नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। जम्मू-कश्मीर से निर्दलीय सांसद इंजीनियर रशीद ने संसद में अपनी उपस्थिति को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें संसद सत्र में भाग लेने के लिए लगाए गए दैनिक यात्रा खर्च की शर्त को हटाया जाए या उसमें संशोधन किया जाए, क्योंकि वह चार लाख रुपये की राशि वहन करने में असमर्थ हैं।
✅ क्या है मामला?
2017 के टेरर फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम – UAPA के तहत एनआईए ने उन्हें गिरफ्तार किया था। तब से इंजीनियर रशीद तिहाड़ जेल में बंद हैं।
सांसद चुने जाने के बाद उन्हें अदालत द्वारा कस्टडी पैरोल दी गई, ताकि वह संसद सत्र में शामिल हो सकें, लेकिन कोर्ट ने उन्हें प्रत्येक दिन के लिए ₹1.44 लाख रुपये यात्रा खर्च जेल प्रशासन के पास जमा करने की शर्त रखी। इसी शर्त को लेकर अब वे दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचे हैं।
🧑⚖️ कोर्ट में क्या हुआ?
मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ कर रही है।
इंजीनियर रशीद के वकील एन. हरिहरन ने दलील दी कि:
“मेरे मुवक्किल अपने संसदीय क्षेत्र की आवाज़ संसद में नहीं उठा पा रहे हैं, क्योंकि उन पर लगाए गए आर्थिक बोझ के चलते वे संसद नहीं जा सकते। यह लोकतंत्र के मूल ढांचे के साथ अन्याय है।”
उन्होंने कहा कि रशीद संसद में जनता का प्रतिनिधित्व करना चाहते हैं, लेकिन शर्तें इतनी कठोर हैं कि यह जनप्रतिनिधित्व के अधिकार में बाधा बन रही हैं।
वहीं एनआईए की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने तर्क दिया कि रशीद ने ट्रायल कोर्ट के आदेश पर सहमति दी थी, लेकिन हरिहरन ने इसका खंडन करते हुए कहा कि रशीद ने सिर्फ उपस्थिति की अनुमति के लिए सहमति दी थी, यात्रा व्यय वहन करने की शर्तों पर नहीं।
⚖️ कोर्ट का रुख
पीठ ने कहा कि आमतौर पर कस्टडी पैरोल पर छोड़े गए व्यक्ति को यात्रा व अन्य खर्च स्वयं वहन करना होता है। लेकिन इस केस की विशेष परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने सुनवाई 12 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी है।
🔍 लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व पर बहस
इस मामले ने लोकतांत्रिक व्यवस्था, जनप्रतिनिधियों के अधिकार, और कानूनी शर्तों के बोझ को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है।
क्या एक निर्वाचित सांसद को संसद में बोलने से केवल आर्थिक कारणों से रोका जाना उचित है? क्या राज्य, एक जनप्रतिनिधि के कर्तव्यों को पूरा करने में उसे मदद नहीं कर सकता?
इन सवालों पर अब न्यायालय से भी ज़्यादा, जनता की लोकतांत्रिक चेतना और संवैधानिक मूल्य निर्भर करते हैं।
Delhi High Court to hear on the petitions filed by Baramulla MP Abdul Rashid Sheikh alias Engineer Rashid seeking challenging orders directing him to pay for travel costs to attend the Parliament session. pic.twitter.com/zbHI7u1i12
— Bar and Bench (@barandbench) August 6, 2025