भोपाल/नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। आज दीपावली पर्व मनाया जा रहा है। शाम को लोग माता लक्ष्मी का पूजन करने के बाद तेज आवाज वाले पटाखों के साथ त्योहार मनाते नजर आएंगे। ऐसे में यह ध्यान रखना जरूरी है कि पटाखों का शोर कहीं आपके पेट्स को बेचैन न कर दे। जिन लोगों के घर में पालतू पशु हैं उन्हें सतर्कता बरतने की जरूरत है। उनके सुरक्षा के लिए इंतजाम करना उचित होगा। क्योंकि इस त्योहार पर पैट ज्यादा परेशान होते हैं। खासतौर पर पटाखों की आवाज उनके लिए काफी नुकसानदेह साबित हो सकती है।
करें यह काम
विशेषज्ञों का कहना है कि पटाखे जलाने से पहले उन्हें भोजन करा दें, क्योंकि आवाज के शोर में वे खाना नहीं खाते। रात में उन्हें वाक न करवाएं, क्योंकि ऐसे में पेट्स के तेज आवाज से घबराकर इधर-उधर भागने और गुम जाने के चांस ज्यादा होते है, क्योंकि वह पटाखों की आवाज डर जाते हैं। दिवाली से लेकर ग्यारस तक उनकी दिनचर्चा में ऐसा ही बदलाव करें।
पेट्स की मेमोरी कम होने का खतरा
डाग प्रशिक्षक जितेंद्र कुमार मिश्रा का कहना है कि कोशिश करें कि पटाखों की आवाज उन्हें कम से कम सुनाई दे। पटाखों का शोर पेट्स को बहुत परेशान करता है। तेज आवाज वाले पटाखों से न केवल उन्हें बेचैनी हो सकती है, बल्कि मेमोरी लास भी हो सकता है। इसलिए जब आतिशबाजी हो, उन्हें कमरे में रखें, थोड़ा संगीत चला दें। टीवी की आवाज तेज कर दें। दरअसल, पेट्स पटाखों की आवाज से इतने डर जाते हैं कि कई बार गंभीर रूप से बीमार पड़ जाते हैं। उन्हें सदमा भी लग सकता है।
पालतू जानवरों से न करें खिलवाड़
शहर के पशु प्रेमी अविनाश शिनाये ने बताया कि लोगों और युवाओं को पालतू और स्ट्रीट डाग के साथ सावधानी बरतने की जरूरत है। कई लोग मजे लेने के लिए इनकी पूछं पर पटाखे लगाकर जला देते हैं, जिससे वह जख्मी होने के साथ डर भी जाते हैं। यहां तक कि वह सदमे में भी आ जाते हैं। उनका ख्याल अपने बच्चों की तरह रखने की जरूरत है।
कान को कपड़े से कवर करें
दिवाली पर पेट्स को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। कई बार शोर-शराबे से वे आक्रामक भी हो जाते हैं। उनके खाने-पीने का पूरा ध्यान रखें। उनका तनाव कम करने के लिए पेट्स के साथ खेलना उचित होगा, जिससे वह सुरक्षित महसूस करें। इसके लिए उसे सहलाएं और पुचकारें। अगर वह डर रहा हो और छिपकर बैठा है, तो उसे जबरदस्ती बाहर न निकालें। खिड़कियां बंद कर दें। वह सहज रहे, इसके लिए उसके कानों को किसी कपड़े से कवर कर दें।
– डा. एचएल साहू, पशु चिकित्सक