वेबवार्ता: केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Govt) के खिलाफ कभी एनडीए (NDA) के सहयोगी रहे नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने जोरदार मोर्चा खोल रखा है। बिहार में आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद से ही नीतीश लगातार केंद्र पर हमला कर रहे हैं।
बात चाहे 2024 में 50 लोकसभा सीट (Lok Sabha) पर सिमटाने की हो या फिर मोदी (PM Modi) के खिलाफ विपक्ष की लामबंदी, वो हर फ्रंट पर आगे हैं। कुछ ऐसा ही मोर्चा कभी एनडीए के संयोजक रहे चंद्रबाबू नायडू (Chandra babu Naidu) ने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ खोल दिया था।
2018 में एनडीए से अलग होने के बाद नायडू ने मोदी सरकार के खिलाफ जबरदस्त मोर्चेबंदी की थी। जैसा काम आज नीतीश कुमार कर रहे हैं वैसा ही नायडू ने 2019 के चुनाव से पहले किया था। हालांकि, वो विपक्ष को पूरी तरह लामबंद करने में सफल नहीं हो पाए थे। तो बड़ा सवाल ये है कि नीतीश कुमार अपने मकसद में सफल होंगे?
नायडू ने की थी जोरदार लामबंदी
2018 में आंध्रप्रदेश को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर नायडू ने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया था। गठबंधन तोड़ने से पहले नायडू ने बीजेपी पर जोरदार हमला किया था। नायडू ने भी बीजेपी के खिलाफ मोर्चेबंदी के लिए कांग्रेस से लेकर वाम दलों से बात की थी। उस दौरान तो नायडू ने कश्मीर से कन्याकुमारी को माप लिया था। लगातार बीजेपी पर हमले और मोदी सरकार पर निशाना साधा था। 2019 चुनाव से पहले नायडू मोदी के खिलाफ फ्रंट बनाने को लेकर खूब मेहनत की थी।
2018 में शुरू की थी मुहिम
नायडू ने एंटी मोदी फ्रंट बनाने के लिए पूरी ताकत झोंकी थी। नायडू ने कांग्रेस तत्कालीन महासचिव अशोक गहलोत से मुलाकात की थी। उस समय एंटी मोदी खेमे के प्रमुख चेहरे थे नायडू। 2018 में नायडू और गहलोत के बाद हुई इस मीटिंग के बाद सभी विपक्षी दलों के नेताओं से बैठक की योजना बनी थी।
अर्थव्यवस्था और सीबीआई.. नायडू ने यूं बोला था हमला
कभी एनडीए के संयोजक रह चुके नायडू ने तत्कालीन बीजेपी चीफ अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी पर सीबीआई और आरबीआई के कामकाज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगया। नायडू ने कहा था कि देश की अर्थव्यवस्था खस्ता हालत में है। इन सबके के पीछे जिम्मेदार उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को ठहराया था।
तमाम विपक्षी नेताओं से मुलाकात
नायडू ने मोदी के खिलाफ मोर्चा बनाने के लिए विपक्ष के तमाम नेताओं से मुलाकात की थी। उन्होंने राहुल गांधी, फारूख अब्दुल्लाह, मायावती, अरविंद केजरीवाल, शरद यादव, यशवंत सिन्हा, मुलायम सिंह, अखिलेश यादव, सीताराम येचुरी, एच डी देवगौड़ा, एच डी कुमारस्वामी और स्टालिन से मुलाकात की थी। नायडू ने राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान देश में लोकतंत्र को कैसे बचाया जाए इसे लेकर बात की थी। हालांकि, उनकी यह भागादौड़ी ज्यादा सफल नहीं हो पाई थी।
2022 में पिक्चर थोड़ी अलग
2022 में पिक्चर थोड़ी अलग हो गई है। इसबार एनडीए के पूर्व सहयोगी नीतीश कुमार मोर्चे पर हैं। माना जा रहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी को मात देने के लिए वह विपक्ष के साझा कैंडिडेट बनने की रेस में है। हालांकि, वह खुद कभी इस मुहिम से खुद को जुड़ा नहीं मानते हैं। नीतीश का दावा है कि वो विपक्ष की लामबंदी करने में जुटे हैं ताकि 2024 में केंद्र से बीजेपी सरकार को उखाड़ फेंका जाए। तो क्या जो काम 2018 में नायडू नहीं कर पाए वो काम नीतीश कर पाएंगे? इसपर विश्लेषकों की अलग-अलग राय है।
नीतीश को मिलेगी सफलता?
