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Thursday, October 5, 2023

धर्मांतरण विरोधी कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती, याचिकाकर्ता ने बताया कपल हो रहे हैं प्रताड़ित

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। आठ राज्यों के धर्मांतरण विरोधी कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमेन ने सुप्रीम कोर्ट में इन कानूनों को चुनौती देते हुए कहा है कि यह निजता और मानव गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में यूपी, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, उत्तराखंड और झारखंड सरकार के कानून को चुनौती दी गई है।

याचिका में कहा गया है कि कानून में लुभाना शब्द को व्यापक कर दिया गया है। इसके तहत विवाह के उद्देश्य को भी भीतर लाया गया है। कानून में महिलाओं को एक कमजोर वर्ग के तौर पर दिखाया जाना आपत्तिजनक है। इस कारण महिलाओं के स्वायत्तता के अधिकार प्रभावित होते हैं। याचिका में कहा गया है कि कानून संविधान के अनुच्छेद-25 के तहत मिले अधिकार को सीमित करता है। साथ ही याचिकाकर्ता ने कहा है कि इन कानूनों के कारण अंतर धार्मिक शादी करने वाले कपल को प्रताड़ित किया जा रहा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने को कहा
गौरतलब है कि 3 फरवरी 2021 को शादी के लिए गलत तरीके से धर्म परिवर्तन पर रोक संबंधित यूपी सरकार के कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के रुख को देखने के बाद याचिकाकर्ता ने अर्जी वापस लेने की इजाजत मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी इजाजत देते हुए याचिकाकर्ता को इस बात की स्वतंत्रता दी थी कि वह इलाहाबाद हाईकोर्टमें अर्जी दाखिल कर सकता है।

यूपी, उत्तराखंड ने बनाया है कानून
यूपी सरकार ने प्रोहिबिशन ऑफ अनलॉफुल कन्वर्जन ऑफ रिलिजियस ऑर्डिनेंस 2020 और उत्तराखंड सरकार ने फ्रीडम ऑफ रिलिजियस एक्ट 2020 अध्यादेश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और उत्तराखंड के कानून के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान यूपी और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था और वह मामला पेडिंग है। इसी बीच 25 जनवरी को शादी के लिए गलत तरीके से धर्म परिवर्तन पर रोक संबंधित यूपी सरकार के कानून को चुनौती वाली याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्टसे सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की यूपी सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया था सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की अर्जी पर केस ट्रांसफर करने से मना कर दिया था और कहा था कि अगर हाईकोर्टमामले की सुनवाई कर निपटारा करना चाहती है तो फिर हम क्यों दखल दें। हाईकोर्टका फैसला सामने आने दिया जाए उसके बाद हम सुनेंगे।

वहीं सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर सुनवाई से मना कर दिया था जिसमें याचिकाकर्ता ने शादी के लिए गलत तरीके से धर्म परिवर्तन के खिलाफ मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए कानून को चुनौती थी सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि वह इस मामले में हाईकोर्टअप्रोच करें। इस मामले से संबंधित अन्य याचिका पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है। सुप्रीम कोर्ट ने तब कहा था कि पहले हाईकोर्टका फैसला आ जाए और वह हाईकोर्टका इस मामले पर मत देखना चाहते हैं।

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