Farmers Protest: केंद्रीय मंत्री बोले- आंदोलन वाले असली किसान नहीं, वो तो अपने खेतों में हैं
New Delhi: Farmers Protest: किसान संगठनों से कई दौर की बातचीत (Central Govt Farmers Meeting) बेनतीजा रहने के बाद केंद्र सरकार थोड़ी नरम पड़ी है। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी (Kailash Choudhary) ने कहा है कि सरकार लिखित में दे सकती है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य बरकरार रखा जाएगा।
हालांकि चौधरी (Kailash Choudhary) ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में किसान आंदोलन (Farmers Protest) को डिसक्रेडिट करते हुए कहा कि उन्हें नहीं लगता कि ये असली किसान हैं। चौधरी ने कहा, ‘मैं नहीं मानता कि असली किसान, जो कि अपने खेतों में काम कर रहे हैं, वे इस बारे में चिंतित हैं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं और देश के किसान नए कानूनों के समर्थन में हैं।
राजनीति के चक्कर में न फंसें किसान: केंद्र
चौधरी ने कहा, “मुझे लगता है (राज्यों में) कांग्रेस सरकार और विपक्ष किसानों को भड़का रहे हैं। देश के किसान इन कानूनों के साथ हैं लेकिन कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डालने की कोशिश में हैं। मुझे पीएम (नरेंद्र) मोदी के नेतृत्व और किसानों पर भूरा भरोसा है। मुझे यकीन है कि किसान कोई ऐसा फैसला नहीं करेंगे जिससे देश में कहीं भी अशांति हो। इन कानूनों से उन्हें आजादी मिली है। मुझे नहीं लगता कि जो असली किसान हैं, अपने खेतों में काम कर रहे हैं, इससे परेशान हैं।”
Govt has said that MSP will continue. We can give it in writing too. I think Congress govt (in states) & Opposition are trying to instigate farmers. Nation's farmers are in favour of these laws but some political people are trying to add fuel to the fire: MoS Agriculture pic.twitter.com/d2nv5keFtv
— ANI (@ANI) December 6, 2020
तीनों कानून वापस लेने पर अड़े किसान
किसान संगठनों ने शनिवार को केंद्र सरकार के साथ हुई बैठक में साफ कर दिया था कि वे पीछे नहीं हटेंगे। किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों के बीच मीटिंग में बेहद गहमागहमी हुई। हालात इतने बिगड़े कि करीब घंटे भर तक किसान नेताओं ने ‘मौन व्रत’ रखा।
तल्खी इतनी ज्यादा थी कि बीच में मंत्री बैठक छोड़कर चले गए। बाद में यह बताने वापस लौटे कि अगले राउंड की बातचीत 9 दिसंबर को होगी। किसान संगठनों ने 8 दिसंबर (मंगलवार) को ‘भारत बंद’ बुलाया है। किसान आंदोलन को विभिन्न राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिल रहा है जिससे मोदी सरकार के लिए चुनौती बड़ी हो गई है।
भारत बंद को कांग्रेस का समर्थन
मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने किसानों के भारत बंद का समर्थन किया है। पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि कांग्रेस 8 दिसंबर को अपने हर ऑफिस पर प्रदर्शन करेगी। खेड़ा के मुताबिक, “यह किसानों को राहुल गांधी के समर्थन को और मजबूत करेगा। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि विरोध सफल हो।” लेफ्ट दलों, राष्ट्रीय जनता दल, तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियों ने भी भारत बंद और किसान आंदोलन को समर्थन देने की घोषणा की है।
अब बाकी देश से भी उठ रहीं विरोध में आवाजें
कृषि से जुड़े तीन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े किसानों का आंदोलन रविवार को लगातार 11वें दिन जारी है। दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा समेत देश के अन्य हिस्सों से आए प्रदर्शकारी किसान डटे हुए हैं। किसान संगठन आगामी मंगलवार को भारत बंद को सफल बनाने में जुटे हैं।
किसान नेताओं ने बताया कि उनका यह आंदोलन अब सिर्फ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका स्वरूप देशव्यापी बन चुका है और इसकी तस्वीर आठ दिसंबर को भारत बंद के दौरान साफ हो जाएगी।