वेबवार्ता: लद्दाख में एलएसी (LAC) पर जहां हमारी सेना चीन (PLA) से मुकाबले में डटी हुई हैं वहीं देश के भीतर भी चीन की चुनौती का सामना करना पड़ा रहा है। सीमा पर सेना तो देश में वित्तीय रूप से चीन हमें कमजोर करने में जुटा है। इसी तरह की सुरक्षा चिंता ED की एक जांच के बाद सामने आई है।
ED की जांच में खुलासा हुआ है कि कुछ चीनी नागरिकों ने अवैध रूप से कई भारतीय कंपनियां बनाई हैं। साथ ही इन लोगों ने हजारों करोड़ रुपये की कमाई की। हालांकि, इस बात की जानकारी वित्तीय खुफिया इकाई को नहीं लग सकी।
सट्टेबाजी ऐप से 1300 करोड़ रुपये की कमाई
ED के सूत्रों के अनुसार, चार्टर्ड एकाउंटेंट की मदद से, शुरू में कंपनियों डमी भारतीय निदेशकों का इस्तेमाल किया गया था। इसमें कुछ समय बाद चीनी नागरिकों ने भारत की यात्रा की और इन कंपनियों में निदेशक का पद हासिल कर लिया।
इन सब के बीच ईडी ने भारत में लोन, डेटिंग और सट्टेबाजी के ऑपरेशन से जुड़े सैकड़ों चीन ले कंट्रोल हो रहे मोबाइल ऐप पर कार्रवाई की। इन चीन से कंट्रोल हो रही संस्थाओं की जांच के दौरान, ईडी को लोन, डेटिंग और सट्टेबाजी से संबंधित सौ से अधिक ऐप मिले। केंद्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक अकेले सट्टेबाजी ऐप ने 1,300 करोड़ रुपये की कमाई की है।
पेटीएम, कैशफ्री, रेजरपे पर भी ऐक्शन
चीन में अवैध मनी ट्रांसफर में संलिप्तता के लिए चीनी सट्टेबाजी और डेटिंग ऐप्स से जुड़े एचएसबीसी बैंक में 47 करोड़ रुपये जब्त किए थे। इसके बाद हाल ही में ईडी ने इन हाई ट्रांजेक्शन की जानकारी नहीं देने के लिए पेटीएम, कैशफ्री और रेजरपे सहित पेमेंट गेटवे पर भी ऐक्शन लिया। इससे पिछले हफ्ते इन वॉलेट्स में 17 करोड़ रुपये की बरामदगी हुई, जो कथित तौर पर चीनी लोन ऐप और संबंधित संस्थाओं के मालिकों के थे। ये ऐप और उनके भारतीय माध्यम भी “जनता की जबरन वसूली और उत्पीड़न” में शामिल थे।
अधिक ब्याज पर लोन, डिफॉल्टर्स को धमकी
ईडी ने कहा कि इस बात का संदेह है कि ऑनलाइन सट्टेबाजी जैसी प्रतिबंधित गतिविधियों में लिप्त होने के अलावा, चाइनीज नियंत्रण वाली कंपनियां ऑनलाइन वॉलेट कंपनियों के नेटवर्क के इस्तेमाल के साथ ही हवाला लेनदेन में भी शामिल रही हैं। इन कंपनियों ने भारतीयों को बैंक और बिजनस अकाउंट खोलने के उद्देश्य से और बहुत अधिक ब्याज दर पर दिए गए ऋणों के ‘डिफॉल्टर्स’ को धमकाने के लिए काम पर रखा गया था।
बड़ी संख्या में क्लोन वेबसाइट के जरिये ठगी
जांच एजेंसी ने बताया कि एक बार बैंक खाते खोले जाने के बाद, भारतीय कर्मचारियों की तरफ से चीन में इंटरनेट एक्सेस क्रेडेंशियल्स को कुरियर से भेज दिया गया था। ऐसा करने के निर्देश इनको चीन में बैठे कंपनियों को कंट्रोल कर रहे लोगों की तरफ से मिल रहे थे। जांच से पता चला है कि इन चीनी नागरिकों ने बड़ी संख्या में क्लोन वेबसाइटें बनाईं। इन्हें क्लाउडफेयर, यूएसए के माध्यम से होस्ट किया गया था।
ईडी ने कहा इन वेबसाइटों ने भोले-भाले लोगों को सदस्य बनने और विभिन्न ऑनलाइन ऐप के माध्यम से इसकी सेवाओं का यूज करने के लिए आकर्षित किया। यहां तक कि टेलीग्राम और व्हाट्सएप के माध्यम से बनाए गए विशेष क्लोज ग्रुप के माध्यम से ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए एजेंटों को भी काम पर रखा गया था।