तो क्या नीतीश को मिशन 2024 में मिलेगी सफलता। इसके लिए हमें कुछ विपक्षी दलों के बयानों को समझना होगा। टीएमसी ने कुछ दिन पहले घोषणा की है कि वह राज्य में अकेले चुनाव लड़ेगी और परिणाम के बाद या पोस्ट पोल अलायंस कर सकती है। जाहिर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी विपक्ष के पीएम कैंडिडेट पद पर अपना दावा छोड़ती नजर नहीं आ रही हैं। कुछ दिन पहले उन्होंने कहा भी था कि केंद्र से मोदी सरकार को हटाना उनकी ‘आखिरी लड़ाई’ होगी।
दूसरी तरफ अखिलेश यादव ने बयान दिया है कि वह सबकुछ ममता और के चंद्रशेखर राव पर छोड़ते हैं। यानी उन्होंने भी एक तरह से चुप्पी साध रखी है। समाजवादी पार्टी के मुखिया को ये बात अच्छे से मालूम है कि यूपी के बिना केंद्र में किसी के लिए भी सरकार बनाना मुश्किल है। ऐसे में वह पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की कवायद में जुटे हैं। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी 2024 के लिए कुछ बोला नहीं है। ये भी सनद रहे कि जहां-जहां कांग्रेस कमजोर हुई है वहां आम आदमी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया है। दिल्ली और पंजाब इसका बड़ा उदाहरण है। ऐसे में क्या केजरीवाल कांग्रेस वाले मोर्चे के साथ जाने की जहमत उठाएंगे?
दिल्ली में नीतीश की मुलाकात पॉलिटिक्स
2024 चुनाव के मद्देनजर नीतीश कुमार की मेल-मिलाप का कार्यक्रम चल रहा है। विपक्ष को एकजुट करने के मिशन पर लगे हुए हैं। इसके तहत सीएम नीतीश सोमवार को पटना से दिल्ली पहुंचे थे। बुधवार तक रहने का कार्यक्रम है। दिल्ली आते के साथ ही उन्होंने सबसे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी से मुलाकात की। विपक्षी एकजुटता पर बातें हुई। इससे पहले नीतीश ने पटना में आरजेडी चीफ लालू यादव से मुलाकात की थी।
उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी। समझा जाता है कि 45 मिनट चले इस मुलाकात में नीतीश ने विपक्ष के साझा लड़ने पर बात की। लेकिन एक बात ये भी है कि राहुल ने रामलीला मैदान में हल्लाबोल रैली में साफ-साफ कहा था कि कांग्रेस ही बीजेपी से लड़ सकती है। यानी संदेश साफ था। विपक्षी एकता की बात तो ठीक है लेकिन कांग्रेस को इग्नोर नहीं किया जा सकता है।
2024 में समय, क्या साझा विपक्ष तैयार कर पाएंगे नीतीश?
नीतीश जिस आक्रामक तरीके से बीजेपी के खिलाफ लामबंदी में जुटे हैं उसपर भगवा दल भी करीब से नजर बनाए हुए है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक दिन पहले मुंबई में उद्धव ठाकरे पर बड़ा हमला किया था। उन्होंने कहा था कि जिस तरह से उद्धव ने दगाबाजी की थी, उसके लिए उन्हें सबक सिखाना जरूरी था। यही नहीं, उन्होंने एकनाथ शिंदे वाले गुट को असली शिवसेना बता दिया। तो क्या बीजेपी 2024 से पहले कुछ बड़ा तैयारी करके नीतीश की घेरेबंदी करेगी? या फिर नीतीश मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खड़ा कर पाएंगे? 2024 चुनाव में अभी करीब-करीब डेढ़ साल का वक्त है। ऊंट किस करवट बैठेगा ये तो भविष्य के गर्भ में है। लेकिन नीतीश के सामने नायडू वाली चुनौती भी है, जिससे वो कैसे निपटेंगे ये देखने वाली बात होगी।