नई दिल्ली: हिजाब बैन (Hijab Ban) के खिलाफ याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। बुधवार को नौवें दिन कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी दलीलें पेश कर रहे हैं। राज्य के शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन को चुनौती देने वाली याचिकाओं को जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की बेंच सुन रही है। हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से जुड़ी लेटेस्ट अपडेट्स के लिए बने रहें वेब वार्ता (www.webvarta.com) के साथ।
- हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की लाइव अपडेट्स
2.11 PM: ऐडिशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज अब कर्नाटक सरकार की तरफ से दलीलें पेश कर रहे हैं। एएसजी ने कहा, ‘बहुत शोर मचा है कि हिजाब बैन कर दिया गया। मैं यह साफ कर देना चाहता हूं कि राज्य सरकार ने हिजाब बैन नहीं किया है, ऐसी मंथा कभी थी ही नहीं। राज्य ने केवल यूनिफॉर्म लागू की है जो धर्मनिरपेक्ष है।‘
1.00 PM: कर्नाटक के अटॉर्नी जनरल ने कहा, ‘निजता के अधिकार अभी विकसित हो रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘दूसरे पक्ष ने बेजा आरोप लगाया कि राज्य ने समुदाय विशेष को निशाना बनाया है। मैं इसे सिरे से खारिज करता हूं। राज्य अल्पसंख्यक समूहों के लिए कई कल्याणकारी कार्यक्रम चलाता है।‘
12.43 AM: कर्नाटक के अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हाई कोर्ट के सामने गई हर रिट याचिका चार पेज से ज्यादा की नहीं थी। जरूरी धार्मिक परंपरा बस एक पैरा में थी और दो आयतें थीं। मांग की गई थी कि इसे अनिवार्य परंपरा घोषित किया जाए। जस्टिस धूलिया ने हंसते हुए कहा कि यह कैसी मांग है। एजी ने कहा कि अगर एक बार ऐसी घोषणा हो गई तो यह हर मुस्लिम पर बाध्य होगी। उन्हें थोड़ा और जिम्मेदार होना चाहिए था।
12.21 AM: सुनवाई के दौरान जस्टिस गुप्ता ने पाकिस्तान के पूर्व जज का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘लाहौर हाई कोर्ट के एक पूर्व जज हैं। उनकी दोनों बेटियों में से कोई हिजाब नहीं पहनता।’
11.53 AM: ‘तुर्की और फ्रांस में हिजाब बैन पर इस्लाम तो फैल रहा है’
कई मुस्लिम माताएं और बहनें हिजाब नहीं पहनतीं। तुर्की और फ्रांस जैसे देशों में हिजाब प्रतिबंधित है, फिर भी वहां इस्लाम फैल रहा है। इसे न पहनना किसी महिला को कम मुस्लिम नहीं बनाता।
प्रभुलिंग नवदगी, कर्नाटक के अटॉर्नी जनरल
11.27 AM: कर्नाटक के एडवोकेट जनरल ने एएस नारायण बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले को पढ़ते हुए कहा कि हिजाब धार्मिक परंपरा है। इसपर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि ‘दलील यह है कि कुरान में जो कुछ भी लिखा है, वह अनिवार्य और पवित्र है।’ नवदगी ने कहा कि हम कुरान में एक्सपर्ट नहीं हैं लेकिन इस अदालत ने कम से कम तीन बार कहा है कि कुरान में लिखा हर शब्द धार्मिक हो सकता है लेकिन अनिवार्य नहीं है।
10.53 AM: हिजाब मामले पर सुनवाई शुरू हो गई है। कर्नाटक के अटॉर्नी जनरल अपनी दलीलें जारी कर रहे हैं। एजी प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि हाई कोर्ट ने अनुच्छेद 25 के दायरे में मामले को सुना। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि अगर हम यह मान भी लें कि यह अनिवार्य धार्मिक परंपरा नहीं है तो फिर यह किस तरह की परंपरा होगी?
10.15 AM: सुप्रीम कोर्ट में हिजाब बैन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर थोड़ी देर में आज की सुनवाई शुरू होगी। आज कर्नाटक के एजी प्रभुलिंग नवदगी राज्य सरकार का पक्ष रखेंगे।
‘हिजाब बैन सर्कुलर का आधार धार्मिक समानता’
हिजाब बैन के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को कर्नाटक सरकार ने कहा कि सर्कुलर के तहत सिर्फ यूनिफॉर्म पहनने की इजाजत दी गई है। राज्य सरकार का सर्कुलर धार्मिक समानता पर आधारित है। वहीं, याची के वकील दुष्यंत दवे ने दलील दी कि हाई कोर्ट के फैसले में कई खामियां हैं। जजमेंट टिकने वाला नहीं है। राज्य सरकार का सर्कुलर असंवैधानिक और अवैध है। यह अनुच्छेद-14, 19, 21 और 25 का उल्लंघन करता है। हिजाब मुस्लिम महिलाओं के गरिमा से जुड़ा मामला है। इससे किसी और की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचती।
कुछ देशों में महिलाएं गाड़ी नहीं चला सकतीं: मेहता
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता मंगलवार को कहा कि कुछ देशों में महिलाओं को गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह किसी धर्म की आलोचना नहीं कर रहे हैं। मेहता ने कहा कि कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यहां तक कि ईरान जैसे संवैधानिक रूप से इस्लामी देशों में भी सभी महिलाएं हिजाब नहीं पहनती हैं, बल्कि वे इसके खिलाफ लड़ रही हैं। सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, यह संदेह से परे होना चाहिए कि हिजाब पहनना सार्वजनिक व्यवस्था, सार्वजनिक स्वास्थ्य या नैतिकता के लिए खतरा है।
यूनिफॉर्म से विषमताएं दूर होती हैं : सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस गुप्ता ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि यूनिफॉर्म समानता लाता है। यह विषमताएं दूर करता है। इससे अमीरी-गरीबी नहीं दिखती है। दवे ने दलील दी कि संविधान सभा में बहस के दौरान तमाम अनुच्छेद पर बहस हुई। इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा कि तमाम व्यक्तिगत विचार आए हैं, लेकिन जब संविधान बना तो ऐसे विचार कितने अहम रह गए? इस पर दवे ने कहा कि किसी अनुच्छेद बनने की प्रक्रिया को समझने के लिए उसके संदर्भ को देखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट कैसे कह सकता है कि हिजाब पहनने से दूसरे के अधिकारों का उल्लंघन होता है।
पल्लू और हिजाब एक जैसे: JDS
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी ने ‘पल्लू’ और हिजाब को एक जैसा बताया है। जनता दल (सेक्युलर) की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष सी एम इब्राहिम ने मंगलवार को कहा कि ये भारत की संस्कृति और इतिहास का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि पल्लू पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पोशाक का हिस्सा था और अब इसे भारत की राष्ट्रपति भी पहनती हैं।
इब्राहिम ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हिजाब सिर पर पल्लू है, कुछ इसे हिजाब कहते हैं और कुछ इसे पल्लू कहते हैं। राजस्थान में, राजपूत महिलाएं अपना चेहरा नहीं दिखाती हैं और वे इसे घूंघट से ढकती हैं, क्या इसके खिलाफ कानून लाया जाएगा? क्या उन महिलाओं को मुसलमान घोषित किया जाएगा?‘ उन्होंने कहा, ‘इंदिरा गांधी के सिर पर पल्लू होता था, भारत की राष्ट्रपति के सिर पर पल्लू है। क्या उनके सिर पर घूंघट पीएफआई की साजिश है? सिर पर पल्लू होना भारत की संस्कृति और भारत के इतिहास का हिस्सा है।’