नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल की मॉस्को यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब वैश्विक मंच पर भारत-रूस रिश्तों को लेकर अमेरिका की नाराज़गी स्पष्ट दिख रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत को चेतावनी दी है कि अगर उसने रूस से तेल खरीदना जारी रखा, तो वह भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगाने की योजना बनाएंगे।
डोभाल की यह मॉस्को यात्रा पूर्व निर्धारित है लेकिन वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थितियों में इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। इस दौरे में वह रूसी सुरक्षा अधिकारियों के साथ रक्षा, रणनीतिक साझेदारी, तेल आपूर्ति, रक्षा उपकरणों की संभावित खरीद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के संभावित शिखर सम्मेलन की तैयारी को लेकर चर्चा करेंगे।
🛡️ रक्षा सहयोग पर चर्चा की पृष्ठभूमि
भारत और रूस के बीच दशकों पुराना रक्षा सहयोग रहा है। इस यात्रा के दौरान एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की अतिरिक्त खरीद, रखरखाव केंद्रों की स्थापना, और एसयू-57 लड़ाकू विमान जैसे अत्याधुनिक हथियारों के अधिग्रहण की संभावनाओं पर विचार किया जा सकता है। रूस भारत के लिए प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, और भारत स्वदेशी उत्पादन के लिए ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी (ToT) भी चाहता है।
🛢️ रूसी तेल खरीद और अमेरिकी नाराज़गी
भारत द्वारा रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदने और उसे रिफाइन कर लाभ के साथ वैश्विक बाजारों में बेचने को लेकर अमेरिका ने नाराज़गी जताई है। डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस को आर्थिक मदद देने का आरोप लगाते हुए 25% अतिरिक्त टैरिफ की चेतावनी दी है।
इसके जवाब में भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि ऊर्जा सुरक्षा भारत की प्राथमिकता है और वह अपने राष्ट्रीय हितों के लिए कोई भी कदम उठाने को स्वतंत्र है।
🌍 दोहरे मापदंड पर भारत की प्रतिक्रिया
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि जब अमेरिका और यूरोपीय संघ स्वयं रूस से अरबों डॉलर का व्यापार कर रहे हैं, तो भारत पर सवाल उठाना दोहरे मापदंड का प्रतीक है।
यूरोपीय संघ रूस से 67.5 अरब डॉलर का वार्षिक व्यापार कर रहा है।
अमेरिका यूरेनियम, पैलेडियम, उर्वरक और अन्य रसायनों की खरीद लगातार मास्को से कर रहा है।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी अमेरिका का नाम लिए बिना कहा कि, “आज की दुनिया जटिल और अनिश्चित है। हमें एक ऐसी वैश्विक व्यवस्था की जरूरत है जो न्यायपूर्ण और प्रतिनिधित्वशील हो, न कि कुछ शक्तियों के प्रभुत्व पर आधारित।“
🤝 मोदी-पुतिन शिखर वार्ता की तैयारी
एनएसए डोभाल की मॉस्को यात्रा का एक उद्देश्य दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच संभावित शिखर वार्ता की तैयारी करना भी है। यह वार्ता आने वाले महीनों में हो सकती है, जिसमें ऊर्जा, रक्षा, तकनीक, और यूरेशियन सहयोग जैसे मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।