नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अगले राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, लेकिन अब तक पार्टी की ओर से कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। बीजेपी के संविधान के अनुसार, जब तक देश के 50 प्रतिशत से अधिक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में संगठनात्मक चुनाव पूरे नहीं हो जाते, तब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव संभव नहीं है।
क्यों टल रहा है बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव?
बीजेपी के संविधान की धारा-19 और 20 के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक तय प्रक्रिया से होता है, जिसके लिए एक इलेक्टोरल कॉलेज का गठन किया जाता है। इस कॉलेज में राष्ट्रीय परिषद और प्रदेश परिषद के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। वर्तमान में उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और त्रिपुरा जैसे बड़े और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण राज्यों में संगठनात्मक चुनाव या तो अधूरे हैं या फिर प्रदेश अध्यक्षों का कार्यकाल समाप्त हो चुका है।
उत्तर प्रदेश: सबसे महत्वपूर्ण कड़ी
उत्तर प्रदेश बीजेपी का सबसे मजबूत किला माना जाता है। फिलहाल भूपेंद्र सिंह चौधरी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे हैं, लेकिन उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका है। यूपी में किसी नए चेहरे की तैनाती न केवल राज्य की राजनीति बल्कि राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ को भी प्रभावित कर सकती है।
गुजरात: मोदी-शाह का गृह राज्य
गुजरात में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति अंतिम चरण में है। यह राज्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का गृह क्षेत्र होने के कारण संगठनात्मक रूप से बेहद अहम माना जाता है। यहाँ का निर्णय राष्ट्रीय नेतृत्व की दिशा तय कर सकता है।
कर्नाटक: दक्षिण भारत में बीजेपी का गढ़
कर्नाटक, दक्षिण भारत में बीजेपी का एकमात्र सशक्त गढ़ है। लेकिन यहाँ संगठनात्मक चुनावों में देरी के कारण नया अध्यक्ष अब तक नहीं चुना गया है। राज्य में जातीय समीकरणों और हाल की राजनीतिक घटनाओं को देखते हुए, नया अध्यक्ष चयन सोच-समझ कर किया जाएगा।
त्रिपुरा: पूर्वोत्तर की ओर बढ़ता नेतृत्व
पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा में 2022 से राजीव भट्टाचार्य प्रदेश अध्यक्ष हैं, लेकिन पार्टी यहां भी नेतृत्व परिवर्तन की ओर बढ़ रही है। त्रिपुरा में बीजेपी के विस्तार को बनाए रखने के लिए नए अध्यक्ष की नियुक्ति अहम मानी जा रही है।
क्या कहता है बीजेपी का संविधान?
बीजेपी के संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के लिए कम से कम 15 साल की प्राथमिक सदस्यता आवश्यक होती है। इसके अलावा, उम्मीदवार को 5 अलग-अलग राज्यों से 20 प्रस्तावकों का समर्थन चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि जिन राज्यों से प्रस्तावक आएं, वहाँ संगठनात्मक चुनाव पूरे हो चुके हों।
उपराष्ट्रपति के इस्तीफे का भी पड़ा असर
21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद से पार्टी का पूरा ध्यान नए उपराष्ट्रपति के चयन पर केंद्रित हो गया है। इससे अध्यक्ष पद की प्रक्रिया और विलंबित हो गई है।
निष्कर्ष
बीजेपी का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष तब तक सामने नहीं आएगा जब तक उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक और त्रिपुरा जैसे राज्यों में संगठनात्मक नियुक्तियां पूरी नहीं हो जातीं। जब यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, तब ही पार्टी अपने अगले रणनीतिक सेनापति को घोषित करेगी। यह तय है कि अगले अध्यक्ष का चेहरा न केवल पार्टी की आंतरिक राजनीति बल्कि 2029 की दिशा भी तय करेगा।