकर नई इमारतों में नई नीतियाँ, नई योजनाएँ और नए सपने गढ़े। गृह मंत्रालय की यह नई यात्रा, भारत के प्रशासनिक भविष्य की वह नींव है जिस पर 2047 तक विकसित भारत का सपना आकार लेगा।