नई दिल्ली: कवि अशोक वाजपेयी ने शुक्रवार को कहा कि वह उस सांस्कृतिक महोत्सव में हिस्सा नहीं लेंगे जिसमें पहले वह लेने वाले थे, क्योंकि आयोजकों ने उनसे सरकार की आलोचना वाली कविताएं नहीं पढ़ने को कहा है। हालांकि सत्र के सह-आयोजक रेख़्ता फ़ाउंडेशन के एक प्रवक्ता ने उनके इस दावे से इंकार कर दिया है कि उन्हें कविता पढ़ने से रोका जा रहा है।वाजपेयी शुक्रवार को सुंदर नर्सरी में ज़ी द्वारा आयोजित तीन दिवसीय ‘अर्थ कल्चर फेस्ट’ में अनामिका, बद्री नारायण, दिनेश कुशवाहा और मानव कौल सहित अन्य कवियों के साथ एक कविता सत्र में भाग लेने वाले थे। रेख़्ता फ़ाउंडेशन कविता सत्र में आयोजकों के साथ सहयोग कर रहा है।
‘मुझसे सरकार की आलोचनाओं वाली कविता न पढ़ने को कहा गया’
वाजपेयी ने फेसबुक पर लिखा, ‘मैं अर्थ और रेख़्ता द्वारा अयोजित ‘कल्चर फेस्ट’ में भाग नहीं ले रहा हूं क्योंकी मुझसे कहा गया कि मैं ऐसी ही कविताएं पढूं जिनमें राजनीति या सरकार की सीधी आलोचना न हो। इस तरह की रोक अस्वीकार्य है।’ वाजपेयी ने बाद में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि उन्होंने सात “कोरस” पढ़ने की योजना बनाई थी।
‘मैं इस तरह के सेंसर के पक्ष में नहीं’
82 वर्षीय कवि ने कहा, ‘रेख़्ता से एक व्यक्ति ने मुझसे संपर्क किया और पूछा कि क्या मैं राजनीतिक संकेतार्थ वाली कोई कविता पढ़ूंगा। मैंने उनसे कहा कि कविता गैर-राजनीतिक कैसे हो सकती है, इसलिए उन्होंने मुझे इससे दूर रहने के लिए कहा।’ उन्होंने कहा, ‘मैं इस तरह की ‘सेंसर’ के पक्ष में नहीं हूं, इसलिए मैं इसमें शामिल नहीं हो रहा हूं।’ रेख़्ता फ़ाउंडेशन के एक प्रवक्ता ने वाजपेयी के दावे का खंडन किया और कहा कि न तो रेख़्ता और न ही ज़ी के आयोजकों ने सत्र में किसी भी कवि से ऐसी मांग की है।
रेख्ता फाउंडेशन ने किया खंडन
रेख़्ता फ़ाउंडेशन के संचार प्रमुख सतीश गुप्ता ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हमने सभी से पूछा कि वे सत्र में क्या सुनाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन वह सिर्फ इसलिए था ताकि हम इसे कार्यक्रम में उनके परिचय में जोड़ सकें। हमने या ज़ी ने उन्हें कभी भी यह नहीं कहा कि वे राजनीतिक वितायें नहीं पढ़ सकते। अगर यह सच होता, तो हमने सबसे यही कहा होता।’ गुप्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि रेख्ता फाउंडेशन सहयोग से केवल कविता सत्र का आयोजन कर रहा है न कि पूरे सांस्कृतिक उत्सव का, जो शुक्रवार से शुरू हो रहा है।