New Delhi: रक्षा जगत में दुनियाभर में भारत (Indias Defence System) का रुतबा आने वाले दिनों में और भी बढ़ने वाला है। भारत और रूस के जॉइंट वेंचर के तहत तैयार की गई सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (BrahMos Missile) अगले साल तक फिलीपींस को निर्यात की जाएगी।
रूस के डेप्युटी चीफ ऑफ मिशन रोमन बाबुश्किन ने भी इसकी पुष्टि की है। फिलीपींस के अलावा कई अन्य देशों ने भी इस सुपरसोनिक मिसाइल (BrahMos Missile) में अपनी रुचि दिखाई है। ब्रह्मोस मिसाइल को सबमरीन, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन से लॉन्च किया जा सकता है।
करीबी सूत्रों ने बताया कि कुछ ही दिनों में फिलीपींस के साथ पहली डील पर हस्ताक्षर किए जाएंगे और अगले साल की शुरुआत तक फिलीपींस को मिसाइल (BrahMos Missile) सप्लाई भी कर दी जाएगी। अगले साल होने वाले समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो दुतर्ते शामिल होंगे।
मोदी-दुतर्ते के समिट के लिए तैयारियां शुरू
सूत्रों ने बताया, ‘मनीला दौरे पर जाने वाली ब्रह्मोस एयरोस्पेस की टीम डील से जुड़ी मामूली दिक्कतों को समझेगी और उन्हें सुलझाएगी ताकि आने वाले समिट में इस समझौते को फाइनल किया जा सके। बाकी सभी चीजें लगभग फाइनल हो गई हैं।’ उन्होंने आगे बताया, ‘हालांकि पीएम मोदी और दुतर्ते के बीच होने वाले समिट की तारीख तय नहीं हुई है, लेकिन उम्मीद है कि अगले साल फरवरी में समिट का आयोजन हो सकता है।’
कई अन्य देशों ने भी ब्रह्मोस में दिखाई रुचि
बता दें कि भारत की ब्रह्मोस डील को लेकर फिलीपींस से लंबे समय से बातचीत जारी है। दोनों देशों के बीच इस डील को लेकर कई राउंड बातचीत हो चुकी है। कई गल्फ देशों ने भी इस सुपरसोनिक मिसाइल को खरीदने में रुचि दिखाई है। भारत पहले ही कई ब्रह्मोस मिसाइलों को लद्दाख और अरुणाचल में चीन के साथ लगती सीमा पर तैनात कर चुका है।
ब्रह्मोस के नए वर्जन का टेस्ट, और बढ़ी रेंज
पिछले कुछ हफ्तों से कई अलग-अलग जगहों पर मिसाइल के नए वर्जन का परीक्षण चल रहा था। नए वर्जन में मिसाइल की रेंज 290 किमी से बढ़कर 400 किमी हो गई है। हालांकि इसकी रफ्तार 2.8 मैक ही है, जो ध्वनि की रफ्तार से करीब तीन गुना है।