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Thursday, November 30, 2023

क्या केंद्रीय जांच एजेंसियों को राज्य सरकार रोक सकती है?

नई दिल्‍ली: सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियां पश्चिम बंगाल (West Bengal) में कई मामलों की जांच कर रही हैं। इनमें तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कई वरिष्ठ नेता भी आरोपी हैं। राज्‍य को लगता है कि केंद्र के इशारे पर इन एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसे लेकर शुक्रवार को पश्‍चिम बंगाल विधानसभा में एक प्रस्‍ताव पारित हुआ है। हाल में बिहार ने भी राज्‍य में सीबीआई की एंट्री को लेकर ‘सामान्‍य सहमति’ को वापस लिया था। इसके बाद केंद्रीय जांच एजेंसी को बिहार में छापेमारी से पहले राज्‍य सरकार की मंजूरी लेनी होगी। बिहार सरकार ने सीबीआई की ताबड़तोड़ छापेमारी के बाद यह कदम उठाया था। पिछले दिनों केंद्रीय एजेंसियों ने आरजेडी के कई नेताओं के ठिकाने पर छापेमारी की थी। सवाल यह उठता है कि क्‍या केंद्रीय एजेंसियों को भी जांच और छापेमारी के लिए राज्‍य सरकारों की मंजूरी चाहिए? आखिर इसे लेकर नियम क्‍या हैं? आइए, यहां इस बात को समझने की कोशिश करते हैं।

क्‍या राज्‍य सरकारें सीबीआई को रोक सकती हैं?
सीबीआई का गठन दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट ऐक्ट 1946 के तहत हुआ है। इस कानून का सेक्‍शन 5 केंद्र सरकार को जांच शुरू करने की अनुमति देता है। हालांकि, इसी ऐक्‍ट का सेक्‍शन 6 कहता है कि सीबीआई को किसी मामले की जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति लेनी जरूरी है। इस तरह यह बिल्‍कुल सही है कि राज्‍य सरकार की मंजूरी के बिना यह केंद्रीय एजेंसी जांच नहीं कर सकती हैं।

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बात सिर्फ यहीं खत्‍म नहीं होती है। दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टैब्लिशमेंट ऐक्ट केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के बिना भी कोई जांच करने की अनुमति नहीं देता है। यह उन मामलों में लागू होता है जब इसमें केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव और उससे ऊपर के स्तर के कर्मचारी और ऐसे अधिकारी शामिल होते हैं केंद्रीय अधिनियम के तहत नियुक्‍त किया जाता है। हालांकि, वही सेक्‍शन कहता है कि रिश्वत लेने या लेने का प्रयास करने के आरोप में किसी व्यक्ति की मौके पर ही गिरफ्तारी से जुड़े मामलों के लिए ऐसी कोई मंजूरी जरूरी नहीं है।

मुझे नहीं लगता कि राज्य में केंद्रीय एजेंसियों की ज्यादतियों के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाथ है।

ममता बनर्जी, मुख्‍यमंत्री (पश्चिम बंगाल)

केंद्रीय एजेंसियों को रोकने की छिड़ चुकी है मुहिम
तेलंगाना के मुख्‍यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने हाल में सभी राज्‍यों से अपील की थी। राव ने कहा था कि राज्‍यों को सीबीआई के लिए ‘सामान्‍य सहमति’ को वापस लेना चाहिए। बिहार सरकार ने इसी के बाद ‘सामान्‍य सहमति’ को वापस लिया था। इसके बाद अब सीबीआई जब भी बिहार में जांच या छापेमारी के लिए जाएगी तो उसे राज्य सरकार से इजाजत लेनी होगी। कह सकते हैं कि इस तरह राज्‍य केंद्रीय एजेंसियों के रास्‍ते में एक बाधा डाल सकते हैं।

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किन राज्‍यों ने पहले से लगा रखी है रोक?
तमाम ऐसे राज्य हैं जहां सीबीआई को ‘सामान्य सहमति’ से जांच का अधिकार है। इसका मतलब यह हुआ कि उन राज्‍यों में सीबीआई राज्य सरकार की मंजूरी के बिना जांच के लिए जाने के लिए आजाद है। हालांकि, कई राज्‍यों ने इसे लेकर बैन लगा रखा है। ऐसे राज्‍यों में अब बंगाल और बिहार भी शामिल हो चुके हैं। वहीं, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र, केरल, झारखंड और मेघालय में भी सीबीआई के लिए राज्‍यों की मंजूरी लेना जरूरी है।

ईडी और एनआईए के लिए क्‍या है नियम?
सीबीआई की तरह ईडी और एनआईए भी केंद्रीय एजेंसियां हैं। यह और बात है कि इनके लिए नियम अलग हैं। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी अमूमन भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच करता है। इसे जांच के लिए राज्य सरकार की मंजूरी की जरूरत नहीं है। ठीक ऐसे ही एनआईए राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकी मामलों की जांच करती है। इसके पास देश के किसी भी राज्य में जांच का अधिकार है। इसे भी जांच के लिए राज्य सरकार से इजाजत की जरूरत नहीं है।

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