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Thursday, October 5, 2023

शशि थरूर जीत पाएंगे कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव अशोक गहलोत के लिए पूरा जोर लगा रहा है गांधी परिवार

नई दिल्ली: तो क्या कांग्रेस में अध्यक्ष पद (Congress President Election) के लिए चुनाव तय है? पार्टी के सियासी गलियारों में जिस तरह राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर एक्टिव हैं उससे संकेत तो यही मिल रहा है। पार्टी की अंतरिम प्रमुख सोनिया गांधी ने साफ कह दिया है कि इस चुनाव में वो न्यूट्रल भूमिका में होंगी। गहलोत ने कांग्रेस के इस शीर्ष पद के लिए मुकाबले आने का संकेत तो कर ही दिए हैं। गहलोत ने कहा है कि अगर राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने को तैयार नहीं होंगे तो मजबूरन उन्हें मैदान में उतरना ही होगा। उधर, थरूर सोनिया और प्रियंका गांधी से मिल चुके हैं। माना जा रहा है कि थरूर ने सोनिया के साथ मुलाकात में अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने की मंशा बता चुके हैं। ऐसे में गहलोत बनाम थरूर की जंग तय होती दिख रही है। दो दशक बाद एक बार फिर कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए टक्कर होती दिख रही है। 2000 में जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ मैदान में ताल ठोकी थी। हालांकि, उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

गहलोत ने विधायकों को बता दी मन की बात

दरअसल, गहलोत ने मंगलवार को अचानक राज्य के विधायक दल की बैठक बुलाई। इस बैठक में उन्होंने संकेत दे दिया है कि उन्हें दिल्ली जाना पड़ सकता है। गहलोत ने विधायकों को बताया कि अगर उन्हें राज्य से बाहर भी जाना पड़ा तो वह राज्य की देखभाल जारी रखेंगे। गौर करने वाली बात ये थी कि इस बैठक में गहलोत को धुर विरोधी सचिन पायलट शामिल नहीं थे। पायलट राहुल की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए केरल में हैं।
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केंद्रीय नेतृत्व की पसंद हैं गहलोत

गहलोत को गांधी फैमिली का बेहद करीबी माना जाता है। कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए उनका नाम पिछले काफी समय से पार्टी के सियासी गलियारों में चल रहा है। गहलोत सोनिया गांधी और राहुल दोनों के करीबी हैं। हालांकि, विधायकों की बैठक में उन्होंने कहा कि वह अध्यक्ष पद के लिए राहुल को एकबार फिर से मनाने की कोशिश करेंगे। अगर राहुल अध्यक्ष पद के लिए नहीं मानते हैं तो गहलोत मैदान में उतर जाएंगे ये तय है। अगर गहलोत पार्टी अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतरते हैं तो उनकी जीत लगभग तय होगी। क्योंकि अध्यक्ष चुनाव में वोट डालने वाले नेता अभी भी गांधी परिवार के प्रति निष्ठावान हैं। गहलोत को गांधी परिवार के नुमाइंदा के रूप में पेश किया जाएगा। ऐसे में मुकाबले में थरूर जरूर होंगे लेकिन उनकी वो कितने कामयाब होंगे ये देखना होगा। कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को चुनाव होने हैं।

राहुल के लिए अभी भी लामबंदी
उधर, राहुल को मनाने के लिए अभी भी पार्टी के नेता जोर लगा रहे हैं। कुल 11 राज्यों की कांग्रेस कमिटी ने राहुल को अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव पास किया है। राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, बिहार, गुजरात, पुड्डुचेरी, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, झारखंड और हरियाणा ने राहुल को अध्यक्ष बनाने की मांग की है।
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गहलोत के क्या चांस?
अगर राहुल कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए तैयार नहीं होते हैं तो गहलोत की जीत तय होगी। गहलोत न केवल पार्टी के कद्दावार नेता हैं बल्कि गांधी परिवार के वफादार भी हैं। हाल के दिनों में चाहे राजस्थान में राज्यसभा का चुनाव हो या गुजरात में पार्टी को मजबूत करने का काम आलाकमान ने गहलोत को इन सबकी जिम्मेदारी दी है। ऐसे में जिन पार्टी यूनिट्स ने राहुल का समर्थन किया है वो गहलोत को समर्थन करने में देर नहीं लगाएंगे।
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जी-23 के मेंबर थरूर एक्टिव
थरूर भले ही पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक रहे हैं लेकिन उनके राज्य केरल इकाई के नेता ही उन्हें गंभीर उम्मीदवार नहीं मान रहे हैं। पार्टी में सुधार करने के लिए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वाले जी-23 के सदस्य थरूर के लिए ये चुनाव आसान नहीं होने वाला है। थरूर ने कुछ दिन पहले सोनिया गांधी से मुलाकात की थी और अपनी अध्यक्ष पद पर लड़ने की मंशा साफ की थी। थरूर ने प्रियंका गांधी से भी मुलाकात की है। माना जा रहा है कि सोनिया की तरह प्रियंका ने भी थरूर को कहा है कि वह इस चुनाव मे तटस्थ भूमिका निभाएंगी।

केरल में ही नहीं मिल रहा थरूर को साथ

कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थरूर को उनके घर केरल में कांग्रेस नेताओं का समर्थन नहीं मिल रहा है। केरल में कई कांग्रेसी नेताओं ने कहा कि हम थरूर की उम्मीदवारी को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। नेताओं ने कहा कि थरूर ने ऐसा करने से पहले उनसे कोई सहमति नहीं ली थी। उधर,पार्टी महासचिव के सी वेणुगोपाल अध्यक्ष पद पर चर्चा के लिए सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली भी आए थे। जब उनसे राहुल गांधी के अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इससे इनकार भी नहीं किया।
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गहलोत की बेदाग छवि, मजबूत नेता वाली इमेज
अशोक गहलोत की छवि पार्टी में एक बेदाग छवि और मजबूत नेता के तौर पर है। वहीं, थरूर का रिश्ता कई विवादों से रहा है। थरूर को 2010 में अपने प्रभाव का दुरुपयोग कर आईपीएस क्रिकेट फ्रैंचाइजी में शेयर खरीदने के कारण केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसके अलावा 2014 में पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के मामले में थरूर फंसे थे। कई बार ट्विटर पर भी थरूर के ट्वीट से विवाद हुए हैं।

गहलोत के पास प्रशासनिक अनुभव
राजस्थान के सीएम गहलोत के पास पार्टी में कई पदों पर काम करने का प्रशासनिक अनुभव है। वह तीन बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। वह इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और पीवी नरसिम्हा राव कैबिनेट में पद संभाल चुके है। वह तीन बार राजस्थान के सीएम रह चुके हैं। थरूर दो बार केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं लेकिन थोड़े वक्त के लिए।

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