नई दिल्ली, (वेब वार्ता)। दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर विवादों में है। इस बार मुद्दा विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य केंद्र में एक छात्रा के कपड़ों को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी का है। इस कथित टिप्पणी को लेकर जेएनयू छात्र संघ (JNUSU) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे महिला अधिकारों व व्यक्तिगत स्वतंत्रता का उल्लंघन करार दिया है।
🧑⚕️ घटना का विवरण: स्वास्थ्य केंद्र में असंवेदनशीलता
घटना बुधवार सुबह की है। जानकारी के अनुसार, कोयना हॉस्टल में रहने वाली एक छात्रा की तबीयत अचानक खराब हो गई। उसकी रूममेट ने तत्काल उसे जेएनयू के हेल्थ सेंटर पहुँचाया।
छात्रा की तबीयत को देखते हुए मामला आपातकालीन था। जैसे ही दोनों छात्राएं सुबह करीब 9:30 बजे हेल्थ सेंटर पहुंचीं, वहां तैनात एक पुरुष डॉक्टर ने इलाज के दौरान छात्रा के कपड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा,
“ये शॉर्ट्स क्यों पहन रखी है?”
और
“तुम इसे ऐसे कपड़ों में कैसे ले आई?”
यह टिप्पणी तब की गई जब छात्रा की तबीयत नाजुक थी और उसे तत्काल इलाज की जरूरत थी।
🧑🎓 छात्र संघ का हस्तक्षेप और विरोध
घटना की जानकारी मिलने पर जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष मनीषा और महासचिव मुन्तेहा फातिमा ने तुरंत कार्रवाई करते हुए छात्रा की रूममेट से संपर्क किया। चूंकि छात्रा गंभीर स्थिति में अपने घर लौट गई थी, इसलिए उसके रूममेट से पूरी घटना का विवरण प्राप्त किया गया।
इसके बाद गुरुवार दोपहर 2 बजे, छात्रा की रूममेट, जेएनयूएसयू अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और अन्य प्रतिनिधियों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से मुलाकात की। CMO ने पूरे मामले में आंतरिक जांच का आश्वासन दिया और कहा कि यह मामला चिकित्सा लापरवाही का नहीं, बल्कि व्यक्तिगत नैतिकता थोपने और लैंगिक असंवेदनशीलता से जुड़ा है।
💬 जेएनयूएसयू की कड़ी प्रतिक्रिया
छात्र संघ ने अपने बयान में कहा कि
“जेएनयू एक प्रगतिशील और समावेशी कैंपस है, जहां किसी छात्रा की ड्रेस पर की गई टिप्पणी केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि संस्थागत संवेदनशीलता पर सवाल उठाती है।”
उन्होंने यह भी मांग की कि:
हेल्थ सेंटर के कर्मचारियों को Gender Sensitization Training दी जाए।
इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश तय किए जाएं।
यदि डॉक्टर दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ संस्थानिक अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
⚖️ मामले का सामाजिक व नैतिक पक्ष
यह घटना उन गहरे सवालों को जन्म देती है जो देशभर के विश्वविद्यालयों और संस्थानों में महिला की स्वतंत्रता, उनके पहनावे और मानसिकता से जुड़े हैं। जब एक हेल्थ सेंटर, जहां मरीज की स्थिति, उसकी सुविधा और तुरंत इलाज प्राथमिकता होनी चाहिए, वहां यदि लिंग आधारित पूर्वाग्रह दिखे, तो यह व्यावसायिक नैतिकता और संवेदनशीलता की विफलता है।
🎓 जेएनयू का स्वरूप और अपेक्षा
जेएनयू हमेशा से प्रगतिशील विचारों, छात्र आंदोलनों और सामाजिक समानता के लिए जाना जाता है। ऐसे में अगर उसी कैंपस में छात्राओं के पहनावे को लेकर सवाल उठाए जाएं, तो यह न केवल विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करता है बल्कि देश भर के शैक्षणिक संस्थानों को भी आत्ममंथन के लिए बाध्य करता है।
🧾 निष्कर्ष
जेएनयू हेल्थ सेंटर में छात्रा के कपड़ों पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी एक सिर उठाती पितृसत्ता की अभिव्यक्ति है, जो अब भी संस्थानों के भीतर मौजूद है। छात्र संघ की सजगता और कार्रवाई इस बात का संकेत है कि नई पीढ़ी अपने अधिकारों और गरिमा से समझौता नहीं करेगी। इस घटना को सिर्फ व्यक्तिगत मानकर टालना संस्थान की जिम्मेदारी से भागना होगा। ज़रूरत है कि अब संस्थाएं अपनी आंतरिक प्रक्रियाओं और संवेदनशीलता प्रशिक्षण को मजबूत करें।