Saturday, August 2, 2025
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संगम विहार के हजारों बच्चों का भविष्य अधर में: 20 साल से टपकती छतों के नीचे पढ़ाई

नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। भारत की राजधानी दिल्ली का संगम विहार इलाका इस समय शिक्षा व्यवस्था की लचर स्थिति का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। यहां के हजारों छात्र पिछले 20 वर्षों से पोर्टा केबिनों में जोखिम भरी शिक्षा लेने को मजबूर हैं।

जहां एक ओर देश शिक्षा के डिजिटलीकरण और स्मार्ट क्लासरूम की ओर बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली के इस घनी आबादी वाले इलाके के बच्चे टपकती छतों और गिरते सीलिंग बोर्डों के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं।

20 सालों से अस्थायी ढांचे में चल रहा स्कूल

संगम विहार के आई-ब्लॉक और जी-ब्लॉक में दो ऐसे स्कूल स्थित हैं, जो पोर्टा केबिन के अस्थायी ढांचे में चल रहे हैं।

  • आई-ब्लॉक स्कूल में दो पाली में लगभग 1100 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं – पहली पाली में लगभग 600 लड़कियां, और दूसरी पाली में करीब 500 लड़के

  • वहीं जी-ब्लॉक स्कूल में भी लगभग 1000 बच्चे सीमित संसाधनों के बीच पढ़ाई करते हैं।

पोर्टा केबिन के ये ढांचे अब इतने जर्जर हो चुके हैं कि हर बारिश में इनकी छतें टपकती हैं, फॉल्स सीलिंग गिरती है, और बच्चों की जान खतरे में पड़ती है।

वन विभाग और एमसीडी के बीच फंसा स्कूल भवन का निर्माण

इन स्कूलों की यह दुर्दशा केवल सुविधाओं की कमी का मामला नहीं, बल्कि प्रशासनिक असमंजस का परिणाम है।

  • स्कूल की जमीन तकनीकी रूप से वन विभाग की घोषित है।

  • लेकिन इस पर कब्जा और उपयोग एमसीडी के पास है।

इस जमीन विवाद के चलते पिछले दो दशकों से स्थायी स्कूल भवन की फाइलें धूल फांक रही हैं। नतीजतन, भवन निर्माण की अनुमति तक नहीं मिल पाई है।

बरसात में हालात और बिगड़ जाते हैं

हर मानसून में हालात और भीतर तक भयावह हो जाते हैं:

  • कमरों की छतों से पानी टपकता है

  • सीलिंग बोर्ड गिरते हैं, जिससे चोट लगने का खतरा बना रहता है

  • बच्चे गीली दीवारों और फफूंदी भरे माहौल में बैठने को मजबूर हैं

  • बिजली के उपकरणों से करंट लगने का डर हमेशा बना रहता है

अभिभावकों की चिंता, प्रशासन की चुप्पी

इस स्थिति को लेकर अभिभावकों में भारी नाराज़गी और चिंता है।

  • वे हर दिन अपने बच्चों को जान जोखिम में डालकर स्कूल भेजते हैं।

  • कई बार स्थानीय नेताओं और अधिकारियों से शिकायतें की गईं, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला।

  • शिक्षकों का भी कहना है कि वे बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ हर समय उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं

स्थानीय संगठनों की मांग

स्थानीय नागरिक समूहों, आरडब्ल्यूए और सामाजिक संगठनों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है
उनका कहना है:

“अगर सरकार शिक्षा के अधिकार की बात करती है, तो संगम विहार जैसे इलाकों को भी बराबरी का हक मिलना चाहिए।”

निष्कर्ष

दिल्ली जैसे शहर में, जहां स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर को मॉडल कहा जाता है, वहां राजधानी का यह इलाका शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित है।
यह स्थिति शिक्षा विभाग, वन विभाग और एमसीडी के बीच की संवादहीनता को उजागर करती है। अगर समय रहते समाधान नहीं निकाला गया, तो यह पीढ़ियों को शिक्षा से दूर करने वाला मामला बन सकता है।

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वेब वार्ता समाचार एजेंसी

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