नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। ग्लोबल टाइगर डे के अवसर पर केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने सोमवार को दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने स्कूली बच्चों के साथ बाघ संरक्षण और पर्यावरण जागरूकता को लेकर संवाद किया और ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत वृक्षारोपण का संदेश दिया।
बच्चों को बताया प्रकृति और जंगलों का महत्व
मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हर नागरिक का कर्तव्य है। उन्होंने स्कूली बच्चों से बातचीत के दौरान जंगलों, बाघों और जैव विविधता के संतुलन पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने बच्चों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं और उसकी देखभाल करें।
बाघों की सुरक्षा में भारत अग्रणी: मंत्री यादव
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने बाघ संरक्षण के क्षेत्र में ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल की हैं। जहां वर्ष 2014 में देश में 47 टाइगर रिजर्व थे, वहीं अब उनकी संख्या बढ़कर 58 हो गई है। इसके अलावा बाघों की आबादी में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
उन्होंने कहा कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय बिग कैट एलायंस का हिस्सा है, जिसमें 97 देश मिलकर बाघ और अन्य बड़ी बिल्लियों के संरक्षण, पर्यावरण पर्यटन और जैव विविधता पर काम कर रहे हैं।
प्रदर्शनी और चिड़ियाघर भ्रमण
ग्लोबल टाइगर डे पर आयोजित इस कार्यक्रम के तहत दिल्ली चिड़ियाघर में एक सप्ताह लंबी प्रदर्शनी शुरू की गई है। इसमें बाघों के संरक्षण, उनके आवास, जीवनशैली और उनसे जुड़ी आदिवासी संस्कृति को दर्शाया गया है। बच्चों को चिड़ियाघर का भ्रमण कराकर उन्हें प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनाने का प्रयास किया गया।
‘एक पेड़ मां के नाम’ के तहत देशभर में लाखों पेड़ लगाए गए
मंत्री यादव ने बताया कि इस अभियान के अंतर्गत देश के 58 टाइगर रिजर्व में दो लाख पेड़ लगाए गए हैं। इसके अतिरिक्त अरावली क्षेत्र के 29 जिलों में देशी प्रजातियों के पौधों की उच्च गुणवत्ता वाली नर्सरियों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। इसी अवसर पर तीन नई नर्सरियों का वर्चुअल उद्घाटन भी किया गया।
विकास के साथ पर्यावरण संतुलन की आवश्यकता
अपने संबोधन में मंत्री ने यह भी कहा कि आर्थिक विकास और प्राकृतिक विरासत का संरक्षण एक साथ चलना चाहिए। उन्होंने बाघ संरक्षण के वैश्विक प्रयासों के सकारात्मक परिणामों पर भी प्रकाश डाला।
निष्कर्ष:
ग्लोबल टाइगर डे 2025 के इस आयोजन ने बच्चों के साथ-साथ आम नागरिकों में भी पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता और जिम्मेदारी की भावना को सशक्त किया है। यह कार्यक्रम भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका को भी दर्शाता है।