Maldives : भारत-मालदीव संबंधों को नई ऊर्जा देने की दिशा में बड़ा कदम
नई दिल्ली/माले, 25 जुलाई (वेब वार्ता)।
भारत ने मालदीव को 565 मिलियन डॉलर (लगभग 4,700 करोड़ रुपये) की लाइन ऑफ क्रेडिट (ऋण सुविधा) देने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को द्विपक्षीय बैठक के बाद यह ऐलान किया। यह सहायता भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति और ‘सागर’ (SAGAR – सुरक्षा और विकास के लिए क्षेत्रीय सहयोग) विज़न के तहत दी जा रही है, जो हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और साझेदारी को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखती है।
प्रधानमंत्री मोदी और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के बीच यह बातचीत माले में आयोजित हुई। दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व के बीच हुई इस बैठक में रणनीतिक, आर्थिक और क्षेत्रीय सहयोग को मजबूती देने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।
Addressing the press meet with President @MMuizzu of Maldives. https://t.co/MiPhU3fuUC
— Narendra Modi (@narendramodi) July 25, 2025
भारत और मालदीव के बीच ऐतिहासिक सहयोग (Cooperation between India and Maldives)
भारत और मालदीव के बीच ऐतिहासिक रूप से मजबूत और सौहार्दपूर्ण संबंध रहे हैं। भारत ने हमेशा संकट के समय मालदीव का साथ दिया है — चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो या आर्थिक संकट। इसी कड़ी में यह नई आर्थिक सहायता एक और संकेत है कि भारत क्षेत्रीय सहयोग को प्राथमिकता देता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा,
“भारत और मालदीव केवल पड़ोसी ही नहीं, बल्कि करीबी मित्र हैं। हमने 565 मिलियन डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट की घोषणा की है ताकि मालदीव अपनी आधारभूत संरचना को सुदृढ़ कर सके और अपने नागरिकों के लिए विकास का मार्ग प्रशस्त कर सके।”
इस सहायता का उद्देश्य क्या है?
मालदीव को दी जा रही यह सहायता मुख्यतः विकास परियोजनाओं, अवसंरचना निर्माण, डिजिटल कनेक्टिविटी, सड़क निर्माण, और स्वास्थ्य व शिक्षा जैसे सामाजिक क्षेत्रों में उपयोग की जाएगी।
विशेष जानकारी के अनुसार, इस फंड का उपयोग “ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट” जैसी महत्त्वाकांक्षी परियोजनाओं के लिए भी किया जा सकता है, जो राजधानी माले को अन्य द्वीपों से जोड़ने वाली सबसे बड़ी अवसंरचनात्मक योजना मानी जाती है।
द्विपक्षीय सहयोग के अन्य पहलू
इस बैठक में भारत और मालदीव के बीच केवल आर्थिक मदद ही नहीं, बल्कि कई अन्य क्षेत्रों में भी सहमति बनी। इनमें शामिल हैं:
रक्षा सहयोग: भारत पहले से ही मालदीव को कोस्ट गार्ड जहाज, निगरानी विमान और प्रशिक्षण सहायता उपलब्ध कराता रहा है। दोनों देशों ने रक्षा क्षमताओं को और मज़बूत करने का संकल्प लिया।
स्वास्थ्य और शिक्षा: भारत द्वारा प्रदान की गई कोविड-19 वैक्सीन की सहायता की सराहना करते हुए, मालदीव ने भारतीय स्वास्थ्य तंत्र से और अधिक सहयोग मांगा है। भारत ने मालदीव के मेडिकल छात्रों को स्कॉलरशिप देने की प्रतिबद्धता भी दोहराई।
आर्थिक पुनर्निर्माण: मालदीव की सरकार कोविड महामारी के बाद आर्थिक पुनर्निर्माण की दिशा में भारत को प्रमुख सहयोगी मानती है। भारत की ओर से लगातार मिलने वाली आर्थिक सहायता और निवेश इसके प्रमाण हैं।
चीन की मौजूदगी के बीच भारत की रणनीति
विशेषज्ञों का मानना है कि यह सहायता केवल आर्थिक दृष्टि से नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। मालदीव हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के लिए एक प्रमुख रणनीतिक बिंदु है। चीन द्वारा इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिशों को देखते हुए, भारत का यह कदम साफ संदेश देता है कि वह अपने पारंपरिक सहयोगियों के साथ खड़ा है।
हाल के वर्षों में चीन ने भी मालदीव में कई परियोजनाओं में निवेश किया है। ऐसे में भारत की ओर से 565 मिलियन डॉलर की सहायता यह दर्शाता है कि भारत सहयोग, पारदर्शिता और दीर्घकालिक साझेदारी के सिद्धांतों पर आधारित कूटनीति को आगे बढ़ा रहा है।
राजनयिक प्रतिक्रिया
भारत में मालदीव के उच्चायुक्त इब्राहीम शिहाब ने कहा:
“भारत का यह कदम हमारे द्विपक्षीय रिश्तों को नई ऊंचाई पर ले जाएगा। यह केवल आर्थिक मदद नहीं, बल्कि हमारे साझा भविष्य में विश्वास की अभिव्यक्ति है।”
वहीं भारतीय विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने कहा कि यह सहायता हिंद महासागर में भारत की स्थिरता और सहयोग आधारित नीति का हिस्सा है।
भारत द्वारा मालदीव को दी गई 565 मिलियन डॉलर की सहायता न केवल दोनों देशों के आपसी संबंधों को सुदृढ़ करने में मदद करेगी, बल्कि यह क्षेत्रीय स्थिरता, विकास और संतुलन को बनाए रखने की दिशा में एक ठोस कदम भी है।
यह सहयोग भारत की नरम शक्ति (Soft Power) और पड़ोस को प्राथमिकता (Neighbourhood First) देने की नीति को और अधिक स्पष्ट करता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह आर्थिक साझेदारी किस तरह मालदीव के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को बदलने में भूमिका निभाती है।