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Thursday, November 30, 2023

Corona Vaccine: अब सुई चुभने के झंझट के बगैर लगवा सकते हैं कोविड-19 की बूस्टर डोज

नई दिल्ली: सर्दी-जुकाम हो जाने पर बंद नाक को खोलने के लिए आपने विक्स इनहेलर का इस्तेमाल जरूर किया होगा। उसे नाक से सूंघने से ही जुकाम में राहत मिल जाती है। लेकिन अगर आपसे कहा जाए कि इसी तरह केवल नाक में स्प्रे करके कोरोना वायरस की वैक्सीन लगाई जा सकती है, तो शायद इस बात पर यकीन न हो। लेकिन भारत में पहली बार इस तरह की वैक्सीन को मंजूरी दी गई है। इसे ‘नोजल वैक्सीन’ कहा जाता है, जिसे केवल नाक में स्प्रे करके दिया जाता है। इस वैक्सीन में न सूई चुभने का डर होगा और न ही इंजेक्शन लगाने के लिए बहुत एक्सपर्ट की जरूरत होगी। लेकिन ये कोरोना से लड़ने में उतनी ही कारगर है जितनी अन्य वैक्सीन।

केंद्र सरकार ने दी मंजूरी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए बूस्टर डोज के रूप में ‘भारत बायोटेक’ के ‘इंट्रानेजल कोविड वैक्सीन’ को मंजूरी दी है। आप इस वैक्सीन के लिए कोविन पोर्टल पर रजिस्टर कर सकते हैं। अधिकारियों के अनुसार, इस वैक्सीन में किसी तरह की सूई का इस्तेमाल नहीं होगा और इसे नाक से दिया जाएगा। ये वैक्सीन प्राइवेट हॉस्पिटल समेत सभी वैक्सीनेशन सेंटर पर मौजूद होगी। इसे बूस्टर डोज के रूप में वे लोग ले सकते हैं, जिन्होंने कोविशील्ड या कोवैक्सीन की दो डोज लगवा ली हैं।

बूस्टर डोज के रूप में लगवा सकते हैं नेजल वैक्सीन
चीन और कुछ अन्य देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच इस वैक्सीन को मंजूरी मिली है। इस ‘BBV-154’ वैक्सीन को 18 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए ‘बूस्टर’ खुराक के तौर पर इस्तेमाल करने के वास्ते भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने नंवबर में मंजूरी दे दी थी।

अन्य वैक्सीन से कैसे है अलग?
वैक्सीनेशन प्रोग्राम के टेक्नोलॉजी एडवाइजर डॉक्टर एन के अरोड़ा ने कहा, ‘इंट्रानेजल वैक्सीन भारत के रिसर्च और डेवलेप स्किल का वैक्सीनेशन सेक्टर में एक बेहतरीन उदाहरण है। इसे लगाना बेहद आसान है। इससे सांस के माध्यम से दिया जाता है। इससे रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी सांस लेने वाली अंग में एंटीबॉडीज बनेंगी। यहीं से ये खतरनाक कोरोना वायरस हमारे शरीर में एंट्री लेता है। इसे कोई भी आसानी से दे सकता है इसके लिए किसी ट्रेंड हेल्थ वर्कर की जरूरत नहीं है। इसे कम लागत में ज्यादा जगह वितरित किया जा सकता है, साथ ही इसे कम तापमान वाले कोल्ड चेन की आवश्यकता नहीं होगी। इसके अलावा इसे मल्टीवेलेंट के रूप में विकसित किया जा सकता है।

हैदराबाद स्थित वैक्सीन बनाने वाली कंपनी ने एक बयान में कहा था कि इन्कोवैक ‘एडेनोवायरस वेक्टरेड’ वैक्सीन है। इस वैक्सीन की तीन चरणों में टेस्टिंग की गई थी, जहां ये सफल रही। BBV-154 वैक्सीन को वाशिंगटन और सेंट लुइस यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट्स ने तैयार किया है।

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