नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने विजयादशमी के मौके पर नागपुर में बोलते हुए कहा कि जनसंख्या पर एक समग्र नीति बनाए जाने की जरूरत है। यह सब पर समान रूप से लागू हो, किसी को छूट नहीं मिले, ऐसी नीति लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज देश में 70 करोड़ से ज्यादा युवा हैं। मोहन भागवत ने कहा कि चीन को जब लगा कि जनसंख्या बोझ बन रही है तो उसने रोक लगा दी। हमारे समाज को भी जागरूक होना पड़ेगा। जनसंख्या जितनी अधिक उतना बोझ ज्यादा।
धर्म आधारित जनसंख्या असंतुलन एक महत्वपूर्ण विषय है जिसको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मोहन भागवत ने कहा कि जनसंख्या असंतुलन से भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन होता है। जन्म दर में अंतर के साथ-साथ बल, लालच और घुसपैठ ये सब धर्मांतरण के भी बड़े कारण हैं। हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों को खिला और झेल सकता है। इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने और वह सब पर समान रूप से लागू हो।
मोहन भागवत ने कहा कि यह सही है कि जनसंख्या का ठीक से उपयोग किया तो वह साधन बनता है लेकिन हमको भी विचार करना होगा कि हमारा देश 50 वर्षों के बाद कितने लोगों भोजन करा सकता है और झेल सकता है। इसलिए जनसंख्या की एक समग्र नीति बने और वह सब पर समान रूप से लागू हो।
उन्होंने जनसंख्या के साथ ही रोजगार के मुद्दे पर बोलेते हुए कहा कि रोजगार मतलब नौकरी और नौकरी के पीछे ही भागेंगे और वह भी सराकरी। अगर ऐसे सब लोग दौड़ेंगे तो नौकरी कितनी दे सकते हैं। किसी भी समाज में सराकरी और प्राइवेट मिलाकर ज्यादा से ज्यादा 10, 20, 30 प्रतिशत नौकरी होती है। बाकी सब को अपना काम करना पड़ता है।
मोहन भागवत ने कहा कि मंदिर, पानी और श्मशान भूमि सबके लिए समान होनी चाहिए। हमें छोटी- छोटी बातों पर नहीं लड़ना चाहिए। संघ प्रमुख ने अपने संबोधन में हिन्दू और हिंदुस्तान की चर्चा करते हुए कहा कि हिंदुस्तान एक हिंदू राष्ट्र है लेकिन हमारा किसी से विरोध नहीं है। हमें किसी को जीतना नहीं बल्कि जोड़ना है। ऐसा बनना है कि कोई हमें जीत न सके।